Book Title: Bhagavati Sutra par Vyakhyan
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Sadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam

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Page 5
________________ श्राप ध्यान देगे क्या आप जानते हैं कि आपको यह अनुपम साहित्य देखने को कैसे मिला इस साहित्य के सर्जक श्रीमजैनाचार्य पूज्यवर्य श्री जवाहिरलालजी म० सा० भौतिक देह से श्राज विद्यमान नहीं हैं फिर भी उनका प्रवचन रूप सूत्र की तल-स्पी विशद व्याख्या श्राप के समक्ष धान विद्यमान है और भविष्य में भी रहेगी ? इसके उत्तर में यही कहना होगा कि यह सब जिसके द्वारा हमें प्राप्त होसका वह श्री सानेन पूज्य श्री हुक्मीचन्द्रनी महाराज की सम्प्रदाय का हितेच्छु श्रावक मण्डक श्राफिस है। मण्डल की प्राफिस पान वीस वर्ष से रतलाम ( मालवा) में है जिसके संचालक श्री साधुमार्गी जैन समाज के अग्रगण्य नेता श्रीमान् स्वर्गीय सेठ वरदमागाजी साहब एवं अवैतिनक अनुभवी मंत्री । श्री वालचन्दनी श्रीश्रीमाल हैं। इनके अथक परिश्रम से ही मण्डल श्राफिस समाज सेवा के ऐसे २ उत्तम साधन का संग्रह कर सका है। पूर्व समय में श्रीमजैनाचार्य पूज्यवर्य श्री १००८ श्री उदयसागरनी महाराज व पूज्यवर्य श्री १००८ श्री श्रीलालजी महाराज साहेब बड़े ही प्रतापी एवं अतिशयधारी तथा तत्सामयिक प्रसिद्ध वक्ता थे।

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