Book Title: Bhagavati Jod 02 Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 2
________________ जैन आगमों के दो विभाग है-अंग और अंग बाह्य अंग वारह् थे। आज केवल ग्यारह अंग ही उपलब्ध होते हैं। उनमें पांचवा अंग हैभगवती । इसका दूसरा नाम व्याख्याप्रज्ञप्ति है। इसमें अनेक प्रश्नों के व्याकरण हैं। जीव-विज्ञान परमाणुविज्ञान, सृष्टि-विधान, रहस्यवाद, अध्यात्म विद्या वनस्पति विज्ञान आदि विद्याओं का यह आकर-ग्रन्थ है। उपलब्ध आगमों में यह सबसे बड़ा है। इसका ग्रन्थमान १६००० अनुष्टुप् श्लोक प्रमाण माना जाता है। नवांगी टीकाकार अभयदेव सूरी ने इस पर टीका लिखी। उसका ग्रंथमान अठारह हजार श्लोक प्रमाण है . भगवती सूत्र की सबसे बड़ी व्याख्या है यह 'भगवती जोड़'। इसकी भाषा है राजस्थानी। यह पद्यात्मक व्याख्या है, इसलिए इसे 'जोड़' की संज्ञा दी गई है। इस ग्रन्थ में सर्व प्रथम जगाचार्य द्वारा प्रस्तुत जोड़ के पथ और ठीक उनके सामने उन पद्यों के आधार स्थल दिये गये है। जयाचार्य ने मूल अनुवाद के साथ-साथ अपनी ओर के से स्वतंत्र समीक्षा भी की है।Page Navigation
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