Book Title: Barah Bhavana Ek Anushilan
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 185
________________ बारह भावना : एक अनुशीलन आशा है यह रचना अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी । आध्यात्मिक चिन्तक डॉ. चन्दूभाई कामदार, राजकोट (गुजरात ) 'बारह भावना : एक अनुशीलन' में लिखे गए सभी निबन्ध अत्यन्त सुन्दर और सुबोध भाषा में हैं, जो सामान्यजीवों के लिए उपयोगी हैं। सभी भावनाएँ आध्यात्मिक भावों से भरी हुई हैं तथा इनमें वास्तव में वैराग्य और ज्ञान की जननी भावनाओं का वर्णन हुआ है। १७७ डॉ. भारिल्ल की एक के बाद एक कृतियाँ प्रकाशित हो रही हैं। मैं धर्म के दशलक्षण, क्रमबद्धपर्याय, जिनवरस्य नयचक्रम् आदि कृतियों का बारम्बार अध्ययन करता हूँ। इतना सुन्दर कार्य करते हुए वे वास्तव में पूज्य कानजी स्वामी के द्वारा बताए हुए तत्त्वज्ञान का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं । डॉ. प्रेमचन्द रांवका, प्रा. महाराजा संस्कृत कॉलेज, जयपुर (राज.) बारह भावना पुस्तक के आन्तरिक शीर्षकों में प्रत्येक भावना पर स्पष्टरूप से विश्लेषण एवं चिन्तन प्रस्तुत किया है, साथ ही प्रारंभ में काव्यांजलि ने उसमें सौरभ भी प्रदान किया है। डॉ. विजय कुलश्रेष्ठ, प्रा. कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल (उ.प्र.) डॉ. भारिल्ल ने सरल एवं सहज शब्दावली में प्रत्येक भावना की काव्यपरक प्रस्तुति कर आध्यात्मिक चिन्तन सहज ग्राह्य एवं गेय सुलभ बना दिया है। डॉ. राजेन्द्र बंसल, कार्मिक प्रबन्धक, अमलाई (म.प्र.) डॉ. भारिल्ल तार्किक एवं विचारक ही नहीं, अपितु आकर्षक शैली के प्रवचनकार होते हुए एक सहृदय कवि भी हैं। उनका कवि हृदय बारह भावनाओं के रूप में परिलक्षित होता है, जो उनके बहुमुखी प्रतिभा के धनी होने की सहज ही पुष्टि करता है। डॉ. भारिल्ल की बुद्धिमत्तापूर्ण खोजपूर्ण लेखन शैली एवं भावों के अनुरूप भाषा आदि का स्पष्ट दिग्दर्शन 'बारह भावना : एक अनुशीलन' में होता है। इस कृति में वास्तव में " गागर में सागर " जैसा धर्म का मर्म भरा है।

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