Book Title: Balidan Patra No 003 1915
Author(s): Parmanand Bharat Bhikshu
Publisher: Dharshi Gulabchand Sanghani

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Page 24
________________ इस कार्य में नीचे लिखे हुए सद्गृहस्थों ने सहायता दी है उन को धन्यवादहैःश्रीमान् माननीय पं० मदनमोहनजी मालवीय मेम्बर वायसराय कौन्सिल प्रयाग ने प्रथम कापी अपनी उदारता से छपवाई. पत्ये नास्ति मयं कचित् ॐ श्रीपशुपतये नमः। रु०१०१) सेठ मंगूमल जसासिंह शिकारपुर (सिन्ध) 101) सेठ टोपणसिंह मोटूमल हैदरावाद (सिन्ध) 51) सेठ रामदेव फूलचन्दजी ब्यावर. अहिंसा परमो धर्मः ॐ श्रीवीतरागाय नमः। ओ३म् / रु० 101) राय सेठ चांदमलजी घनश्यामदास अजमेर. रायबहादुर सेठ नेमीचन्दजी अजमेर. 101) पं० वंशीधरजी शर्मा वकील हाई कोर्ट अजमेर. शेष पुन: रु० परोपकाराय व विनय श्रीमत्परमहंस परिम्राजकाचार्य श्री स्वामी परमानंदजी भारतभिक्षु. संतसरीवर आत्मतीर्थ, आबू, जोगी जंगम जोवत जत्ती, साध सेवड़ा सेवत सत्ती / ग्यांनी गिणत इसी को गत्ती, भगवत यही यही भगवती / भजकल० //

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