Book Title: Atmanand Prakash Pustak 093 Ank 09 10
Author(s): Pramodkant K Shah
Publisher: Jain Atmanand Sabha Bhavnagar

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir આમાનંદ પ્રકાશ 8-8-0-0-0-0-0 -वचन के खातिर-- 8 -0 -0 -0 -0- - श्री आत्माराम जी महाराज चातुर्मास हेतु घोघा के श्रावकवर्ग को संतुष्ट करने भर के भावनगर में विराजमान थे, उस समय की लिए कही थी। किंतु यहाँ तो 'सिर मुडाते यह बात है। ओले गिरे' वाली कहावत चरीतार्थ हो गई। ___ चातुर्मास पूरा होने के अंतिम दिनों में अब क्या किया जाए ?" घोघा के कुल श्रावकों ने महाराज जी की सेवा उन्होंने शीन्नति शीघ्र गुरुदेव श्री की सेवा मे उपस्थित होकर उन्हें घोघा पधारने की में उपस्थित होकर विनम्र स्वर मे' कहा : विनती की। प्रत्यत्तर में उन्होंने अपनी ओर "आपकी चरणसेवा छोड, मेरी कहीं जाने की से घोघा आने में असमर्थता प्रकट की। तब भावना नहीं है।" श्रावकवर्ग श्री हर्पविजय जी महाराज के पास ___“यदि यही बात थी तो कहने के पूर्व गया। उन्होंने उनसे घोघा पधारने का आग्रह सौच-विचार कर क्यों न कहा ? तुम क्या कह किया। रहे हो, उसे पहले तुम्हें ही अच्छी तरह से ___ "पृज्य गुरुदेव का आदेश हो तो आने मे समझ लेना चाहिए। अब जब कि आश्वासन कोई कठिनाई नहीं है। बस, उनकी दे दिया है, तो उसे पूरा करना ही होगा । आज्ञा होने भर की देर है ।'' -प्रत्युत्तर में तुमने घोघा के श्रावकवर्ग को वचन दिया हैं, हपविजय जी ने कहा । उसका किसी भी अवस्था में पालन होना ही श्रावकवर्ग तुरन्त आत्माराम जी महाराज के चाहिए। आगे कभी इस तरह का आश्वासन पास पहुँचा । उन्होंने महाराज श्री से विनती देने के पूर्व सौ बार सोचकर ही देना । यदि की कि, 'यदि आप की आज्ञा हो, तो हर्पविजय तुम अपने शब्दों की कीमत नहीं समझोगे जी घोघा पधारने के लिये तैयार है।" तो अन्य किसी के पास उसकी फूटी बदाम ____ महाराज जी ने उनकी विनती स्वीकार कर जितनी भी कीमत नहीं करा पाओगे ।” ली ! श्री हर्पविजय जी को घोघा जाने की परीणाम यह हुआ कि श्री हर्पविजय जी आज्ञा मिल गई । को केवल वचन के खातिर भावनगर छोड, इधर हपविजय जी दुविधा मे पड गाए । घोघा जाना पड़ा। श्री आत्माराम जी महाराज उनकी कल्पना थी कि महाराज जी आज्ञा थोडे प्रायः अपने शिव्य समुदाय को शास्त्रीय ज्ञान ही देने वाले हैं ? उन्होंने तो यह बात सिर्फ के अतिरिक्त ईस तरह की व्यावहारिक शिक्षा देते रहते थे। (क्रमशः) For Private And Personal Use Only

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