Book Title: Atmanand Prakash Pustak 092 Ank 09 10
Author(s): Pramodkant K Shah
Publisher: Jain Atmanand Sabha Bhavnagar

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Page 24
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir શ્રી આત્માનંદ પ્રકાશ है यह अनित्य अचल व अस्थिर है जिसने भी आज्ञा उनके लिए ब्रह्मा सूत्र के बराबर है । जन्म लिया उसे मरना भी अवश्य है फिर भी साथ ही उन्होने समाज की एकता अखंण्डता न जाने क्यों मानस धन दौलत के पीछे के लिए सभी ने अह्वान किया। पश्चात् श्रीसंघ दिवाना हैं यह धन दौलत भी जीवन की तरह के कर्मठ कार्यकर्ता श्री बाबुलालजी ने अपने अणभांगर है न जाने कब समाप्त हो जाय वक्तव्य में कहा कि मैं गुरुदेव से प्रार्थना इस क्षणभंगूर जीवन से हमें आगे के लिए करता हूं कि गुरुदेव थाना श्री संघ अधुरे कुछ धर्म करणी कर लेनी चाहिए नहीं तो कार्यो को जरुर पुरा करेगा चादमें इस माह की वृद्धावस्था में पश्चाताप के शिवाय उसके संक्रान्ति का लाभ लेनेवाले महानुभाव श्रीं पास कुछ भी नही रहेगा हमारा जीवन प्रति भीमशी भारमल चापशी परिवार का श्री संघ क्षण मृत्यु की ओर सरकता जाता है, उन्होने थाना के ट्रस्टीगण सर्व ही चंदनमलजी व आगे कहा कि लोग अपना जन्म दिन मनाते बाबुलालजी ने तिलख का हार पहनाकर किया है पर मैं उन्हें जन्मदिन नही अपितु श्री जुगराजजी भी अपने उद्गार व्यक्त किये। मृत्यु दिन कहुँगा क्यों कि जो व्यक्ति पश्चात सादडी के सुप्रसिद्ध कवि श्री प्रदीको जितने शाल जिना था उसमें से ३६५ पजी जैन ने अपनी कविता सुनाई जिस के दिन कम हो गये वह क्या हुआ मृत्यु निकट शब्ह थे आई कि दृर गया, अतः हमें अपने महामूल्य जीवन को धर्म में जूडकर जो भी कुछ अच्छे संतो की भक्ति, कार्य हो जाय वह कर लेना चाहिए उसी में अहिंसा, संयम और नप को अपनाने की हमारा श्रेय है । आग्रा के परम गुरुभक्त श्री भक्ति है। रघुवीर व सादडीके दिवाने गुरुभक्त मोतीलाल संतों की शक्ति, जी रांका ने गुरुभक्ति गीत गाया । जीवन की गहराईयों और ऊँचाइया को पश्चात कार्यदक्ष आचार्गदेव श्री जगच्चन्द छूने की शक्ति है। श्री रघुवीरजी ने संक्रान्ति सूरीश्वर जी म.सा.ने अपने व्यक्तव्यमें अनुशासन पर बोलते हुए कहा कि आज समाज में सजन मृनाया । परिवार में अनुशासनकी अति आवश्यक्ता हैं ___ अन्तमें पूज्य गुरुदेव ने अपनी अमृतमय । बिना अनुशासन का समाज व परिवार कमी वाणी में संक्रान्ति उपदेश देते हुए कहा कि उन्नति नहीं कर सकता उन्होने कहा कि मुझे प्रत्येक मनुष्य के जीवन में नम्रतागुण आना पंजाबी गुरुभक्तों व पंजाब केसरी गुरु वल्लभ चाहिए जो व्यक्ति नम्रतायुक्त होगा उसे के गुरु भक्तों पर गर्व है क्योंकि वे गुरु समाजमें प्रतिष्ठापान तो मिलेगा ही साथ ही वल्लभ के पाट परम्परा पर विराजमान आचर्य वह व्यक्ति का उद्धार भी जल्दीसे हो जाता भाव के प्रति समर्पित है गुरुदेव की जो है जहाँ नम्रतागुण होगा तो माया-राग-द्वेष For Private And Personal Use Only

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