Book Title: Atmanand Prakash Pustak 092 Ank 07 08
Author(s): Pramodkant K Shah
Publisher: Jain Atmanand Sabha Bhavnagar

View full book text
Previous | Next

Page 22
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रद्धांजलि समर्पित की है : "श्री बुट्टेराय जी महाराज के तत्काल बाद एक अन्य पुरुष का पंजाब की धरती पर उदय हुओ । उक्त महापुरुष समस्त भारत वर्ष में विख्यात शास्त्र-सूत्रों के प्रकाण्ड पडित और क्रांतिद्रष्टा मुनिराज श्री आत्माराम जी थे। उन ही बुद्धि अत्यंत तीक्ष्ण एव तीव्र थी । शास्त्र-पठन के उपरांत सत्य क्या है, यह समझते उन्हे विलंब नहीं लगा । देा-चार वर्ष की अल्पावधि में ही उन्होंने लगभग सात हजार धर्मानुरागी भद्रजनों का शुद्ध श्रद्धान के पथ पर बढ़ाया। उस समय अहमदाबाद में मुनि शांतिसागर कुछ शास्त्र विरुद्ध एकांत प्रदर्शन करने मे मशगुल था; श्री आत्माराम जी महाराज ने उसके साथ शास्त्रार्थ (वाद-विवाद, कर सब के सामने उसे निरुत्तर कर दिया। उनके अद्वितीय शान. अनन्य प्रतिभा और अद्भुत वाकपटुता का अनुभव कर अहमदाबाद के श्री संघ की प्रसन्नता का पागवार न रहा ।" तत्पश्चात् सबत् १९४२ में तीर्थाधिराज शत्रुजय गिरि की यात्रा हेतु श्री आत्माराम जी महाराज ने पालीताणा में प्रवेश किया था तब वहाँ स्थित यतिवर्ग ने उनके स्वागत का जोरदार विरोध किया था किंतु उक्त विरोध बुझने के प:ले प्रज्वलित होने वाले दीपक के समान ही सिद्ध हुआ | पालीतागा दरबार के वरिष्ठ अधिकारियों ने उनकी जम कर खिंचाई की | स्वागत के मामले में यतियों का मह की खानी पड़ी | बड़ी ही धूमधाम और आंड बर के साथ श्री आत्मारामजी महाराज का पालीताणा में आगमन हुआ। ऐसा कहा जाता है कि पालीताणा दरबार और आनदजी कल्याणजी पेढी के बीच विगत लंबे असे से चल रही चची के कई उलजे मुदे और प्रश्नों को सुलझाने में श्री आत्माराम जी महाराज ने अपनी और से सक्रिय सहयोग प्रदान किया था । For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 20 21 22 23 24