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શ્રી આત્માનંદ પ્રકાશ.
श्री श्रात्मानन्द जैन गुरुकुल पंजाव गुजरांवाला के षष्ठ .
वार्षिकोत्सव का विवरण. श्री आत्मानंद जैन गुरुकुल गुजरांवाला का षष्ट वार्षिकोत्सव ईस्टर की छुट्टियों में २५, २६, २७ मार्च सन् १९३२ ई. को गुरुकुलके इहाते में सफल लता पूर्वक हुआ । प्रबन्धक समिति के सदस्य २३, मार्च ही को आगये थे । २३ और २४ मार्च को प्रबन्धक समिति की बैठकें होती रही । २५ मार्च को गुजरांवाला टाउन स्टेशन पर मनोनीत सभापति का बडी शान से स्वागत किया गया। जुलूस शहर के मुख्य २ बाजारों में होता हुआ वहीं समाप्त हुआ। २ बजै दोपहर को समापतिजीने छात्रों की बनाई हुई वस्तुओं की प्रदर्शिनी का उद्घाटन किया। जनता ने प्रदर्शिनी की वस्तुओं को भली भांति देख कर प्रशंशा की । सभापतिजी ने अपने भाषण में समाज की आवश्यकताओं और गुरुकुल शिक्षण की उपयोगिता पर प्रकाश डाला । इस अवसर पर श्रीयुत सभापति शेठ चाबु साहेब बहादुरसिंहजी सिंघी कलकत्ता निवासी के साथ दो और सज्जन कलकत्ते से पधारे थे । व उत्सव में सम्मिलित होने वाले सज्जनों में मुनि तिलकविजयजी, मुनि कृष्णचन्द्रजी, यति विनयविजयजी, पं. जुगलकिशोरजी, पं. सुखलालजी, सेठ दयालचन्दजी, लाला दौलतरामजी, प्रो. ज्ञानचंद्रजी, डा. बनारसदासजी, बा. गोपीचन्द्रजी और बाबू मूलचन्द्र बोहरा आदि सज्जनों के अतिरिक्त श्रीमति रामादेवजी, और श्रीमति दुर्गादेवीजी के नाम उल्लेखनीय है । जाति के प्रसिद्ध सज्जनों के संदेश सुनाये जाने के पश्चात् गुरुकुल की सन् १९३१ के हिसाब और रिपोर्ट सुनाये गये । विद्यार्थियों की फौजी ड्रिल हुई । रात को ८ बजे से विद्यार्थियों के भजन सम्वाद आदि के बाद बहिन रामदेवीजी का स्त्री समाज के सुधार पर व्याख्यान हुआ।
२६ मार्च को प्रबन्धक समिति की बैठक के बाद संरक्षकों की मीटिंग हुई और २ बजेसे वि. के. भंजन व्याख्यान के बाद मुनि तिलकविजयजी का व्याख्यान हुआ । पं. जुगलकिशोरजीने पं. सुखलालजी का प्रभावशाली निबंध जैन सम्प्रदायों के भेदाभेद पर हुआ । सभापतिजीने परिक्षार्थं वि. को तत्काल बोलने को कहा । विद्यार्थी सफलता पूर्वक बोले । परिणाम स्वरूप पं. सुखलालजीने वि. और शिक्षकों को उत्साहित किया । रात्रि को वि. के व्याख्यान, भजन औए संवाद के पश्चात् डाक्टर K. N. Sitarain M.A.Ph D. curator
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