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परोपकाराय सतां विभूतयः
विद्याप्रेमी आचार्य श्रीमद्विजयवल्लभसूरीश्वरजी महाराजके शुभ नामको कौन जैन बच्चा नहीं जानता ? जैन समाज की भलाई के लिये आपने श्री महावीर जैन विद्यालय, मुंबई तथा आत्मानंद जैनगुरुकुल पंजाब, आदि कइ एक संस्था स्थापन करवा कर अपने शुभ नाम को यथार्थ कर दिखलाया हैं ।
आपने जैन समाजपर जो जो उपकार किये हैं, उसको वह कभी भी नहीं भूल सक्ता ।
हमारे बडोत निवासी जनोंपर उपकार करनेकी ईच्छासे बनोलीसे विहार कर आषाढ कृष्णा पंचमीको यहां " बडोत " पधारे ।
जनताने आपका स्वागत बडे ही प्रेमसे धूमधामपूर्वक किया ।
प्रियपाठक वर्ग ! आप यह शुभ समाचार सुन कर बडे ही खुश होंगें कि यहां श्वेतांबर जैन समाजके दो-तीन ही घर थे, परंतु अब विद्वान आचार्य महाराजश्रीजीके शुभागमनसे तथा बिनोली निवासी लाला गोहरु गोत्रीय प्रयत्न से २० वीससे अधिक घर हुये हैं । भी कइ एक घर होवेंगे ।
श्रीचंदजी अग्रवाल संभव है कि और
आपने अनेक कष्ट सहन करके हमको सत्य मार्ग पर चलाया है । इसका बदला हम इस भवमें तो क्या परंतु अनेक भवों में भी नहीं दे सक्ते गुरुदेव ! हम आपकी दयालुताका कहां तक वर्णन करें ? देहलीसे चौमासे की विनंती करनेके लिये श्रावक समुदाय बिनोलीमें आया था, और यहां भी आपके चरणोंमें हाजिर हुवा था मगर आपने हम गरिब नूतन श्रावकों की विनंती मंजूर फरमा कर यहां ही ( बडोत - यू० पी० ) चातुर्मास करना निश्चित किया ।
हमारे प्रबल पुन्योदयसे श्वेताम्बर जैन साधुओं के चातुर्मासका लाभ हमको प्रथम ही मीला है | धन्य हैं आप महात्माओं को जो बडे बडे शहरों की विनंती भी ना मंजूर फरमा कर इस छोटेसे कस्बेमें अनेक तकलीफा सहन करके अपने सच्चे साधुत्वको दीपाया है । इतना ही नहीं बल्के परोपकाराय सतां विभूतयः इस सुप्रसिद्ध कहावतको सत्य कर दीखलाया है ।
आपकी सेवामें आपके ही शिष्य प्रशिष्यादि पांच साधु है। तपस्वीजी श्री गुणविजयजी महाराज, मुनिश्री समुद्रविजयजी, सुनिश्री सागरविजयजी, मुनिश्री विशुद्धविजयजी मुनिश्री विकासविजयजी ||
लि० आपका – गिरिलाल जैन अग्रवाल बिनौलीवाला.
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