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આત્માનન્દે પ્રશ્નારા
अफीम खावे तो परम धामको ( परलोक ) को जाना पडे और चौरी आदि कुकर्म करे तो जेल खानेकी हवा खावे कौन ये तो धर्मके काम उल्ट पुल्ट पत्थर फेंक देने है- बहुत से सडी ताल उड़ाते है कि पहले तो ये बातें नही हुवा करतीथीं पहले तो औसा नगरी आदिमें उपले तीनते गोवर चुगते और भीक मांगते मर गये और अवये नयेर आडम्बर होते हैं तो हम क्यों करें उत्तर दिया जाता है कि आपकुपढ होनेसे अपने वडोंको ऐसा कलंक लगाते हो क्योंकि ऐसा किसी इतिहास में नही लिखा है और यदि आपको इठ हैं तो आपभी भीक मांगये उपले वीनये जैसे आपके पहेले करने आये सो करके दिखाईये तो अपनामा मुंह लेकर रह जाते हैं और पहली चाल चलने को तैयार नही होते, होंनें कहांसे यदि सारी पहली सी बातों पर कमर बांधे तो फिर पक्के मकान दवा कर कचे बनाने पडें और मलमलकी जगह पहरना पडे गाढा और पक्की सडकों तथा रैलकी जगह चलना पडे कच्चे रास्ते पैदल भूल जांय घरका रास्ता आटे दालका सब भाव याद आ जाये पर भाइओं इस धर्मका कोई रक्षक नहीं जो चाहें तो बातें बनाओ.
यदि धर्मका कोई काय प्रारंभ होता है तो कहते हैं कि फलां २ पहले शिरुआत करेंगे तो इम करेंगे वरना नही पर नही मालम जब खाने का वक्त भाता है तो फिर उन्हीं निर्झर भट्टाचार्यों को faraht ओर लींगथी कोई मनुष नही पूच्छता और सबसे आगे बढ २ कर खूब लडवें। पर हाथ फेंकते हैं शरम की बात है कि धर्म काजमें दूसरे की ओट लेकर वचना और लेटर वैक्स भरने आदि पापकी बातों में आपही पहल करना कितनी गेरत की बात है
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प्यारे भाइयो विशेष लखनेको आवश्यक्ता नहीं है आप इतने
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