Book Title: Atma Prakasha 2
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Virchandbhai Krushnaji Mansa
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स्थितिनुं होवे ज्यांहि जेटलं मानजो. भोगवी चउदमं गुणठाणं उल्लंघतां सिद्ध बुद्ध परमातम श्री भगवान्जो. मनवच. कायाकर्माष्टकनी वर्गणा, पुद्गलसंगनो जरा नहि संबंधजो. जन्म जरा मरणादिक सहु दूरे गयुं, लह्यो अपूर्व आतम कर्म अबंधजो. आविर्भावे भासी गुणनी संतति, सहजानन्दे विचरे आतम भूपजो. पर्वप्रयोगे गतिपरिणामे सिद्धमां, पहोच्यो चेतन टळी अनादिधूपजो. सादि अनन्त स्थिति शाश्वतपदतणी, षट्कारक परिणमतां तत्वस्वरूपजो. निराकार साकाररूप दो चेतना, चिदानन्द गुणधारक श्रीचिद्रूपजो. सहस्र जिव्हा आयुष्य पूर्वक रोडनुं, केवलज्ञानी कहेतां न लहे पारजो व्यवहार निश्चय नयबेने अवलंबतां, बुद्धिसागर शाश्वतपद निर्धारजोः
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ॐ अर्ह महावीर शान्तिः शान्तिः शान्तिः

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