Book Title: Ashtaprakari Puja
Author(s): Ajaysagar
Publisher: Z_Aradhana_Ganga_009725.pdf

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Page 9
________________ 26 (स्वस्तिक पर मिश्री, और घर की बनाई हुई शुद्ध मीठाई चढायें. बाजार की मीठाई, पीपर, चोकलेट या अभक्ष्य चीज न रखें.) 8. फल पूजा फल पूजा का रहस्य हे प्रभु! मेरे नाथ, मैं आपकी फल पूजा कर रहा हूँ, जिससे मुझे मोक्ष रूपी फल प्राप्त हो. धर्म कर के बदले में संसारिक फल तो बहुत माँगा प्रभु! और उसके कड़वे फल मैं भोगता रहा. अब बस प्रभु! अब तो मोक्ष का ही मधुर फल दीजिए, ताकि फिर कुछ भी माँगना बाकी न रह जाय. नमोऽर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुभ्यः ॐ ह्रीं श्रीं परमपुरुषाय परमेश्वराय जन्म-जरा-मृत्यु-निवारणाय श्रीमते जिनेन्द्राय फलं यजामहे स्वाहा. (27 डंके बजाये) (श्रीफल, बादाम, सोपारी और पके हुए उत्तम फल सिद्धशिला पर रखें.) चामर पूजा का दुहा बे बाजु चामर ढाळे, एक आगळ वज्र उलाळे, जई मेरु धरी उत्संगे, इंद्र चोसठ मळीया रंगे, प्रभु पासनु मुखडुं जोवा, भवो भवनां पातिक खोवा. दर्पण पूजा का दुहा / प्रभु दर्शन करवा भणी, दर्पण पूजा विशाल; आत्म दर्पणथी जुए, दर्शन होय तत्काल. पंखा पूजा का दुहा अग्नि कोणे एक यौवना रे, रयणमय पंखो हाथ, चलत शिबिका गावती रे, सर्व सहेली साथ, नमो नित्य नाथजी रे. 690690699 X धर्म-निंदा के कारण मत बनो. इममे मोह नहीं, महामोह बंधता है.

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