Book Title: Ashtapahud
Author(s): Kundkundacharya, 
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 388
________________ ३५० गाथा जस्सपरिग्गहगहणं जदि पदि वह जह कंचणं विशुद्धं जहजारूवरूवं जहजारूवसरिसा जहजारूवसरिसो जह ण वि लहदि ह लक्ख जह तारयाण चंदो जह तारायणसहियं जह दीवो गहरे जहपत्थरो ण भिज्जइ जह फणिराओ सोह जल फलिहमणि विसुद्धो जह फुल्लं गंधमयं जह मूलम्मि विण्डे जह मूलाओ खंधो जह रयणाणं पवरं जह विसयलुद्ध विसदो जह बीयम्मिय दड्ढे जह सलिलेण ण लिप्पइ जाए विसय विरत्तो जाणहि भावं पदमं जाव ण भावइतच्च जिणणाणदिडिसुद्धं जिणबिंब णाणमयं जिणमग्गे पव्वज्जा जिद्द सिद्धि जिणवयणमोसहमिणं जिणवयणगहिदसारा जिणवरचरणं बुरुहं जिणवरमण जो जीवविमुक्का सबओ जीवाजीवविभत्ती जीवाजीवविही जीवाणमभयदाणं जीवादीसणं पृष्ठ ५४ गाथा जीवो जिणपण्णत्तो २९६ ३२५ २९० ११९ ५२ ९९ २२१ २२२ जेवि पतिय तेर्सि जीवदया दम सच्च जे के वि दव्वसवणा जे झायंति सदव्वं जेण रागो परे दव्वे १७ १८० जे दंसणेसु भट्टा णाणे जे दंसणेसु भट्ठा पाए जे पावमोहियमई २०९ जे पुण विसयविरत्ता १८८ जे पुण विसयविरता २२१ जे पंचचेलसत्ता २६७ | जे रायसंग जुत्ता ९६ जे बावीसपरीषह १७ जेसि जीवसहावो जो इच्छड़ णिस्सरिहं जो कम्मजादमइओ जो कोडिए ण जिप्पइ जो को वि धम्मसीलो ३३३ २११ २२८ जो जाई जोवणसयं ३३९ जो जीवो भवंतो १३४ जो जोडेदि विवाहं २०१ जो देहे णिरवेक्खो ६२ जो पावमोहिदमदी ९६ जो पुण परदव्वरओ १२० जो रयणत्तयजुत्तो २६५ जो सुत्तो ववहारे २२ जो संजमेसु सहिओ ३४२ जं किंचि कयं दोसं २२८ जं चरदि शुद्ध चरणं २४९ जं जाणइ तं णाणं २२० जं जाणइ तं णाणं ८४ जं जाणिऊण जोई २६० जं जाणिऊण जोई २१६ | जं णिम्मलं सुधम्मं २४ | जं मया दिस्सदे रूवं अष्टपाहुड पृष्ठ १६८ ३३१ २०८ २४८ २७९ १५ १८ २८२ १९ ३२५ २७७ २८३ १७४ ४९ १६९ २५२ २७० २५० १६ २४९ १६८ ३११ २४४ ३०७ २४६ २६२ २५५ ४९ १९४ ९३ २५८ ६१ २६२ २३९ १०२ २५४

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