Book Title: Ashtapad Maha Tirth 01 Page 177 to 248
Author(s): Rajnikant Shah, Kumarpal Desai
Publisher: USA Jain Center America NY

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Page 62
________________ Shri Ashtapad Maha Tirth "Kangri Karchhak...the Tibetan Kailas Purana....says, that Kailas is in the centre of the whole universe towering right up into the sky like the handle of a mill-stone, that half-way on its side is Kalpa Vriksha (wish-fulfilling tree), that it has square sides of gold and jewels, that the eastern face is crystal, the southern sapphire, the western ruby, and the northern gold, that the peak is clothed in fragrant flowers and herbs, that there are four footprints of गच्छामः शरणं देवं शूलपाणि त्रिलोचनम्: प्रसादाद् देव देवस्य भविष्यथ यथा पुरा ।।२।। इत्युक्ता ब्राह्मणा सद्धि कैलासं गिरिमुत्तमम् दहशुस्ते समासीन मुमया सहितं हरम् ।।३।। ब्रह्माजी ने कहा तीन नेत्र वाले शूलपाणि देव की शरणगति में चलें। देवों के भी देव के प्रसाद से जैसा पहले था सब हो जायेगा। ब्रह्मा द्वारा इस प्रकार कहे गये वे सब ब्रह्माजी के साथ में उत्तम कैलाश गिरि पर गये और वहाँ पर उमा के साथ बैठे हुए भगवान् हर का इन्होंने दर्शन किया। वामन पुराण भाग दो (५४ अ०) में लिखा है..... ततश्चकार शर्वस्य गृहं स्वस्तिकलक्षणम् योजनानि चतुः षष्टि प्रमाणेन हिरण्मयम् ।।२।। दन्ततोरण निव्यूह मुक्ताजालान्तरं शुभम् शुद्ध स्फटिक सोपानं वैडूर्य कृतस्पकम् ॥३॥ इसके पश्चात् विश्वकर्मा ने भगवान् शिव के लिये स्वस्तिक लक्षण वाला गृह निर्मित किया था। जो हिरण्यमय था और प्रमाण में चौंसठ योजन के विस्तार वाला था ||२|| उस गृह में दन्त तोरण थे और मुक्ताओं के जालों से अन्दर शोभित हो रहा था जिसमें शुद्ध स्फटिक मणि के सोपान (सीढ़ियाँ) थीं जिनमें वैडूर्य मणि की रचना थी ।।३।। वामन पुराण के इन उल्लेखों में कैलाश में स्फटिक मणि की सीढ़ियों का वर्णन मिलता है जो अष्टापद में आठ सोपानों से साम्य रखता है। इसके अतिरिक्त शलपाणि का वर्णन है। भगवान महावीर के समय भी शूलपाणि यक्षायतन का वर्णन जैन साहित्य में मिलता है। कर्नल टॉड ने अपनी किताब Annals of Rajasthan में लिखा है.... "इस आदि पर्वत को महादेव आदीश्वर वा बागेश का निवास स्थान बताते हैं और जैन आदिनाथ का अर्थात् प्रथम जिनेश्वर का वासस्थान मानते हैं । उनके कथानुसार उन्होंने यहीं पर मनुष्य जाति को कृषि और सभ्यता की प्रथम शिक्षा दी थी। यूनानी लोग इसे बैकस का निवास स्थान होना प्रगट करते हैं और इसी से यह यूनानी कथा चली आ रही है कि यह देवता जुपिटर की जंघा से उत्पन्न हुआ।" यूनानी और रोमन लोग भी कैलाश से परिचित थे। Pococke ने अपनी किताब 'India In Greece' (पेज ६८) में लिखा है Koilon is the heaven of Greeks and coelum that of the Romans. Both these derive from Vedic term Kailas, Adinath Rishabhdev and Ashtapad 86 198

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