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) कादयः सर्वेऽपि श्रीवोरं प्रणम्य यथास्थानं गताः ततः स आर्द्रकुमार मुनिस्तपोऽग्निना सर्व क में धनानि 1) दग्ध्वा केवलज्ञ नमवाप्यायुःक्षयेण मुक्तिपुरीं जगाम.
इति श्रीजिनप्रतिमादर्शनफलमाहात्म्योपदर्शने श्रीआद्रकुमारमुनिचरित्रं समाप्तं ॥ श्रीरस्तु ॥ आ ग्रंथ श्री जामनगर निवासी पंडित श्रावक हीरालाल हंसराजे स्वपरना श्रेयमाटे श्री शुभशीलगणीजीए रचेला कथाकोवांथी उद्धरीने तेनो मूलभाषातां वनता प्रयासे सुधारो वागे करोने पोताना श्रीजैनभास्करोदय छापखानामा छापी प्रकियों के. ॥ समातोऽयं ग्रंथो गुरु श्रीमचारित्रविजयप्रसादात् ॥ श्रस्तु ॥ आ ग्रंथना प्रसिद्ध करनारे आ ग्रंथ प्रसिद्ध करवाना तथा छापवाना दरेक हक पोताना स्वाधीनमा राख्ता है.
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