Book Title: Anusandhan 2005 11 SrNo 34
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 65
________________ 60 अनुसन्धान ३४ ढूंक नोंध : एक विलक्षण धातुप्रतिमा वर्षो पूर्वे कोई विहारक्षेत्रमांना जैन चैत्यमां ओक धातुप्रतिमा जोयेली (जुओ मुखपृष्ठ). ते परनो लेख अहीं आप्यो छे. ए लेख प्रमाणे आ प्रतिमा भदा नामक मंत्रीनी छे. आ मंत्री कया राज्यना के गामना हता ते स्पष्टता लेखथी मळती नथी. लेखमां क्यांय गाम/देशनुं नाम नथी. लेख महदंशे स्वयंस्पष्ट छे. तेमां बे वार संघहत्र एवो शब्द आवे छे, तेनो अर्थ संघपतिसंघवी थतो हशे के पछी संघना आगेवान तरीकेनी ए ओळख हशे? संघहत्र शब्द पण जरा विचित्र-अपभ्रष्ट जणाय छे. वळी, ते शब्द पुरुषवाचक नाम (लाडण) तथा स्त्रीवाचक नाम (सुहागदे) बन्नेनी साथे जोडायेलो जोवा मळे छे. मूर्ति माटे मूत्रि एवं भ्रष्ट रूप प्रयोजायुं छे, ते बात पण संघहत्रने उकेलवामां मददरूप बने तेम छे. प्रतिमानो परिचय : अश्वारूढ भदा मंत्रीनी सामे/आगळ एक सेवक ऊभो छे. अश्वना मस्तक नजीक चरणपगलां छे, जे सम्भवतः तीर्थंकरनां होवां जोईए. मंत्रीना माथा पर जिनप्रतिमा छे. प्रतिमा ऊपर कळश अने तेनीये ऊपर मयूर तथा सर्प जोडाजोड छे, ते जोतां आ शत्रुजयतीर्थावतार प्रतिमानुं स्वरूप होय तेवू मानी शकाय. पादुका ते रायणपगला होय. नीचेना भागे मध्यमां सिंह छे, जे मंत्री भदाना पराक्रमनो संकेत आपतो होवानुं जणाय छे. तेनी डाबे प्रायः कळशधर सेवक छे, तो जमणे सरोवर- चिह्न छे.. प्रतिमालेख आ प्रमाणे छे : स्वस्तिश्री संवत १५७४ वर्षे महामासे क्रस्णपक्षे २ रवौ श्रीभावडरायगच्छे श्रीकालकाचार्यसंताने षांटडगोत्रे मंत्रिजावड भा. हारू पुत्र जिणदास-ऋषभदास-संघहत्र लाडण घपा मंत्रि संघहत्र भा० सुहागदे पु० कर्मसी-वासण-भीमा-डाहीआ मं. कर्मसी भा. जोगी पु० नरबद-पुनराजयुता स्वश्रेयसे कल्याणार्थं मंत्रीश्वर भदा मूत्रि कारापिता श्रीभावडरायगच्छे ।। - शी. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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