Book Title: Anupeha
Author(s): Pritam Singhvi
Publisher: Parshwa International Shaikshanik aur Shodhnishth Pratishthan

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Page 31
________________ मूलपाठ रहहि छंडहि भणिउ णाणु भायउ भणिओं जोइज भणिउं वियउ प्पुणु-प्पुणु एक भायं तथु समीहवि हाथ जु देवली देवलि मूतलांह t शुद्धि रहहिं छंडहिं भणिउ णाण. भाव भणिउ जोइज्जइ भणिउ विइयउ पुणु-पुणु एकु भाइ तत्तु समीहर हत्थ ज देवलिउ देउलि मुल्ला सो 29 मूलपाठ शुद्धि जाणियउं जाणइ. भणंतो जाणियउ यहु संसार एक्क निमित्तणइं जु लभइ बोल धारुण परिरहीय हं दोह सायंतह परमप्पउ णिवाणु णिमलु णिव्वाणुं जिणु भणइ जाणिवउ जाणउ भणंतउ जाणिवउ इ संसार एक्कउ निमित्तिण जि लब्भइ बोल्लइ धारण परिरहिउ नहि द्रोहक जायइ तह परम-पउ णिव्वाणु णिम्मलु णिव्वाणु जिण - भणिय

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