Book Title: Anupeha
Author(s): Pritam Singhvi
Publisher: Parshwa International Shaikshanik aur Shodhnishth Pratishthan

View full book text
Previous | Next

Page 30
________________ 28 भावह उत्तु जाणेहि मुणहि लहेइ मूलपाठ पणविवि भावाह उत्त मुणइं माणसु अमुलु वुहा परिहरइ तंकारणि सुय किंपि मूलपाठ की शुद्धि शुद्धि मूलपाठ शुद्धि पणवउ याणइ जाणइ चएवि चएइ जाणंवि लहेहि माणस वयहि चयहि अमुल्ल भणेइ भणेहि वुह स्तइलोउ तइलोउ परिहरहि जहि जहं तें कारणि परमप्प परमप्पह कंपि अण्णु प्परदरिवि परिहरिवि प्परहरिवि परिहरिवि सरणहो जिणु जिण भणइ भणहिं तइलायह सहज्यिउप्प जइ सहजि पिउप ज्जइ सामि भणंत भणंति परट्टि परिट्ठि उप्पजइ उप्पज्जइ हिंडइ भणंतिहु सड्डुसण्णु सुणिवि सुण्णुवि एकल्लु सुण्णु चयहि सुण्ण अणु . महु नहु सरणिहो जाइणे त्तईलोयहु जाणे Frt Eveffrrel EECH सामि मिछा मिच्छा हिंढइ भणंतहुं सदसणु एकलउ वयहि मणुं सुण सुइ मण्णु सुय किम किमी केवल केवलि


Page Navigation
1 ... 28 29 30 31 32 33 34 35 36