Book Title: Anjana Valmiki aur Vimalsuri ke Ramayano me Varnit
Author(s): Kaumudi Baldota
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 2
________________ डिसेम्बर २००७ का वृत्तान्त प्रस्तुत किया गया है । १५, १६, १७ तथा १८ इन चार उद्देशों में अञ्जनासुंदरी का उपकथानक लालित्यपूर्ण रीति से प्रस्तुत किया है । दोनों रामायणों में हनुमान के जन्म तथा बचपन का वृत्तान्त है। वाल्मीकि 'अञ्जना' को हनुमान की माता के रूप में ही वर्णित करते हैं । अञ्जना के जीवन का वृत्तान्त सविस्तर नहीं देते । विमलसूरि अञ्जना के जीवन में घटी हुई अनेक व्यामिश्र घटनाओं का बयान करते हैं । २. दोनों रामायणों में वर्णित अञ्जना का कुल, माता-पिता, जन्म तथा वरसंशोधन वाल्मीकि रामायण के अनुसार अञ्जना पूर्वभव में 'पुञ्जिकस्थला' नाम की विख्यात अप्सरा थी । ऋषि की शापवाणी से वह इस जन्म में वानर कुल में जन्मी थी । तथापि उसमें स्वेच्छानुसार रूप धारण करने का सामर्थ्य था । अञ्जना 'कुञ्जर' नामक वानराधिपति की कन्या थी । वह अत्यंत रूपवान थी । विमलसूरि के अनुसार वह महेन्द्र और हृदयसुन्दरी इन विद्याधर युगल की सबसे छोटी रूपवती कन्या थी । महेन्द्र राजा के मन्त्रियों ने अञ्जना ४. अंजणासुंदरी वीवाहविहाणाहियारो, पउमचरियं, उद्देश १५ पवणंजयअंजणासुन्दरीभोगविहाणाहियारो, पउमचरियं, उद्देश १६ अंजणाणिव्यासण-हणुउप्पत्तिअहियारो, पउमचरियं, उद्देश १७ पवणंजय-अंजणासुंदरीसमागमविहाणं, पउमचरियं, उद्देश १८ अप्सराप्सरसां श्रेष्ठा विख्यातपुञ्जिकस्थला । अञ्जनेतिपरिख्याता पत्री केसरिणो हरेः ॥ विख्याता त्रिषु लोकेषु रुपेणाप्रतिमा भुवि । अभिशापादभूत्तात कपित्वे कामरूपिणी ॥ दुहिता वानरेन्द्रस्य कुञ्जरस्य महात्मनः । किष्किन्धा-काण्ड, सर्ग ६६, श्लोक क्र. ८, ९, १० को पहली पंक्ति अह हिययसुंदरीए, महिन्दभज्जाएँ पवरपुत्ताणं । जायं सयं कमेणं, अरिन्दमाई सुरूवाणं । भइणी ताण कणिट्ठा, वरअञ्जणसुन्दरि ति नामेणं । रूवाणि रूविणीणं, होऊण व होज्ज निम्मविया ॥ पउमचरियं, उद्देश १५, गाथा क्र. ११-१२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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