Book Title: Anekant 1941 09
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 56
________________ अनेकान्तके सहायक जिन सजनोंने अनेकान्तकी ठोस सेवाओं के प्रति आशा है अनेकान्तके प्रेमी दूसरे सज्जन भी अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए, उसे घाटेकी चिन्ता आपका अनुकरण करेंगे और शीघ्र ही सहायक स्कीम से मुक्त रहकर निराकुलतापूर्वक अपने कार्य में प्रगति को सफल बनाने में अपना सहयोग प्रदान करके यश के भागी बनेंगे। करने और अधिकाधिक रूपसे समाज सेवाओं में अग्रसर होनेके लिये सहायताका वचन दिया है और नोट-जिन रकमों के सामने * यह चिन्ह दिया है वे इस प्रकार अनेकान्तकी सहायक श्रेणी में अपना नाम पूरी प्राप्ती हो चुकी है। लिखाकर अनेकान्तके संचालकोंको प्रोत्साहित किया तृतीय मार्ग से प्राप्त हुई सहायता है उनके शुभ नाम सहायताको रकम सहित इस द्वितीय मार्ग से प्राप्त हुई सहायता अनेकान्त की प्रकार हैं पूर्व किरणों में प्रकाशित हो चुकी है / तृतीय मार्ग से * 125) बा. छोटेलालजी जैन रईस, कलकत्ता।। प्राप्त हुई सहायता इस प्रकार है जिसके लिये दातार *101) बा० अजितप्रसादजी जैन एडवोकेट, लखनऊ महानुभाव धन्यवाद के पात्र हैं। * 101) बा० बहादुरसिंहजी सिंघी, कलकत्ता / 11) बा० राजकृष्ण जी जैन, दरियागंज, देहली 5) कुँवर लक्ष्मीनारायणजी जैन छावड़ा, कलकत्ता 100) साहू यांसप्रसादजी जैन, लाहौर / 5) ला० जम्बूप्रसादजी जैन रईस व बैंकर, मेरठ। * 100) साहू शान्तिप्रसादजी, जैन डालमियानगर। 4) बा० ज्योति सादजी जैन, एम. ए. वकील, मेरठ * 100) बा० शांतिनाथ सुपुत्र बा नन्दलालजी जैन, 4) ला० फूलचन्द नेमचन्दजी झावुक जैन, फलोधी कलकत्ता। 2) ला मामराजजी जैन, बूढाखेड़ी। 100) ला० तनसुखरायजी जैन न्यू देहली। 2) बा० गोपीलालजी जैन, लश्कर ग्वालियर। *100) सेठ जोखाराम बैजनाथजी सरावगी, कलकत्ता 2) स्व० ला० भिक्खीमलजी जैन मुनीम, मेरठ। 100) बा० लालचन्दजी जैन, एडवोकेट, रोहतक। 1) बा० छुट्टनलालजी जैन मुख्तार, मेरठ। 100) बा० जयभगवानजीवकील आदि जैन पंचान 1) बा० कैलाशचन्दजी जैन बी.एस.सी., मेरठ / पानीपत। 1) बा० शीतलप्रसादजी जैन रिठानेवाले, मेरहा। *51) राब० उलफतरायजी जैन इन्जिनियर, मेरठ अनेकान्त की सहायता के चार मार्ग *50) ला० दलीपसिंह काग़जी और उनकी मार्फत, देहली। (1) 25), 50), 100) या इससे अधिक रकम देकर 25) पं० नाथूरामजी प्रेमी, हिन्दी ग्रन्थ-रत्नाकर सहायकोंकी चार श्रेणियों में से किसीमें अपना नाम लिखाना। (2) अपनी ओरसे असमर्थोंको तथा अजैन संस्थाओं बम्बई। * 25) ला० रूड़ामलजी जैन, शामियाने वाले, को अनेकान्त फ्री बिना मूल्य) या अर्धमूल्यमें भिजवाना। और इस तरह दूसरोंको अनेकान्तके पढ़नेकी सविशेष प्रेरणा सहारनपुर। करना / (इस मदमें सहायता देने वालोंकी ओरसे प्रत्येक *25) बा० रघुवरदयालजी, एम. ए. करोलबाग, दस रुपयेकी सहायताके पीछे अनेकान्त चारको फ्री अथवा देहली। आठको अर्धमूल्य में भेजा जा सकेगा। *25 सेठ गुलाबचन्दजी जैन टोंग्या, इन्दौर / (3) उत्सव-विवाहादि दानके अवसरों पर अनेकान्तका * 25 ला० बाबूराम अकलंकप्रसादजी जैन, तिस्सा बराबर खयाल रखना और उसे अच्छी सहायता भेजना (मुम्न०) तथा भिजवाना, जिससे अनेकान्त अपने अच्छे विशेषाङ्क 25) मुंशी सुमतप्रसादजी जैन, रिटायर्ड अमीन, निकाल सके, उपहार ग्रंथोंकी योजना कर सके और उत्तम लेखों पर पुरस्कार भी दे सके / स्वतः अपनी ओर पहार सहारनपुर। ग्रंथोंकी योजना भी इस मदमें शामिल होगी। *25) ला० दीपचन्दजी जैन रईस, देहरादून। (4) अनेकान्तके ग्राहक बनना.. दसरोंको जनाला और * २मंद्रिका प्रकाशक पाल परमानौशा खीसेवामनिदारा, सरसावाले दियो न्यासललाल श्रीवास्तव द्वारा लावास्तवासम मादता / * 24/ संवाई. सिंघई धर्मदास भगवानंदासजी जैन, सामग्री जुटाना तथा उसमें प्रकाशित होने के लिये उपयोगी सतना। चित्रोंकी योजना करना, कराना। व्यवस्थापक अनेकान्त' ग्रंथोंकी मानेकान्तक श्रीवास्तवाल होने के

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