Book Title: Anekant 1941 09
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 54
________________ ४५६ ग्रन्थ-नाम सुगंधदशमी कथा 39 ,, सुन्दर विलास सुन्दरदास के सवैये सुभाषितार्णव (भा० टी०) सुभाषितसार सुमतिनाथ पुराण सुलोचना चरित्र (भा० टी० ) सूतिकाधिकार सोलहकारण व्रत कथा 33 स्वप्नाध्याय (जैन) स्वप्नावली (मरुदेवी स्वप्नफल) हनुवंत कथा हरिवंश पुराण हितोपदेश वचनिका वीरसेवामन्दिर, सरसावा ग्रन्थकार नाम मकरन्द पद्मावतीखाल पं० खुशालचंद पं० भैरोंदास पं० सुन्दरदास 99 दुलीचन्द पं० देवदत्त अनेकान्त पं० भैरोंदास ब्रह्मज्ञानसागर वृहस्पति देवनन्दी ब्रह्मरायमल कवि वाहन पं० श्रभयचन्द ( पृष्ठ ४७१ का शेषांश) तस्योत्तमपद्मसुंदर कविः श्री सुंदरादिप्रकाशां 'तशास्त्र मरीरवत्सहृदयैः संशोधनीयं मुदा ||३७|| पदार्थचिन्तामणिचारुसुंदर प्रकाशशब्दार्णवनाममिम्तवयं । जगजिगीषु ज्जयंतत्सितां मुखे तरंगरंगो विरण्य पंचमः ॥ ६८ ॥ इति श्रीमन्नागपुगेयतपागच्छनमोनमामणि पंडितोत्तम श्री मेरुगुरु शिष्य पं० श्री पद्मसुंदरविरचिते सुंदरप्रकाशे शब्दार्णवे पंचमस्तरंगः पूर्णः तत्समाद्दौपूर्ण: श्रीसुंदर प्रकाश ॥ सं० १६ - *यहां तक ग्रंथोंके जो भी वाक्य उद्धृत किये गये हैं वे बहुत कुछ शुद्ध हैं । शायद प्रतियाँ ऐसी ही अशुद्ध लिखी हुई होंगी, परन्तु लेखकने उसका कोई नोट नहीं किया । -सम्पादक भाषा हिंदी पद्य ५४ १४४ 23 "" हिंदी पद्य 39 " ८४ " गद्य " पद्य 39 " ११ गद्य सं० हिंदी हिदी पद्य ७१ ३७ 95 सं० पद्य ४६ " " "" हिंदी पद्य २२ " गद्य [ वर्ष ४ पत्र संख्या रचना सं० लिपि सं० ११ १० १८ ७६ ५८ १०४ ४१ २६ ५६ १६ ६ ४ ४ २ ७० ८७ ३५३ १७९२ १७९१ १६११ १६१६ १९६६ १९४७ ता०. प्रतिपरिचय — इसकी एकमात्र प्रति पनेचंदजी सिंधी संग्रहसुजान गढ़में देखने में भाई है। पत्र ८८, प्रति पृष्ठ पंक्ति १४ और प्रति पंक्ति अन्तर ४४ के करीब हैं, सरदीके कारण कहीं २ अक्षर नष्ट होगये हैं। कहीं २ पक्ष फट गये हैं। ३ प्रमाणसुंदर । ४ रायमल्लाभ्युदय काव्य (सं० १६१५ ) * पार्श्वनाथकाव्य (सं० १६१६ लि०) बीकानेरस्टेट ला० । ६ जंबूचरित्र ( बीकानेर ज्ञानभंडार ) ७ हामन (यन् ?) सुंदर (ज्योतिषकी, बीकानेर स्टेट लाइब्र ेरी) ८ परमत व्यच्छेद स्याद्वादसु दरद्वात्रिंशिंका( बीकानेर स्टेट ला• 8 षटभाषागर्भित नेभिस्तव गाथा ३० (हमारे संग्रहमें) १० वरमंगलमालिका स्त्रोत्र गा० २१ (बी० स्टेट लायब्र ेरी) ११ भारती स्तोत्र । (उ० सूरीश्वर सम्राट ) इनके सिवाय और ग्रंथोंका कुछ पता अभी तक मालूम नहीं हो सका ।

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