Book Title: Ancient Jaina Hymns
Author(s): Charlotte Krause
Publisher: Oriental Institute
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ANCIENT JAINA HYMNS तुहजि गति, तुहजि मति, तुहजि मम जीवन
तात, तरं परम गुरु, कम्म-मल-पावनं । कम्मकरु विणय-परु जोडि कर वीनवउं
देहि मे दसणं अलजया अभिनवं ॥२०॥ इय, भुवन-भूषण, दलिय-डूषण, सव्व-लक्खण-मंडणो,
मद-मान-गंजण, मोह-भंजण, वाम-काम-विहंडणो । सुरराय-रंजण, नाण-दसण-चरण-गुण-जय-नायको
जिण-नाह, भवि भवि, तात, भव मे बोधि-बीजह'दायको ॥२१॥
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