Book Title: Anand Pravachan Part 06 Author(s): Anand Rushi, Kamla Jain Publisher: Ratna Jain Pustakalaya View full book textPage 5
________________ प्रकाशकीय आनन्द प्रवचन का यह छठा भाग पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए हमें प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है । अभी १३ फरवरी को अमृत महोत्सव के प्रसंग पर पाँचवें भाग का विमोचन सम्पन्न हुआ था, हम दोनों भाग का विमोचन साथ ही कराना चाहते थे, किन्तु मुद्रण कार्य में कुछ विलम्ब हो जाने से वैसा सम्भव नहीं हुआ । अस्तु — आनन्द प्रवचन के पिछले पाँच भाग पाठकों ने बड़े उत्साह और प्रेम के साथ अपनाये हैं । स्थान-स्थान से उनकी माँग बराबर आ रही हैं । सामान्य पाठकों को प्रेरणाप्रद सामग्री उसमें मिली है । इसी प्रकाशन श्रृंखला में अभी - अभी 'भावना योग' नामक महत्वपूर्ण पुस्तक भी प्रकाश में आई है । भावनायोग में भावना के सम्बन्ध में बड़ा ही मौलिक तथा अनुसंधानपरक जीवनोपयोगी विवेचन किया गया है । इस पुस्तक का सम्पादन प्रसिद्ध विद्वान श्रीचन्द जी सुराना 'सरस' ने किया है । प्रस्तुत छठे भाग में संवर तत्त्व के विवेचन पर आचार्य श्री के २८ प्रवचन हैं । कुशल सम्पादिका बहन श्री कमला "जीजी" ने बड़े ही श्रम और अध्यवसाय के साथ इन प्रवचनों का सम्पादन किया है । 'जीजी' ने साहित्य सेवा के क्षेत्र में जो उपलब्धि की है, वह चिरस्मरणीय रहेगी । इस पुस्तक का मुद्रण पूर्व भागों की भाँति श्रीयुत श्रीचन्द जी सुराना की देख-रेख में हुआ है । उनका योगदान बहुमूल्य है । प्रकाशन - मुद्रण में श्री गुलशनराय जैन एन्ड संस देहली एवं श्री श्यामलाल जैन भटिंडा आदि सज्जनों का उदार अर्थ सहयोग प्राप्त हुआ तदर्थं हम उनके आभारी हैं। आशा है पाठक इसे भी उत्साहपूर्वक अपनायेंगे । Jain Education International मन्त्री श्री रत्न जैन पुस्तकालय, पाथर्डी For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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