Book Title: Anand Pravachan Part 06
Author(s): Anand Rushi, Kamla Jain
Publisher: Ratna Jain Pustakalaya

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Page 10
________________ ( ६ ) अहिंसा, सत्य और संयम की शास्वत आभा से अपने अंतर्मन को ज्योतिर्मान करेंगे । अन्त में केवल इतना ही कि आचार्य देव के प्रवचन -संग्रहों के सभी भागों का संपादन करने का जो सुअवसर मुझे मिला है यह मेरे लिए बड़े गर्व और गौरव की बात है । साथ ही असीम हर्ष एवं सन्तोष इस बात का भी है कि पाठकों ने मेरे सम्पादन को पसन्द किया है । समय-समय पर यह ज्ञात होने से मिली है और मेरे उत्साह में अभिवृद्धि होती रही है । मुझे बड़ी प्रेरण आशा है मेरे इस प्रयास को भी पाठक पसंद करेंगे तथा असावधानीवश कोई त्रुटि रह गई हो तो उदारतापूर्वक उसे क्षमा करते हुए प्रवचनों के मूल विषयों को हृदयंगम करेंगे । किं बहुना '' Jain Education International - कमला जैन 'जीजी' एम. ए. For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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