Book Title: Amardeep Part 02
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Aatm Gyanpith

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Page 330
________________ ३०४ अमरदीप लेकिन यहाँ, यह भी समझ लेना उपयुक्त होगा कि कोई भी रचना अकारण ही जनता का कण्ठहार नहीं बन जाती। उसमें अपनी स्वयं की कुछ मौलिक विशेषताएँ होती हैं, कुछ गुण होते हैं, प्रेरणाएँ होती हैं और जीवनहोती हैं । सबसे बड़ी विशेषता होती है - साधारण जन सरलता से समझ सकें, ऐसी सहज, सरल और प्रवाह युक्त शैली तथा भाषा । ऋषिभाषित सूत्र में ये सभी गुण भरपूर मात्रा में हैं । इसमें जितने भी कथन हैं, सभी अनुभूत सत्य हैं । इसमें एक सर्वागपूर्ण जीवन दृष्टि है । पाठक के जीवन के लौकिक और लोकोत्तर - सभी क्षेत्रों में समुचित प्रेरणा का प्रकाश इसके अध्ययनों प्राप्त होता है । मैं आप लोगों से अनुरोध करता हूँ कि इसमें दिये गये प्रेरणा सूत्रों को जीवन व्यवहार में लाइये। यदि आप ऐसा करेंगे तो आपका व्यावहारिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार का जीवन सफल बनेगा, ऐसी आशा है। अन्त में आपसे यही कहूंगा कि आप अपने जीवन को अधिक स्वस्थ, सुखी; समझदारीपूर्ण और शान्त बनाने का संकल्प लें ।

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