________________ कृति और कृतिकार संसार में छाया हुआ रात का सघन अन्धकार जैसे दीपक या बत्ती जलाकर दूर किया जाता है, वैसे ही मन के भीतर में, मोह या वासना, अज्ञान या मिथ्यात्व का अन्धकार दूर करने के लिए 'ज्ञान' का दीपक जलाया जाता है। यह ज्ञान दीपक महापुरुषों के वचन रूप दीवट में स्वाध्याय का तेल-बाती डालकर चिन्तन-मनन रूप चिनगारी को रगड़ से प्रज्ज्वलित होता है, और जीवन में ज्ञान का आलोक फैल जाता है। इसी प्रकाश में मानव स्वयं को पहचानता है, अपनी आत्मशक्तियों को जानता है और जीवन के ऊर्ध्वमुखी विकास के लिए पुरुषार्थ करता है। प्रस्तुत 'अमरदीप' 'ऋषिभाषितानि' नामक प्राचीन अध्यात्मशास्त्र के आधार पर वर्तमान सन्दर्भ में दिये गये प्रवचनों का संकलन है। ऋषिभाषितानि ग्रन्थ--भारतीय परम्परा के 45 महान ऋषियों के जीवन अनुभवों से निःसृत अध्यात्म-वचनों का एक अद्भुत संग्रह है / इस चिन्तन प्रधान शास्त्र के आधार पर श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रमण संघ के उत्तर भारतीय प्रवर्तक भण्डारी श्री पदमचन्द जी महाराज के सुशिष्य प्रवचन भूषण, वाणी के जादूगर, उत्तरभारत केसरी, भारतीय धर्म एवं संस्कृति के मर्मज्ञ विद्वान कवि श्री अमरमुनि जी महाराज ने भारतीय धर्म, संस्कृति और दर्शन के प्रकाश में जो महत्वपूर्ण प्रवचन दिये, जो अपना मौलिक चिन्तन दिया वह प्रस्तुत है इसी 'अमर दीप' में। 'अमर दीप' वास्तव में ही अज्ञान और मोह के अन्धकार में निष्काम ज्ञानयोग का दीपक सिद्ध होकर जीवन में प्रकाश फैलायेगा / शान्ति और अध्यात्म शक्ति प्रदान करेगा।