________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अमरकोष का कोषशास्त्रीय तथा भाषाशास्त्रीय अध्ययन लेखक-डॉ० कैलाशचन्द्र त्रिपाठी कोषग्रन्थों में 'अमरकोष' का प्रचलन सर्वाधिक है। यदि कहा जाय कि 'अमरकोष' के अतिरिक्त शब्दज्ञान का व्यावहारिक लघुभूत उपाय दूसरा कोई नहीं तो इसमें अतिशयोक्ति नहीं है। इसकी उपादेयता का मूल्याङ्कन अब तक उपेक्षित रहा है। डा० कैलाशचन्द्र त्रिपाठी ने प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध लिखकर इस अभाव की पूर्ति की है। प्रस्तुत ग्रन्थ में शोधकर्ता ने कोषविद्या के विकास एवं तुलनात्मक विश्लेषण को ध्यान में रखते हए भाषाशास्त्रीय दृष्टिकोण को अपना कर शब्दों के स्वरूपात्मक-विवेचन में समन्वयात्मक मार्ग अपनाया है। इस कारण इस ग्रन्थ की उपयोगिता और बढ़ गई है। शब्दों की प्रायोगिक विशेषताओं की समीक्षा किये जाने से इसका व्यावहारिक पक्ष और अधिक व्यापक हो गया है। मूल्य 30-00 अभिधानचिन्तामणिः हेमचन्द्र कृत 'मणिप्रभा' हिन्दी व्याख्या, विमर्श सहित व्याख्याकार-पं० श्री हरगोविन्द शास्त्री प्रस्तुत कोश-ग्रन्थ सारपूर्ण विस्तृत हिन्दी टीका एवं अपूर्व कोश-कला से परिपूर्ण है। इसकी विस्तृत भूमिका, विषय-सारणी, नव-शब्द-योजना तथा अन्तिम शब्दानुक्रमणिका अत्यन्त ही उपादेय और प्रशस्त है / 45-00 आदश हिन्दी-संस्कृत-कोश सम्पादक-प्रो० रामस्वरूप शास्त्री इस कोश में लगभग चालीस सहस्र हिन्दी-हिन्दुस्तानी शब्दों तथा मुहावरों के संस्कृत पर्याय दिये गये हैं। प्रत्येक शब्द का लिंगनिर्देश भी किया गया है। हिन्दी क्रियापदों के संस्कृत धातुओं के गण, पद, सेट, अनिट, वेट, णिजन्त आदि के रूप भी दिये गये हैं। सुसंस्कृत तथा परिवधित द्वितीय संस्करण 60-00 पुस्तक-प्राप्तिस्थानचौखम्बा सुरभारती प्रकाशन, गोपालमन्दिर लेन, वाराणसी For Private and Personal Use Only