Book Title: Agamsaddakoso Part 2
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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૧૮
आगमसद्दकोसो
कउहि (ककुद्यत्] jटीमी, Miraj
अनुओ. १५०; कओ [कुतस्] यांथी, वी रीत
आया. १४१,१५२,४६२; सूय. ९६,२३४,२३५,२३६; भग. ७२,१००३, नाया. १२३; जीवा. १४,१३१,३३०; पन्न. ३३८,३४२,३८०; जंवू. २६०; उत्त. १७१, अनुओ. १९०; कओ [क्व] स्या
नाया. १२३; कओहिंतो [कुतः] स्यांची
भग. ८४६,८४९ थी ८६०; कंक [क] मे तनुं पक्षी
सूय, १५०,५२३,५२४; भग. ३६०,५५३; पण्हा. ८,१९, जीवा. १८५; पन्न. १६३; जंबू. ४९; कंकग्गहणी [कङ्कग्रहणी] तीर्थ २ अने युगल - જેની ગુદા વિટાથી ન ખરડાય
जंबू. ३४; कंकड [कङ्कट] क्य, अन्तर उव. ३१;
राय, ३१,५२; जीवा. १६४; दसा. १०१; कंकडइय [दे. वययुत
पण्हा. १५; कंकडग [कङ्कटक] वय, अन्तर
जंबू. ७३,१२१; कंकण [कङ्कण] 1, मे आभूषण
भग, ५२२; पुप्फि , ८; कंकावंस [दे.] isवाणी में वनस्पति
पन्न, ६६; कंकोल [कङ्कोल] वनस्पति विशेष
जीवा. १८५; कंकोवम [कङ्कोपम] ४५क्षी समान
ठा. ३६३; कंख [काङ्क्ष] ६७j, याsj
आया. २०९; सूय. ३०५,३५१,४१०; नाया. १७६;
उव. १२; राय, ५९;
दसा. ९६; उत्त. १२८,१५९; कंखपओस [काङ्क्षप्रदोष] मोटा मतनी छ। કરવી તે, મિથ્યાત્વ મોહનીયનો એક ભાગ
भग. ३; कंखा [काङ्क्षा] ममिलाषा, 291, दोम
आया. १७३; सूय. ६२०; सम. १३०
भग. ५४२; उवा. ९;
पण्हा. १४,४४, आउ. ११;
दसा. १४, उत्त, ५१२ थी ५२१; कंखापदोस [काङ्क्षाप्रदोष) हुमो ‘कंखपओस'
भग. ९६; कंखामोहणिज्ज [काङ्क्षामोहनीय] भोडनीय કર્મની એક પ્રકૃતિ भग, ३४,३५,३७,४२,४४,५५;
उत्त. ११३३; कंखि [काङ्क्षिन्] ६७२
तंदु. २५; कंखित [काङ्क्षित] Dj, iक्षित ठा. २३७; ३४७; भग. ३७,४५,८४,११२,४६७,४८७,५०८,
५२८,६४५; कंखिय [काङ्क्षित] हुमो ७५२' नाया. ६०,९२, उवा. १८,२७; राय. ७५,
तंदु. २४; दसा.१४; कंगु [कङ्गु] मे धान्य, ६ सूय. ६५२;
ठा. ६७२; भग. ३०२,८१६; पन्न. ७९, . जंबू. ३७,८८; कंगुया [क] मे तनी वेद
पन्न. ६०; कंचन [काञ्चन] सोनु, मे, पर्वत, || सूय. ३६३; ठा. ६९३,६६२,७६६;
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