Book Title: Agamsaddakoso Part 2
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 18
________________ [सुत्तंकसहिओ] क [क] रेल पायनो स्वीडअर, सुख राय. २४; क [क] खात्मा संथा. ४६; क [किम् ] डोश, शुं आया. ३; सम. १०९; नाया. ५; अनुत्त. १; विवा. १; सूर. ६; निर. ४; तंदु. २४, २५; देविं. ८,१०; वव. १२२; दस. ४; नंदी. ६१; कइ [कति] डेटला ठा. ६१८; नाया. ५; अनुत्त. १; राय. ७२, ७७; क ठा. १४३; भग. २२; अंत. १: पण्हा. ७; पत्र. १; जंबू. १५; भत्त. ११७,१५९; गच्छा. ९,१९; Jain Education International बुह. ३९; दसा. ४; उत्त. ९५; अनुओ. ११; सम. २४६,२४९, २५२; अंत. १; उव. ५४; जीवा. १४, १७, ९५,१३१,१३२, २०७, २२७; पन्न. ४२८, ४६७, ५२८, ५३०,५४७; सूर. ३१,३३; जंबू. १३, १९४; कप्प. १; तंदु. २३; कइ [ क्वचित् ] म्यारे, अर्ध स्थाने चंद. ३५,३७, निर. ४; पुप्फ. १; अनुओ. ९८, १०८, ११६; दस. ५३८; कइ [कवि] वि, डाव्य बनावनार अनुओ. १७७; कइकिरिय [कतिक्रिय] डेटली क्रियावाणी भग. ६६३; कइभाग [ कतिभाग] लामो लाग 22 भग. २१, कइय [कथित ] हेवायेस महाप. ५०, कइय [ क्रयिक] ग्राह ખરીદનાર वव. १८२; भग. २४५; उत्त. १४५७, कइर [ कदर ] वांसनी खेड भात ૧૭ पत्र. ४६४, कइरसार [कदरसार] वांसनो मध्यभाग पत्र. ४६४; कइलास [ कैलास ] नागरानो भेड खावास પર્વત, એક દેવતા जीवा. १५८; कइवय [ कतिपय ] डेटला नाया. ८७, १४४; कइविया [ कैतविका] प्रेशीथी भशिबंध सुधीनो હાથભાગ नाया. ५; कइविह [ कतिविध ] डेटला प्रहारे सम. २४६, २४७,२५२ थी २५४; भग. १६,३०, १७८, २०५, २६८,५३९,६८२, ९५५,१०२९,१०३३,१०३५, १०३६, १०३८, १०४२; पन्न. ४३८,५१०, ५७३; जंबू. २७, २७८, २८४; अनुओ. २९८,३३९; कइसंचिय [ कतिसञ्चित] संख्याथी गाशाय તેટલા એક સમયે ઉત્પન્ન થના૨ For Private & Personal Use Only ठा. १७३; भग. ८०५; कइसमइय [ कतिसामयिक ] डेटला समयनुं उव. ५४; कइ [ कवी ] वि. तंदु. १०९; कउह [ ककुद ] जजहनी जांघ नाया. ११७,१८७, १९७; दसा. १०१; www.jainelibrary.org

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