Book Title: Agamoddharak Kruti Sandohasya Part 05 Author(s): Manikyasagarsuri Publisher: Mithabhai Kalyanchandji Pedhi View full book textPage 9
________________ जैनगीता। न व्यक्तिपूज्यतावादा, न भक्ताधीनतत्पराः / ... गुणलभ्यपदोद्देशा, भव्योद्धारपथोद्धुराः // 9 // भक्तिर्गौणा गुणा मुख्या, येषां निर्मलशासने / सङ्घः पापपरावर्ती, सिद्धान्तः सिद्धिसाधकः // 10 // भावप्राप्यफलाऽऽलाफा, निग्रहाऽनुग्रहोज्झिताः / सर्वस्वातन्त्र्यमार्गस्य, यथार्ह, देशका भुवि // 11 // नायुधैर्न च क्रोधाद्यै-रमीषा दूषिताऽऽकृतिः / आत्माऽऽदर्शधरा मूर्ति-हेतुस्त्यागधियोऽमलः // 12 // यस्याऽऽज्ञाराधना मुक्ते-हेतुस्तद्गुणसंश्रया / भक्तिः श्रेष्ठतमा सानु-रागा त्यागे तदीयके // 13 // अमर्त्यमर्त्यसम्पत्त्योः , श्वभ्रितिर्यग्गताऽऽपदाम् / विधातृत्वेन लोकानां, न मृषावञ्चनापराः / / 14 / / जगद्विधानस्थैर्यान्तै- पका न भवाङ्गिनाम् / यथाकर्म फलं प्राहु-रङ्गिनां हितकामुकाः // 15 // एवंविधान् विविधभावमयाञ्जिनेशान् , मन्येत यो विहितदानदयोद्यमश्च / हित्वाऽपरान् कुपथगामिन आप्तिवन्ध्यान , जैनः स एव. ननु मुक्तिपदप्रधानः / // 16 // .... ... इति प्रथमोऽध्यायः P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TrustPage Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 247