Book Title: Agam Suttani Satikam Part 14 Nirayavalika Aadi 10agam payanna
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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निरयावलिका-उपाङ्गसूत्रम्-१/६ सुष्ठुसङ्गोप्यते, एवं साऽपि तथोच्यते। चोलापेडाइव सुसंपरिग्गहिया' वस्त्रमञ्जूषेवेत्यर्थः। 'सा काली देवी सेणिएण रन्ना सद्धिं विउलाई भोगभोगाइं भुंजमाणा विहरइ'।
मू. (६) तीसे णं कालीए देवीए पुत्ते काले नाम कुमारे होत्था, सोमाल जाव सुरूवे तते णं से काले कुमारे अन्नया कयाइ तिहिं दंतीसहस्सेहिं तिहिं रहसहस्सेहिं तिहिं आससहस्सेहिं तिहिं मणुयकोडीहिं गरुलवूहे । एक्कारसमेणं खंडेणं कूणिएणं रन्ना सद्धिं रहमुसलं संगामं ओयाए।
वृ.कालनामा च तत्पुत्रः 'सोमालपाणिपाए' इत्यादि प्रागुक्तवर्णकोपेतो वाच्यः, यावत् 'पासाइए दरिणिजे अभिरुवे पडिरूवे' इति पर्यन्तः । सेणियस्स रज्जे दुवे रयणा अट्ठारसवंको हारो १ सेयणगे हत्थीए २।तत्थ किर सेणियस्सरन्नोजावइयंरज्जस्स मुलं तावइयं देवदिन्नहारस्स सेयणगसस्स य गंधहत्थिस्स । तत्थ हारस्स उप्पत्ती पथावे कहिजिस्सइ । कूणियस्स य एत्थेव उप्पत्ती वित्थरेण भणिस्सइ, तत्कार्येण कालादीनां मरणसंभवात् आरम्भसङ्ग्रामतो नरकयोग्यकर्मोपचयविधानात्।नवरंकूणिकस्तदा कालादिदशकुमारान्वितश्चम्पायांराज्यंचकारस सर्वेऽपि चतेदोगुन्दुगदेवा इव कामभोगपरायणास्त्रयस्त्रिंशाख्या देवाः फुट्टमाणेहिंमुइंगमत्थएहिं वरतरूणिसप्पिणिहिएहिं बत्तीसइपत्तनिबद्धेहिं नाडएहिं उगिजमाणा भोगभोगाइं मुंजमाणा विहरति । हल्लविहल्लनामाणो कूणियस्स चिल्लणादेवीअंगजाया दो भायरा अन्नेऽवि अत्थि।अहुणा आहरस्स उप्पत्ती भन्नइ-इत्थ सक्को सेणियस्स भगवंतं पइ निच्चलभत्तिस्स पसंसं करेइ।
तओ सेड्यस्सजीवदेवोतब्भत्तिरंजिओ सेणियस्स तुट्ठो संतोअट्ठारसवंकंहारं देइ, दोन्नि यवट्टगोलकेदेइ । सेणिएणंसोहारोचेल्लणाए दिन्नोपियत्तिकाउं, वट्टदुगंसुनंदाए अभयमंतिजननीए ताए रुट्ठाए किं अहं चेडरूवं ति काऊण अच्छोडिया भग्गा, तत्थ एगम्मि कुंडलजुयलं एगम्मि वत्थजुयलं तुट्ठाए गहियाणि । अन्नाया अभओ सामिं पुच्छइ-'को अपच्छिमो रायरिसि' त्ति । सामिणा उद्दायिणो वागरिओ, अओ परंबद्धमउडान पव्वयंति । ताहे अभएण रज्जं दिज्जमाणन इच्छियंति पच्छा सेणिओ चिंतेइ 'कोणियस्स दिजिहि' त्ति हल्लस्स हत्थी दिन्नो सेयणगो विहल्लस्स देवदिन्नो हारो, अभएण वि पव्वयंतेण सुनंदाए खोमजुयलं कुंडलजुयलं च हल्लविहल्लाणं दिनाणि।महया विहवेणअभओनियजननीसमेओपव्वइओ।सेणियस्सचेलणादेवीअंगसमुब्भूया तिन्नि पुत्ता कूणओ हल्लविहल्ला य । कूणियस्स उप्पत्ती एत्थेव भणिस्सइ।
___ कालीमहाकालीपमुहदेवीणं अन्नासिं तणया सेणियस्स बहवे पुत्ता कालपमुहा संति । अभयम्मि गहियव्वए अन्नया कोणिओ कालाईहिं दसहिं कुमारेहिं समं मंतेइ-‘सेणियं सेच्छाविग्धकारयं बंधित्ता एक्कारसभाए रज्जं करेमो'त्ति, तेहिं पडिस्सुयं, सेणिओ बद्धो, पुव्वन्हे अवरन्हे य कससयं दवावेइ सेणियस्स कूणिओ पुवभवे वेरियत्तणेण चेल्लणाए कयाइ भोयं न देइ भत्तं वारियं पाणियं न देइ । ताहे चेल्लणा कहऽवि कुम्मासे वालेहिं बंधित्ति सयारंवसुरंपवेसेइ सा किर धोव्वइ सयवारे सुरा पाणियं सव्वं होइ, तीए पहावेण सो वेयणं न वेएइ । अन्नया तस्स पउमावईदेवीए पुत्तो एवं पिओ अस्थि, मायाए सो भणिओ-“दुरात्मन् ! तव अंगुली किमिए वमंती पिया मुहे काऊण अस्थियाओ, इयरहा, तुम रोवंतो चेव चिढेसु"।ताहे चित्तंमणागुवसंतं जायं मए पिया एवं वसणं पाविओ, तस्स अधिई जाया, भुंजंतओ चेव उट्ठाय परसुहत्थगओ, अन्ने भणंति लोहदंडंगहाय, नियलाणिभंजामि'त्तिपहाविओ। रक्खवालगो नेहेण भणइ-'एसो सो पावो लोहदंडं परसुंवा गहाय एइत्ति।
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