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15] ( वर्तमान आणे ४५मागमभा ५ भाष्यं ) क्रम भाष्य श्लोकप्रमाण क्रम भाष्य गाथाप्रमाण | निशीषभाष्य ७५००
आवश्यकभाष्य *
४८३ बृहत्कल्पभाष्य ७६००
ओघनियुक्तिभाष्य * ३२२ व्यवहारभाष्य | ६४०० ८. पिण्डनियुक्तिभाष्य पञ्चकल्पभाष्य । ३१८५
दशवैकालिकभाष्य * | जीतकल्पभाष्य | ३१२५ १०. | उत्तराध्ययनभाष्य (?)|
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नाय.
नोध:(१) निशीष , बृहत्कल्प मने व्यवहारभाष्य न त सङ्घदासगणि धोवान ४ाय छे.
अमारा संपाइनभ निशीष भाष्य तेनी चूर्णि साथे भने बृहत्कल्प तथा व्यवहार
भाष्य तेनी-तेनी वृत्ति साथे समाविष्ट थयुं छे. (२) पञ्चकल्पभाष्य अमा. आगमसुत्ताणि भाग-३८ wiusशात ययुं. (3) आवश्यकभाष्य भा. या प्रभाए। ४८३ सयुं मां १८3 या मूळभाष्य ३
भने 300 या अन्य भाष्यनी छे. नो समावेश आवश्यक सूत्रं-सटीकं भां या छे. [. विशेषावश्यक. भाष्य पूज४ प्रसिध्ध थयु छ ५९ ते सम आवश्यकसूत्र- 6५२नुं भाष्य नथीने अध्ययनो अनुसार नी मममसर वृत्ति આદિ પેટા વિવરણો તો સાવથવક અને ગીતા એ બંને ઉપર મળે છે. જેનો मोममे नथी.] (४) ओघनियुक्ति, पिण्डनियुक्ति , दशवकालिकभाष्य नो समावेश तेनी तनी वृत्ति भां
यो ४ छे. ५० तेनो पता विशेनो 60 अमोने मणेद नथी. [ओघनियुक्ति
6५२ 3000 3 प्रभारी भाष्यनो 6dy tu मणेर छ.] (५) उत्तराध्ययनभाष्यनी गाथा नियुक्तिमा मणी या संमछे (?) (5) मा शत अंग - उपांग - प्रकीर्णक - चूलिका भे. ३५ आगम सूत्रो 6५२नो
માગનો ઉલ્લેખ અમારી જાણમાં આવેલ નથી. કોઈક સ્થાને સાક્ષી પાઠ-આદિ
स्व३ भाष्यगाथा सेवाभणे छे. (७) भाष्यकर्ता तरी भुध्य नाम सङ्घदासगणि सेवा भणेल छे. तेभ४ जिनभद्रगणि
क्षमाश्रमण भने सिद्धसेन गणि नो 41 d५ भणे छे. 32cts भाष्यना l અજ્ઞાત જ છે.
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