Book Title: Agam Sutra Satik 06 Gnatadharmakath AngSutra 06
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 268
________________ क्रम १. २. ३. ४. ५. [5] વર્તમાન કાળે ૪૫ આગમમાં ઉપલબ્ધ માબં भाष्य निशीष भाष्य वृहत्कल्पभाष्य व्यवहारभाष्य पञ्चकल्पभाष्य जीतकल्पभाष्य श्लोकप्रमाण क्रम ६. ७. ७५०० ७६०० ६४०० Jain Education International ८. ३१८५ ९. ३१२५ १०. भाष्य नोंध : (१) निशीष, बृहत्कल्प अने व्यवहारभाष्य ना डर्ता सङ्घदासगणि होवानुं भगाय छे. अभारा संपाद्दनमां निशीष भाष्य तेनी चूर्णि साथै जने बृहत्कल्प तथा व्यवहार भाष्य तेनी-तेनी वृत्ति साधे समाविष्ट थयुं छे. (२) पञ्चकल्पभाष्य अभा२श आगमसुत्ताणि भाग-३८ मां प्राशीत थयुं. (3) आवश्यकभाष्य भां गाथा प्रभास ४८३ सच्युं मां १८३ गाथा मूळभाष्य ३५ छे भने ३०० गाथा अन्य भेड भाष्यनी छे छेनी समावेश आवश्यक सूत्र-सटीकं भां अर्यो छे. [भे } विशेषावश्यक भाष्य भूषण प्रसिध्ध थयुं छेपारा ते समग्र आवश्यक सूत्र- ५२नुं भाष्य नथी जने अध्ययन अनुसारनी अलग अलग वृत्ति આદિ પેટા વિવરણો તો ગવશ્ય અને નીતત્ત્વ એ બંને ઉપર મળે છે, જેનો અત્રે ઉલ્લેખ અમે કરેલ નથી.] - आवश्यकभाष्य ★ ओघनियुक्तिभाष्य ★ पिण्डनिर्युक्तिभाष्य * दशवैकालिकभाष्य ★ उत्तराध्ययनभाष्य (?) (४) ओघनियुक्ति, पिण्डनिर्युक्ति, दशवैकालिकभाष्य नो सभावेश तेनी तेनी वृत्ति भां थ्यो ४ छे. पारा तेनो र्ता विशेनो उल्लेख अमोने भणेस नथी. [ ओघनियुक्ति ઉપર ૩૦ શ્લોક પ્રમાણ માથ્યનો ઉલ્લેખ પણ જોવા મળેલ છે. (५) उत्तराध्ययनभाष्यनी गाथा नियुक्तिभां लजी गयानुं संभणाय छे (?) (ई) या रीते अंग - उपांग प्रकीर्णक चूलिका ने ३५ आगम सूत्रो (परनो डोई માળનો ઉલ્લેખ અમારી જાણમાં આવેલ નથી. કોઈક સ્થાને સાક્ષી પાઠ-આદિ स्व३पे भाष्यगाथा भेवा भजेछे. (७) भाष्यकर्ता तरी मुख्य नाम सङ्घदासगणि भेवा भणेस छे तेम४ जिनभद्रगणिक्षमाश्रमण ने सिद्धसेन गणि नो पर उस्ले भणे छे. उटलांs भाष्यना डर्ता અજ્ઞાત જ છે. - गाथाप्रमाण ४८३ ३२२ ४६ ६३ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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