Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 06
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

View full book text
Previous | Next

Page 273
________________ २७२ देखते हुए विचरण करेंगे । तत्पश्चात् दृढप्रति केवली इस प्रकार के विहार से विचरण करते हुए अनेक वर्षों तक केवलिपर्याय का पालन कर, आयु के अंत को जानकर अपने अनेक भक्तों- भोजनों का प्रत्याख्यान व त्याग करेंगे और अनशन द्वारा बहुत से भोजनों का छेदन करेंगे और जिस साध्य की सिद्धि के लिये ननभाव, केशलोच, ब्रह्मचर्यधारण, स्नान का त्याग, दंतधावन का त्याग, पादुकाओं का त्याग, भूमि पर शयन करना, काष्ठासन पर सोना, भिक्षार्थ परगृहप्रवेश, लाभअलाभ में सम रहना, मान-अपमान सहना, दूसरों के द्वारा की जानेवाली हीलना, निन्दा, खिंसना, तर्जना, ताड़ना, गर्हा एवं अनुकूल-प्रतिकूल अनेक प्रकार के बाईस परीषह, उपसर्ग तथा लोकापवाद सहन किये जाते हैं, मोक्ष की साधना करके चरम श्वासोच्छ्वास में सिद्ध हो जायेंगे, मुक्त हो जायेंगे, सकल कर्ममल का क्षय और समस्त दुःखों का अंत करेंगे । आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद [८५] गौतम स्वामी ने कहा- भगवान् ! वह ऐसा ही है जैसा आपने प्रतिपादन किया है, इस प्रकार कहकर भगवान् गौतम ने श्रमण भगवान महावीर को वंदन - नमस्कार किया । संयम एवं तप से आत्मा को भावित करते हुए विचरने लगे । भय के विजेता भगवान् को नमस्कार हो । भगवती श्रुत देवता को नमस्कार हो । प्रज्ञप्ति भगवती को नमस्कार हो । अर्हत् भगवान् पार्श्वनाथ को नमस्कार हो । प्रदेशी राजा के प्रश्नों के प्रदर्शक को नमस्कार हो । १३ राजप्रनीय - उपांगसूत्र- २ का हिन्दी अनुवाद पूर्ण आगमसूत्र भाग - ६ - हिन्दी अनुवाद पूर्ण

Loading...

Page Navigation
1 ... 271 272 273 274