Book Title: Agam 44 Chulika 01 Nandi Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
View full book text ________________
[१०]
(४४) नंदीसूर्य एवंणाया, एवंविणाया, एवं चरण-करणपरूणा आघविज्जति । से त्तं समवाए ४ । ९१. से किं तं वियाहे ? वियाहे णं जीवा वियाहिज्जइ, परसमए वियाहिज्जड़, ससमयपरसमए वियाहिज्जति, ससमए वियाहिज्जइ, परसमए वियाहिज्जइ, ससमयपरसमए वियाहिज्जति । वियाहे णं परित्ता वायणा, संखेज्जाओ संगहणीओ, T संखेज्जओ पडिवत्तीओ। से णं अंगट्टयाए पंचमे अंगे सुयक्खंधे, एगे सातिरेगे अज्झयणसते, दस उद्देसगसहस्साई, दस समुद्देसगसहस्साई, छत्तीसं वागरणसहस्साई दो लक्खा अट्ठासीति पयसहस्साइं पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासत-कड- णिबद्ध- णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्वंति पण्णविज्नंति परूविज्जति दंसिज्जति णिदंसिज्जति उवदंसिज्नति । से एवंआया, एवंविण्णायां, एवं चरणकरणपरूवणा आघविज्जइ । से त्तं वियाहे ५ । ९२. से किं तं णायाधम्मकहाओ ? णायाधम्मकहासु णं णायाणं णगराई उज्जाणाई चेइयाई वणसंडाई समोसरणाई रायाणो अम्मा-पियरो धम्मकहाओ धम्मायरिया इहलोगपरत्नोगिया रिद्धिविसेसा भोगपरिच्चागा पव्वज्जाओ परियागा सुयपरिग्गहा तवोवहाणाई संलेहणाओ भत्तपच्चक्खाणाई पाओवगमणाई देवलोगमणाई सुकुलपच्चाईओ पुणबोहिलाभा अंतकिरियाओ य आघविज्जति । दस धम्मकहाणं वग्गा । तत्थ णं एगमेगाए धम्मकहाए पंच पंच अक्खाइयासयाई, एगमेगाए अक्खाइयाए पंच पंच उवक्खाइअक्खाइयासयाई, एगमेगाए उवक्खाइयाए पंच पंच उवक्खाइयासयाई, एगमेगाए उवक्खाइयाए पंच पंच अक्खाइओवक्खाइयासयाई, एवमेव सपुव्वावरेणं अछुट्ठाओ कहाणगकोडीओ भवंति त्ति मक्खायं । णायाधम्मकहाणं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुयोगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ णिज्जुत्तीओ संखेज्जाओ संगहणीओ, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ। से णं अंगट्टयाए छट्ठे अंगे, दो सुयक्खंधा एगूणवीसं णातज्झयणा, एगूणवीसं उद्देसणकाला, एगूणवीसं समुद्देसणकाला, संखेज्जाई पयसहस्साई पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासत-कड- णिबद्ध - णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्ञंति पण्णविज्जंति परूविज्जति दंसिज्जति णिदंसिज्नंति उवदंसिज्जति । से एवंआया, एवंणाया, एवंविण्णाया, एवं चरण-करणपरूवणा आघविज्जइ । से त्तं णायाधम्मकहाओ ६ । ९३. से किं तं उवासगदसाओ ? उवासगदसासु णं समणोवासगाणं गराई उज्जाणारं चेइयाई वणसंडाई समोसरणाई रायाणो अम्मा-पियरो धम्मकहाओ धम्मायरिया इहलोग-परलोइया रिद्धिविसेसा भोगपरिच्चाया परियागा सुयपरिग्गहा तवोवहाणाई सीलव्वय-गुण- वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासपडिवज्जणया पडिमाओ उवसग्गा संलेहणाओ भत्तपच्चक्खाणाई पाओवगमणाई || देवलोगगमणाई सुकुलपच्चायाईओ पुणबोहिलाभा अंतकिरियाओ य आघविज्जति । उवासगदसासु णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुयोगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्नाओ णिज्जुत्तीओ, संखेज्जाओ संगहणीओ, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ। से णं अंगट्टयाए सत्तमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, दस अज्झयणा, दस उद्देसणकाला, दस समुद्देसणकाला, संखेज्जाई पदसहस्साइं पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा, अनंता थावरा, सासय-कडणिबद्ध - णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जति पण्णविज्जंति परूविज्जति दंसिज्जति णिदंसिज्जति उवदंसिज्जति । से एवंआया, एवंणाया, एवंविण्णाया एवं चरण-करणपरूवणा आघविज्जइ । से तं उवासगदसाओ ७ । ९४. से किं तं अंतगडदसाओ ? अंतगडदसासु णं अंतगडाणं णगराई उज्जाणाई चेतियाई वणसंडाई समोसरणाई रायाणो अम्मा-पियरो धम्मकहाओ धम्मायरिया इहलोग-परलोगिया रिद्धिविसेसा भोगपरिच्चागा पव्वज्जाओ परियागा सुतपरिग्गहा तवोवहाणाई संलेहणाओ भत्तपच्चक्खाणाई पाओवगमणाइं अंतकिरियाओ य आघविज्जति । अंतगडदसासु णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुयोगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ णिज्जुत्तीओ संखेज्जाओ संगहणीओ संखेज्जाओ पडिवत्तीओ। से णं अंगट्टयाए अट्ठमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, अट्ठ वग्गा, अट्ठ उद्देसणकाला, अट्ट समुद्देसणकाला, संखेज्जाइ पयसहस्साइं पदग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अनंता पज्जवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासत- कड- णिबद्धणिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जति पण्णविज्जति परूविज्जंति दंसिज्जति णिदंसिज्जति उवदंसिज्जति । से एवंआया, एवंणाया, एवंविण्णाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविज्जइ । से त्तं अंतगडदसाओ ८ । ९५. से किं तं [ अणुत्तरोववाइयदसाओ |] अणुत्तरोववाइयदसासुणं अणुत्तरोववाइयाणं णगराई उज्जाणाई चेइयाई वणसंडाई समोसरणाई रायाणो अम्मा-पियरो धम्मकहाओ धम्मायरिया इहलोग-परलोगिया रिद्धिविसेसा भोगपरिच्चागा पव्वज्जाओ परियागा श्री आगमगुणमंजूषा - १६९५
02
DOO
Loading... Page Navigation 1 ... 17 18 19 20 21 22 23 24 25