Book Title: Agam 44 Chulika 01 Nandi Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री नन्दि सूत्र ॥श्री आगम-गुण-मञ्जूषा॥ ॥श्री.मागम-गुण-४५।।। 11 Sri Agama Guna Manjusa 11 (सचित्र) प्रेरक-संपादक अचलगच्छाधिपति प.पू.आ.भ.स्व. श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म.सा. Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HOROS555555555555555555555555555 ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय 555555555555555555555555555QUOTE | ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय | ११ अंगसूत्र के जीवन चरित्र है, धर्मकथानुयोग के साथ चरणकरणानुयोग भी इस सूत्र मे सामील है । इसमे ८०० से ज्यादा श्लोक है। श्री आचारांग सूत्र :- इस सूत्र मे साधु और श्रावक के उत्तम आचारो का सुंदर वर्णन है । इनके दो श्रुतस्कंध और कुल २५ अध्ययन है। द्रव्यानुयोग, गणितानुयोग, श्री अन्तकृद्दशांग सूत्र :- यह मुख्यत: धर्मकथानुयोग मे रचित है। इस सूत्र में श्री धर्मकथानुयोग और चरणकरणानुयोगोमे से मुख्य चौथा अनुयोग है। उपलब्ध श्लोको शत्रुजयतीर्थ के उपर अनशन की आराधना करके मोक्ष मे जानेवाले उत्तम जीवो के छोटे छोटे चरित्र दिए हए है। फिलाल ८०० श्लोको मे ही ग्रंथ की समाप्ति हो जाती 5 कि संख्या २५०० एवं दो चुलिका विद्यमान है। है। श्री सूत्रकृतांग सूत्र :- श्री सुयगडांग नाम से भी प्रसिद्ध इस सूत्र मे दो श्रुतस्कंध और २३ अध्ययन के साथ कुलमिला के २००० श्लोक वर्तमान में विद्यमान है । १८० श्री अनुत्तरोपपातिक दशांग सूत्र :- अंत समय मे चारित्र की आराधना करके क्रियावादी, ८४ अक्रियावादी, ६७ अज्ञानवादी अपरंच द्रव्यानुयोग इस आगम का अनुत्तर विमानवासी देव बनकर दूसरे भव मे फीर से चारित्र लेकर मुक्तिपद को प्राप्त मुख्य विषय रहा है। करने वाले महान् श्रावको के जीवनचरित्र है इसलीए मुख्यतया धर्मकथानुयोगवाला यह ग्रंथ २०० श्लोक प्रमाणका है। श्री स्थानांग सूत्र :- इस सूत्र ने मुख्य गणितानुयोग से लेकर चारो अनुयोंगो कि बाते आती है। एक अंक से लेकर दस अंको तक मे कितनी वस्तुओं है इनका रोचक वर्णन श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र :- इस सूत्र मे मुख्यविषय चरणकरणानुयोग है। इस आगम है, ऐसे देखा जाय तो यह आगम की शैली विशिष्ट है और लगभग ७६०० श्लोक है। में देव-विद्याघर-साधु-साध्वी श्रावकादि ने पुछे हुए प्रश्नों का उत्तर प्रभु ने कैसे दिया इसका वर्णन है । जो नंदिसूत्र मे आश्रव-संवरद्वार है ठीक उसी तरह का वर्णन इस सूत्र श्री समवायांग सूत्र :- यह सूत्र भी ठाणांगसूत्र की भांति कराता है । यह भी मे भी है । कुलमिला के इसके २०० श्लोक है। संग्रहग्रंथ है । एक से सो तक कौन कौन सी चीजे है उनका उल्लेख है। सो के बाद देढसो, दोसो, तीनसो, चारसो, पांचसो और दोहजार से लेकर कोटाकोटी तक ११) श्री विपाक सूत्र :- इस अंग मे २ श्रुतस्कंध है पहला दुःखविपाक और दूसरा कौनसे कौनसे पदार्थ है उनका वर्णन है। यह आगमग्रंथ लगभग १६०० श्लोक प्रमाण सुखविपाक, पहेले में १० पापीओं के और दूसरे में १० धर्मीओ के द्रष्टांत है मुख्यतया मे उपलब्ध है। धर्मकथानुयोग रहा है । १२०० श्लोक प्रमाण का यह अंगसूत्र है। श्री व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र (भगवती सूत्र) :- यह सबसे बडा सूत्र है, इसमे ४२ १२ उपांग सूत्र शतक है, इनमे भी उपविभाग है, १९२५ उद्देश है। इस आगमग्रंथ मे प्रभु महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतमस्वामी गणधरादि ने पुछे हुए प्रश्नो का प्रभु वीर ने समाधान १) श्री औपपातिक सूत्र :- यह आगम आचारांग सूत्र का उपांग है । इस मे चंपानगरी किया है। प्रश्नोत्तर संकलन से इस ग्रंथ की रचना हुइ है। चारो अनुयोगो कि बाते का वर्णन १२ प्रकार के तपों का विस्तार कोणिक का जुलुस अम्बडपरिव्राजक के ७०० शिष्यो की बाते है। १५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। अलग अलग शतको मे वर्णित है। अगर संक्षेप मे कहना हो तो श्री भगवतीसूत्र रत्नो का खजाना है। यह आगम १५००० से भी अधिक संकलित श्लोको मे उपलब्ध है। श्री राजप्रश्नीय सूत्र :- यह आगम सुयगडांगसूत्र का उपांग है। इसमें प्रदेशीराजा का ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र :- यह सूत्र धर्मकथानुयोग से है। पहले इसमे साडेतीन करोड अधिकार सूर्याभदेव के जरीए जिनप्रतिमाओं की पूजा का वर्णन है। २००० श्लोको से भी अधिक प्रमाण का ग्रंथ है। कथाओ थी अब ६००० श्लोको मे उन्नीस कथाओं उपलब्ध है। १७) श्री उपासकदशांग सूत्र :- इसमें बाराह व्रतो का वर्णन आता है और १० महाश्रावको Gorak45555555555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा G555555555555555555555555555555ory OG5555555555555555555555555555555555555555555555553535959595959OLICE Gan Education Interna rnww.iainelibrary.orp) Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ %。 %%%%%%85 २) त्रास %%%%%%%%%%% doOKHAR153835555555555555555555345555555555555555555555555ODXOS KAROKKAXXE E EEEE994%953589 ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय 985555359999999455889 श्री जीवाजीवाभिगम सूत्र :- यह ठाणांगसूत्र का उपांग है । जीव और अजीव के दश प्रकीर्णक सूत्र बारे मे अच्छा विश्लेषण किया है। इसके अलावा जम्बुद्विप की जगती एवं विजयदेव ने कि हुइ पूजा की विधि सविस्तर बताइ है। फिलाल जिज्ञासु ४ प्रकरण, क्षेत्रसमासादि श्री चतुशरण प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में अरिहन्त, सिद्ध, साधु और गच्छधर्म जो पढ़ते है वह सभी ग्रंथे जीवाभिगम अपरग्च पनवणासूत्र के ही पदार्थ है । यह के आचार के स्वरूप का वर्णन एवं चारों शरण की स्वीकृति है। आगम सूत्र ४७०० श्लोक प्रमाण का है। श्री प्रज्ञापना सूत्र- यह आगम समवायांग सूत्र का उपांग है । इसमे ३६ पदो का वर्णन श्री आतुर प्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस आगम का विषय है अंतिम आराधना है। प्रायः ८००० श्लोक प्रमाण का यह सूत्र है। और मृत्युसुधार ५) श्री सुर्यप्रज्ञप्ति सूत्र : श्री चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र :- इस दो आगमो मे गणितानुयोग मुख्य विषय रहा है। सूर्य, ३) श्री भक्तपरिज्ञा प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में पंडित मृत्यु के तीन प्रकार (१) चन्द्र, ग्रहादि की गति, दिनमान ऋतु अयनादि का वर्णन है, दोनो आगमो मे २२००, भक्त परिज्ञा मरण (२) इंगिनी मरण (३) पादोपगमन मरण इत्यादि का वर्णन है। २२०० श्लोक है। श्री जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र :- यह आगम भी अगले दो आगमों की तरह गणितानुयोग ६) श्री संस्तारक प्रकीर्णक सूत्र :- नामानुसार इस पयन्ने में संथारा की महिमा का वर्णन मे है। यह ग्रंथ नाम के मुताबित जंबूद्विप का सविस्तर वर्णन है। ६ आरे के स्वरूप है। इन चारों पयन्ने पठन के अधिकारी श्रावक भी है। बताया है। ४५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। श्री तंदुल वैचारिक प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने को पूर्वाचार्यगण वैराग्य रस के श्री निरयावली सूत्र :- इन आगम ग्रंथो में हाथी और हारादि के कारण नानाजी का समुद्र के नाम से चीन्हित करते है । १०० वर्षों में जीवात्मा कितना खानपान करे दोहित्र के साथ जो भयंकर युद्ध हुआ उस मे श्रेणिक राजा के १० पुत्र मरकर नरक मे इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है। धर्म की आराधना ही मानव मन की सफलता है। गये उसका वर्णन है। ऐसी बातों से गुंफित यह वैराग्यमय कृति है। श्री कल्पावतंसक सूत्र :- इसमें पद्यकुमार और श्रेणिकपुत्र कालकुमार इत्यादि १० भाइओं के १० पुत्रों का जीवन चरित्र है। ८) श्री चन्दाविजय प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु सुधार हेतु कैसी आराधना हो इसे इस पयन्ने । १०) श्री पुष्पिका उपांग सूत्र :- इसमें १० अध्ययन है । चन्द्र, सूर्य, शुक्र, बहुपुत्रिका में समजाया गया है। देवी, पूर्णभद्र, माणिभद्र, दत्त, शील, जल, अणाढ्य श्रावक के अधिकार है। ११) श्री पुष्पचुलीका सूत्र :- इसमें श्रीदेवी आदि १० देवीओ का पूर्वभव का वर्णन है। ९) श्री देवेन्द्र-स्तव प्रकीर्णक सूत्र :- इन्द्र द्वारा परमात्मा की स्तुति एवं इन्द्र संबधित ई श्री वृष्णिदशा सूत्र :- यादववंश के राजा अंधकवृष्णि के समुद्रादि १०पुत्र, १० मे अन्य बातों का वर्णन है। पुत्र वासुदेव के पुत्र बलभद्रजी, निषधकुमार इत्यादि १२ कथाएं है। अंतके पांचो उपांगो को निरियावली पञ्चक भी कहते है। १०A) श्री मरणसमाथि प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु संबधित आठ प्रकरणों के सार एवं अंतिम आराधना का विस्तृत वर्णन इस पयन्ने में है। %%%%% %%% %%%% %% %%%% %%%% %%%%% १०B) श्री महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में साधु के अंतिम समय में किए जाने योग्य पयन्ना एवं विविध आत्महितकारी उपयोगी बातों का विस्तृत वर्णन है। (GainEducation-international 2010-03 VOON N54555554454549 श्री आगमगुणमजूषा E f54 www.dainelibrary.00) $$# KOR Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 乐乐乐乐玩玩乐乐听听听听听听圳坂圳乐乐听听听听的 १०८) श्री गणिविद्या प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में ज्योतिष संबधित बड़े ग्रंथो का सार है। ३) उपरोक्त दसों पयन्नों का परिमाण लगभग २५०० श्लोकों में बध्य हे। इसके अलावा २२ अन्य पयन्ना भी उपलब्ध हैं। और दस पयन्नों में चंदाविजय पयन्नो के स्थान पर गच्छाचार पयन्ना को गिनते हैं। श्री नियुक्ति सूत्र :- चरण सत्तरी-करण सत्तरी इत्यादि का वर्णन इस आगम ग्रन्थ में ७ है। पिंडनियुक्ति भी कई लोग ओघ नियुक्ति के साथ मानते हैं अन्य कई लोग इसे अलग आगम की मान्यता देते हैं । पिंडनियुक्ति में आहार प्राप्ति की रीत बताइ हें। ४२ दोष कैसे दूर हों और आहार करने के छह कारण और आहार न करने के छह कारण इत्यादि बातें हैं। छह छेद सूत्र श्री आवश्यक सूत्र :- छह अध्ययन के इस सूत्र का उपयोग चतुर्विध संघ में छोट बडे सभी को है । प्रत्येक साधु साध्वी, श्रावक-श्राविका के द्वारा अवश्य प्रतिदिन प्रात: एवं सायं करने योग्य क्रिया (प्रतिक्रमण आवश्यक) इस प्रकार हैं : (१) सामायिक (२) चतुर्विंशति (३) वंदन (४) प्रतिक्रमण (५) कार्योत्सर्ग (६) पच्चक्खाण (१) निशिथ सूत्र (२) महानिशिथ सूत्र (३) व्यवहार सूत्र (४) जीतकल्प सूत्र (५) पंचकल्प सूत्र (६) दशा श्रुतस्कंध सूत्र इन छेद सूत्र ग्रन्थों में उत्सर्ग, अपवाद और आलोचना की गंभीर चर्चा है । अति गंभीर केवल आत्मार्थ, भवभीरू, संयम में परिणत, जयणावंत, सूक्ष्म दष्टि से द्रव्यक्षेत्रादिक विचार धर्मदष्टि असे करने वाले, प्रतिपल छहकाया के जीवों की रक्षा हेतु चिंतन करने वाले, गीतार्थ, परंपरागत क उत्तम साधु, समाचारी पालक, सर्वजीवो के सच्चे हित की चिंता करने वाले ऐसे उत्तम मुनिवर जिन्होंने गुरु महाराज की निश्रा में योगद्वहन इत्यादि करके विशेष योग्यता अर्जित की हो ऐसे * मुनिवरों को ही इन ग्रन्थों के अध्ययन पठन का अधिकार है। दो चूलिकाए १) श्री नंदी सूत्र :- ७०० श्लोक के इस आगम ग्रंन्थ में परमात्मा महावीर की स्तुति, संघ की अनेक उपमाए, २४ तीर्थकरों के नाम ग्यारह गणधरों के नाम, स्थविरावली और पांच ज्ञान का विस्तृत वर्णन है। चार मूल सूत्र श्री दशवकालिक सूत्र :- पंचम काल के साधु साध्वीओं के लिए यह आगमग्रन्थ अमृत सरोवर सरीखा है। इसमें दश अध्ययन हैं तथा अन्त में दो चूलिकाए रतिवाक्या व, विवित्त चरिया नाम से दी हैं । इन चूलिकाओं के बारे में कहा जाता है कि श्री स्थूलभद्रस्वामी की बहन यक्षासाध्वीजी महाविदेहक्षेत्र में से श्री सीमंधर स्वामी से चार चूलिकाए लाइ थी। उनमें से दो चूलिकाएं इस ग्रंथ में दी हैं। यह आगम ७०० श्लोक प्रमाण का है। श्री अनुयोगद्वार सूत्र :- २००० श्लोकों के इस ग्रन्थ में निश्चय एवं व्यवहार के आलंबन द्वारा आराधना के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी गइ है । अनुयोग याने शास्त्र की व्याख्या जिसके चार द्वार है (१) उत्क्रम (२) निक्षेप (३) अनुगम (४) नय यह आगम सब आगमों की चावी है। आगम पढने वाले को प्रथम इस आगम से शुरुआत करनी पड़ती है। यह आगम मुखपाठ करने जैसा है। ॥ इति शम्॥ श्री उत्तराध्ययन सूत्र :- परम कृपालु श्री महावीरभगवान के अंतिम समय के उपदेश इस सूत्र में हैं । वैराग्य की बातें और मुनिवरों के उच्च आचारों का वर्णन इस आगम ग्रंथ में ३६ अध्ययनों में लगभग २००० श्लोकों द्वारा प्रस्तुत हैं। ) Gain Education International 2010_03 Mora :58498499934555555555; आगमगुणमजूषा-5555555555555555555555555 ) Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ XOX ¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶KK Introduction 45 Agamas, a short sketch YURALSEA PERLA RADIO Quan Bài 3 Bà Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là 35 3 3 20 It is of the size of around 800 Ślokas. (8) Antagaḍa-daśānga-sutra: It deals mainly with the teaching of the religious discourses. It contains brief life-sketches of the highly spiritual souls who are born to liberate and those who are liberating ones: they are Andhaka Vṛṣṇi, Gautama and other 9 sons of queen Dharini, 8 princes like Akṣobhakumāra, 6 sons of Devaki, Gajasukumara, Yadava princes like Jali, Mayāli, Vasudeva Kṛṣṇa, 8 queens like Rukmiņi. It is available of the size of 800 Ślokas. (9) Anuttarovavayi-daśānga-sūtra : It deals with the teaching of the religious discourses. It contains the life-sketches of those who practise the path of religious conduct, reach the Anuttara Vimāna, from there they drop in this world and attain Liberation in the next birth. Such souls are Abhayakumara and other 9 princes of king Śrenika, Dirghasena and other 11 sons, Dhanna Apagara, etc. It is of the size of 200 Ślokas. I Eleven Angas: (1) Acărănga-sutra: It deals with the religious conduct of the monks and the Jain householders. It consists of 02 Parts of learning, 25 lessons and among the four teachings on entity, calculation, religious discourse and the ways of conduct, the teaching of the ways of conduct is the main topic here. The Agama is of the size of 2500 Ślokas. (2) Suyagaḍānga-sutra: It is also known as Sūtra-Kṛtānga. It's two parts of learning consist of 23 lessons. It discusses at length views of 363 doctrine-holders. Among them are 180 ritualists, 84 nonritualists, 67 agnostics and 32 restraint-propounders, though it's main area of discussion is the teaching of entity. It is available in the size of 2000 Ślokas. (3) Thapanga-sutra: It begins with the teaching of calculation mainly and discusses other three teachings subordinately. It introduces the topic of one dealing with the single objects and ends with the topic of eight objects. It is of the size of 7600 Slokas. (4) Samaväyänga-sutra: This is an encompendium, introducing 01 to 100 objects, then 150, 200 to 500 and 2000 to crores and crores of objects. It contains the text of size of 1600 slokas. (5) Vyakhyā-prajñapti-sūtra : It is also known as Bhagavati-sūtra. It is the largest of all the Angas. It contains 41 centuries with subsections. It consists of 1925 topics. It depicts the questions of Gautama Ganadhara and answers of Lord Mahavira. It discusses the four teachings in the centuries. This Agama is really a treasure of gems. It is of the size of more than 15000 Ślokas. (6) Jäätädharma-Kathānga-sutra: It is of the form of the teaching of the religious discourses. Previously it contained three and a half crores of discourses, but at present there are 19 religious discourses. It is of the size of 6000 Ślokas. SEVEN A (7) Upāsaka-daśānga-sutra: It deals with 12 vows, life-sketches of 10 great Jain householders and of Lord Mahāvīra, too. This deals with the teaching of the religious discourses and the ways of conduct. (10) Praśna-vyākaraṇa-sūtra: It deals mainly with the teaching of the ways of conduct. As per the remark of the Nandi-satra, it contained previously Lord Mahavira's answers to the questions put by gods, Vidyadharas, monks, nuns and the Jain householders. At present it contains the description of the ways leading to transgression and the self-control. It is of the size of 200 Ślokas. Vipaka-sūtranga-sutra: It consists of 2 parts of learning. The first part is called the Fruition of miseries and depicts the life of 10 sinful souls, while the second part called the Fruition of happiness narrates illustrations of 10 meritorious souls. It is available of the size of 1200 Ślokas. (11) II Twelve Upangas (1) Uvavayi-sutra: It is a subservient text to the Acaranga-sutra. It deals with the description of Campă city, 12 types of austerity, procession-arrival of Konika's marriage, 700 disciples of the monk Ambaḍa. It is of the size of 1000 slokas. (2) Rayapaseni-sutra: It is a subservient text to Suyagaḍanga-sutra. It depicts king Pradesi's jurisdiction, god Suryabha worshipping the Jina idols, etc. It is of the size of 2000 Ślokas. www.jainelibrary Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ DEFFFFFFFFFFFFFFFFFFFhible Gamin nh* HIFThe ha EEEEEEEEEEEE开F听听听听听听听听明明Ow (3) Jivābhigama-sutra : It is a subservient text to Thāṇānga-sūtra. It one Vasudeva, his son Balabhadra and his son Nişadha. deals with the wisdom regarding the self and the non-self, the Jambo continent and its areas, etc. and the detailed description of the III Ten Payanna-sutras : veneration offered by god Vijaya. The four chapters on areas, society, (1) Aurapaccakhāņa-sūtra : It deals with the final religious practice etc. published recently are composed on the line of the topics of this and the way of improving (the life so that the) death (may be Sutra and of the Pannavaņa-sutra. It is of the size of 4700 Slokas. improved). Pannavaņā-sutra : It is a subservient text to the Samavāyānga- (2) Bhattaparinna-sutra : It describes (1) three types of Pandita death, sätra. It describes 36 steps or topics and it is of the size of 8000 (2) knowledge, (3) Ingini devotee ślokas. (4) Pādapopagamana, etc. (5) Sürya-prajfapti-sutra and (4) Santhäraga-payannā-sutra : It extols the Samstäraka. Candra-prajñapti-sätra : These two falls under the teaching of the calculation. They depict the solar and the lunar transit, the ** These four payannás can also be learnt and recited by the Jain movement of planets, the variations in the length of a day, seasons, householders. ** northward and the southward solstices, etc. Each one of these Āgamas are of the size of 2200 Slokas. (5) Tandula-viyaliya-payanna-sūtra : The ancient preceptors call this Jambadvipa-prajñapti-sutra : It mainly deals with the teaching Payanna-sutra as an ocean of the sentiment of detachment. It of the calculations. As it's name indicates, it describes at length the describes what amount of food an individual soul will eat in his life objects of the Jambu continent, the form and nature of 06 corners of 100 years, the human life can be justified by way of practising a (ära). It is available in the size of 4500 Slokas. religious life. Nirayávali-pacaka : (6) Candāvijaya-payannā-sūtra : It mainly deals with the religious (8) Nirayávali-sütra : It depicts the war between the grandfather and practice that improves one's death. the daughter's son, caused of a necklace and the elephant, the death (7) Devendrathui-payanna-sutra : It presents the hymns to the Lord of king Greñika's 10 sons who attained hell after death. This war is sung by Indras and also furnishes important details on those Indras. designated as the most dreadful war of the Downward (avasarpini) (8) Maranasamadhi-payanna-sutra : It describes at length the final age. religious practice and gives the summary of the 08 chapters dealing (9) Kalpāvatamsaka-sutra : It deals with the life-sketches of with death. Kalakumara and other 09 princes of king Sreņika, the life-sketch of (9) Mahäpaccakhāņa-payanna-sutra : It deals specially with what a Padamakumpra and others. monk should practise at the time of death and gives various beneficial (10) Pupphiya-upanga-sutra : It consists of 10 lessons that covers the informations. topics of the Moon-god, Sun-god, Venus, queen Bahuputrikā, (10) Gaņivijaya-payanna-sūtra : It gives the summary of some treatise Purnabhadra, Manibhadra, Datta, sila, Bala and Aņāddhiya. on astrology (11) Pupphacultya-upanga-sutra : It depicts previous births of the 10 These 10 Payannās are of the size of 2500 ślokas. queens like Sridevi and others. Besides about 22 Payannās are known and even for these above (12) Vahnidaśa-upanga sätra : It contains 10 stories of Yadu king 10 also there is a difference of opinion about their names. The Gacchācāra Andhakavrşni, his 10 princes named Samudra and others, the tenth is taken, by some, in place of the Candāvijaya of the 10 Payannās. 明明明明明明乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐国乐乐乐乐手乐乐乐乐乐明與乐乐乐乐乐乐乐乐FFFF乐乐乐明 XOXOFF $ farmark ** F YOX Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ YOKOK YU BALLU BURU VERLO PLA Xoxo (1) (2) IV Six Cheda-sūtras (1) Vyavahāra-sūtra, (2) Nisītha-Sutra, (3) Mahānisitha-sūtra, (4) Pancakalpa-satra, (5) Daśāśruta-skandha-Sotra and (6) Bhatkalpa-sutra. These Chedasätras deal with the rules, exceptions and vows. The study of these is restricted only to those best monks who are (1) serene, (2) introvert, (3) fearing from the worldly existence, (4) exalted in restraint, (5) self-controlled, (6) rightfully descerning the subtlety of entity, territories, etc. (7) pondering over continuously the protection of the six-limbed souls, (8) praiseworthy, (9) exalted in keeping the tradition, (10) observing good religious conduct, (11) beneficial to all the beings and (12) Who have paved the path of Yoga under the guidance of their master. VI Two Colikas Nandi-sutra : It contains hymn to Lord Mahavira, numerous similies for the religious constituency, name-list of 24 Tirtharkaras and 11 Ganadharas, list of Sthaviras and the fivefold knowledge. It is available in the size of around 700 Slokas. Anuyogadvāra-sutra : Though it comes last in the serial order of the 45 Ágamas, the learner needs it first. It is designated as the key to all the Agamas. The term Anuyoga means explanatory device which is of four types: (1) Statement of proposition to be proved, (2) logical argument, (3) statement of accordance and (4) conclusion. * It teaches to pave the righteous path with the support of firm resolve and wordly involvements. It is of the size of 2000 ślokas. ** ********* V Four Molas atras (1) Dajavaikalika-sutra : It is compared with a lake of nectar for the monks and nuns established in the fifth stage. It consists of 10 lessons and ends with 02 Colikas called Rativakya and Vivittacariya. It is said that monk Sthūlabhadra's sister nun Yakşă approached Simandhara Svāmi in the Mahavideha region and received four Calikas. Here are incorporated two of them. (2) Uttaradhyayana-sutra : It incorporates the last sermons of Lord Mahavira. In 36 lessons it describes detachment, the conduct of monks and so on. It is available in the size of 2000 Slokas. . (3) Anuyogadvara-sutra: It discusses 17 topics on conduct, behaviour, etc. Some combine Piryaniryukti with it, while others take it as a separate Agama. Pindaniryukti deals with the method of receiving food (bhiksă or gocari), avoidance of 42 faults and to receive food, 06 reasons of taking food, 06 reasons for avoiding food, etc. Avašyaka-sútra: It is the most useful Agama for all the four groups of the Jain religious constituency. It consists of 06 lessons. It describes 06 obligatory duties of monks, nuns, house-holders and housewives. They are: (1) Samayika, (2) Caturvimšatistava, (3) Vandana, (4) Pratikramana, (5) Kāyotsarga and (6) Paccakhana. 明明明明明明明明明與乐乐乐为历历明明明明明明明明兵兵兵兵兵兵兵兵乐乐乐乐玩玩乐乐明步兵兵玩乐乐乐恩 * O YOK LOXOV L FT STATUTEUT- O 20:10 03 www.ainelibrary.org Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ © * સરળ ગુજરાતી ભાવાર્થ અધ્યયન ઉપલબ્ધ મૂલપાર્ક ગદ્યસૂત્ર પથગાયા આગમ - ૪૪ દ્રવ્યાનુયોગમય નન્દીસૂત્ર - ૪૪ श्री आगमगुणमंजूषा ५८ ૧. ૭૦૦ શ્લોક પ્રમાણ ૫૭ આ ગ્રંથના આરંભે પરમાત્મા વીરપ્રભુની સ્તુતિ કરીને ૪ – ૧૯ ગાથાઓમાં સંઘને નગર, ચક્ર, રથ, કમળ, ચંદ્ર, સૂર્ય, સમુદ્ર અને મેરુની ઉપમાઓ આપીને સ્તુતિ કરવામાં આવી છે. ૨૦ – ૨૧ ગાથાઓમાં ૨૪ જિનેશ્વરોની વંદના, ૨૩ – ૨૪ ગાથાઓમાં અનુક્રમે ૧૧ ગણધર અને જિનશાસનની સ્તુતિ છે. ૨૫-૫૦ ગાથાઓમાં સ્થવિરાવલી, ૫૧ મી ગાથામાં શ્રોતાઓને ૧૪ ઉપમાઓ આપી છે. ૫૨-૫૪ માં ત્રણ પ્રકારની પરિષદનું વર્ણન છે. તે પછી ૧ -૧૨ સૂત્રોમાં જ્ઞાનના ભેદો-પ્રભેદો અને તેની વ્યાખ્યા આપવામાં આવી છે, ૫૫ – ૬ ૨ ગાથાઓમાં અવધિજ્ઞાનના વ્યાખ્યા, ક્ષેત્ર, ભેદ વગેરે આપ્યા છે. 有 . ૯૭ તે પછી ૧૩ – ૧ ૬ સૂત્રો અને ૬ ૩ – ૬૪ ગાથાઓમાં અવધિજ્ઞાનીઓની વાત કરીને ૧૭ - ૧૮ સૂત્રોમાં તેમજ ૬૫મી ગાથામાં મન:પર્યવજ્ઞાન વિષે વાત છે. તે પછી ૧૯ – ૨૩ સૂત્રોમાં અને ૬ ૬ – ૬ ૭ ગાથામાં કેવળજ્ઞાનના ભેદ–પ્રભેદો અને તેની નિત્યતા, ૨૪ – ૨૫ સૂત્રોમાં અને ૬૮ - ૮૧ ગાથાઓમાં પરોક્ષ જ્ઞાનના તેમજ Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听乐玩玩乐乐乐乐vet levatal flag乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 બુદ્ધિના ભેદો, પ્રકારો અને ઉદાહરણો આપ્યાં છે. તે પછી ૨૬-૩૬ સૂત્રોમાં અને ૮૨-૮૩ ગાથાઓમાં મતિજ્ઞાનના ભેદ-પ્રભેદો, દાંત અને સ્થિતિનું વર્ણન છે. ૩૭ -પ૭ સૂત્રોમાં અને ૮૮- ૯૩ ગાથાઓમાં શ્રુતજ્ઞાનના ભેદ-પ્રભેદો, વ્યાખ્યા, વિવિધ ઉદાહરણો, આચારાંગથી માંડીને વિપાક સુધી નિરૂપણ તેમજ દષ્ટિવાદ અને પરિકર્મના વિભાગ, સૂત્રના ૨૨ વિભાગ, ગણિપિટકની આરાધનાવિરાધનાનું ફળ અને અંતે શાસ્ત્રશ્રવણ કરનારના સાત કર્તવ્યોનું વર્ણન છે. OEC听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听乐乐乐玩玩乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐明FO 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听區 Oc诺%%%%%%% %%%%%%%%%%%% 到HUAW-8 5 %%% % %%% %% %%%%%5CS Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 區 Roz95555555555555555 (४४) नंदीसूर्य [१] $ $$ $ $$$2 0 C明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听5C सिरि उसहदेव सामिस्स णमो। सिरि गोडी - जिराउला - सव्वोदयपासणाहाणं णमो । नमोऽत्थुणं समणस्स भगवओ महइ महावीर वद्धमाण सामिस्स । सिरि गोयम - सोहम्माइ सव्व गणहराणं णमो। सिरि सुगुरु - देवाणं णमो। नंदिसुत्तं सुत्तंम१.तित्थयरमहावीरत्थुई १. जयइ जगजीवजोणीवियाणओ जगगुरू जगाणंदो। जगणाहो जगबंधू जयइ जगपियामहो भयवं ।।१।। जयइ सुयाणं पभवो तित्थयराणं अपच्छिमो जयइ । जयइ गुरू लोगाणं जयइ महप्पा महावीरो ॥२।। भदं सव्वजगुज्जोयगस्स भदं जिणस्स वीरस्स । भदं सुराऽसुरणमंसियस्स भदं धुयरयस्स ॥३|| सुत्तं २. संघत्थुई २.] गुणभवणगहण ! सुयरयणभरिय ! दंसणविसुद्धरच्छागा ! । संघणगर ! भदं ते अक्खंडचरित्तपागारा ! ॥४|| संजम-तवतुंबारयस्स णमो सम्मत्तपारियल्लस्स । अप्पडिचक्कस्स जओ होउ सया संघचक्कस्स ।।५।। भई सीलपडागूसियस्स तव-णियमतुरगजुत्तस्स । संघरहस्स भगवओ सज्झायसुणंदिघोसस्स ।।६।। कम्मरयजलोहविणिग्गयस्स सुयरयणदीहणालस्स | पंचमहव्वयथिरकण्णियस्स गुणके सरालस्स ||७|| सावगजणमहुयरिपरिवुडस्स जिणसूरतेयबुद्धस्स । संघपउमस्स भई समणगणसहस्सपत्तस्स ||८|| जुम्मं तव-संजममयलंछण ! अकिरियराहुमुहदुद्धरिस ! णिच्चं । जय संघचंद ! णिम्मलसम्मत्तविसुद्धजुण्हागा ! ॥९|| परतित्थियगहपहणासगस्स तवतेयदित्तलेसस्स । णाणुज्जोयस्स जए भई दमसंघसूरस्स ॥१०॥ भई धिइवेलापरिगयस्स सज्झायजोगमगरस्स । अक्खोभस्स भगवओ संघसमुदस्स रुदस्स ।।११।। सम्मइंसणवरइरदढ रूढगाढावगाढपेढस्स । धम्मवररयणमंडियचामीयरमेहलागस्स ।।१२।। णियमूसियकणयसिलायलुज्जलजलंतचित्तकूडस्स । णंदणवणमणहरसुरभिसीलगंधुद्धमायस्स ||१३|| जीवदयासुंदरकंदरुद्दरियमुणिवरमइंदइण्णस्स । हे उसयधाउपगलंतरत्तदित्तोसहिगुहस्स ।।१४।। संवरवरजलपगलियरपविरायमाणहारस्स । सावगजणपउररवंतमोरणच्चंतकु हरस्स ।।१५।। विणयणपवरमुणिवरफुरंतविज्जुज्जलंतसिहरस्स। विविहगुणकप्परुक्खगफलभरकुसुमाउलवणस्स ।।१६।। णाणवररयणदिप्पंतकंतवेरुलियविमलचूलस्स। वंदामि विणयपणओ संघमहामंदरगिरिस्स॥१७|| गुणरयणुज्जलकडयं सीलसुयंधतवमंडिउद्देसं । सुयबारसंगसिहरं संघमहामंदरं वंदे ।। नगर रह चक्क पउमे चंदे सूरे समुद्द मेरुम्मि । जो उवमिज्जइ सययं तं संघ गुणायरं वंदे ।। पढमेत्थ संदभूती बितिए पुण होति अग्गिभूति त्ति । ततिए य वाउभूती ततो वितत्ते सुहम्मे य ॥२०|| मंडियमोरियपुत्ते अकंपिते चेव अयलभाता य । मेतज्जे य पभासे य गणहरा होति वीरस्स ॥२१॥ [छहिं कुलयं] [ सुत्तं ३. गुण रयण जल कडयं समल सुगंध तव मंडिदेशं सूयबारसंगसिंहर संधमहामंदर वंदे॥ नयइरह चक्क पडमे चंदे सुरे समुह मेरुम्मि। जो उवमिज्जइ सययं तं संघं गुणायरं वंदे ॥ तित्थयरावलिआ] ३ वंदे उसभं अजिअं संभवमभिणंदणं सुमति सुप्पभ सुपासं । ससि पुफ्फदंत सीयल सिज्जंसं वासुपुजं च ।।१८।। विमलमणंतइ धम्म संति कुंथु अरं च मल्लिं च । मुणिसुव्वय णमि णेमी पासं तह वद्धमाणं च ।।१९।। [जुम्मं ] [ सुत्तं ४. गणहरावलिआ] ४. पढमित्थ इंदभूई बीए पुण होइ अग्गिभूइ त्ति ।अइए य वाउभूई तओ वियत्ते सुहम्मे य ।।२०।। मंडिय-मोरियपुत्ते अकंपिए चेव अयलभाया य । मेयजे य पभासे य गणहरा हुँति वीरस्स ।।२१।। [जुम्म] [सुत्तं ५. जिणपवयणत्थुई ] ५. जेव्वुइपहसासणयं जयइ सया सव्वभावदेसणयं । कुसमयमयणासणयं जिणिंदवरवीरसासणय ।।२२।। [ सुत्तं ६. थेरावलिआ ६.] सुहम्मं अग्गिवेसाणं जंबूणामं च कासवं । पभवं कच्चायणं वंदे वच्छं सेजंभवं तहा ॥२३॥ जसभदं तुंगियं वंदे संभूयं चेव माढरं । भद्दबाहुं च पाइण्णं थूलभदं च गोयमं ।।२४।। एलावच्चसगोत्तं वदामि महागिरिं सुहत्थिं च । तत्तो कोसियगोत्तं बहुलस्स सरिव्वयं वंदे ॥२५|| हारियगोत्तं साइं च वंदिमो हारियं च सामज्जं । वंदे कोसियगोत्तं संडिल्लं अज्जजीयधरं ॥२६।। तिसमुद्दखायकित्तिं दीव-समुद्देसु गहियपेयालं । वंदे अज्जसमुदं अक्खुभियसमुद्दगंभीरं ।।२७।। भणगं करगं झरगं पभावगं णाण 明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明2 સૌજન્ય :- પ.પૂ. સાધ્વી શ્રી ચારૂલતાશ્રીજી મ.સા. ના. શિષ્યા પ.પૂ. સાધ્વીશ્રી તત્ત્વપૂર્ણાશ્રીજી મ.સા. ની પ્રેરણાથી મલાડ અચલગચ્છ જૈન સંઘ rexo555555555555555555555) श्री आगमगुणमजूषा - १६८६55555555555555555555555555EOLOR Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ OKC%% % %%% %%% (8) नंदीसूर्यरा 555555555555555FONORY HOTC$$$$$$$乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明 乐乐乐明明乐乐乐 दंसणगुणाणं । वंदामि अज्जमंगुं सुयसागरपारगं धीरं ॥२८॥ वंदामि अज्जधम्मं वंदे तत्तो य भद्दगुत्तं च । तत्तो य अज्जवइरं तव-नियमगुणेहिं वयरसमं ।। वंदामि। अज्जरक्खियखमणे रक्खियचरित्तसव्वस्से। रयणकरंडगभूओ अणुओगो रक्खिओ जेहिं।।२।। णाणम्मिदंसणम्मिय तव विणए णिच्चकालमुज्जुत्तं । अज्जाणंदिलखमणं सिरसा वंदे पसण्णमणं ।।२९|| वड्डउ वायगवंसो जसवंसो अज्जणागहत्थीणं । वागरण-करण-भंगियं-कम्मप्पयडीपहाणाणं ॥३०॥ जच्चंजणधाउसमप्पहाण मुद्दीयकुवलयनिहाणं । वड्डउ वायगवंसो रेवइणक्खत्तणामाणं ॥३१ अयलपुरा णिक्खंते कालियसुयआणुओगिए धीरे । बंभद्दीवग सीहे वायगपयमुत्तमं पत्ते ॥३२॥ जेसि इमो अणुओगो पयरइ अज्जावि अड्डभरहम्मि । बहुनगरनिग्गयजसे ते वंदे खंदिलायरिए।३३।। तत्तो हिमवंतमहंतविक्कमं धीपरक्कममणंतं । सज्झायमणंतधरं हिमवंतं वंदिमो सिरसा ॥३४॥ कालियसुयअणुओगस्स धारए धारए य पुव्वाणं । हिमवंतखमासमणे वंदे णागज्जुणायरिए ॥३५।। मिउ-मद्दवसंपण्णे अणुपुव्विं वायगत्तणं पत्ते । ओहसुयसमायरए णागज्जुणवायए वंदे ॥३६॥ गोविंदाणं पि णमो अणुओगे विउलधारणिंदाणं । निच्चं खंति-दयाणं परूवणे दुल्लभिंदाणं ।। तत्तो य भूयदिन्नं निच्चं तवं-संजमे अनिव्विन्नं । पंडियजणसामन्नं वंदामी संजमविहन्नू ।। वरकणगतविय-चंपय-विमउलवरकमलगब्भसरिवण्णे। भवियजणहिययदइए दयागुणविसारए धीरे ॥३७|| अड्डभरहप्पहाणे बहुविहसज्झायसुमुणियपहाणे । अणुओइयवरसहे णाइलकुलवंसणंदिकरे ॥३८॥ भूअहिययप्पगब्भे वंदे हं भूयदिण्णमायरिए । भवभयवोच्छेयकरे सीसे णागज्जुणरिसीणं ॥३९॥ [विसेसयं] सुमुणियणिच्चाणिच्वं सुमुणियसुत्त-ऽत्थधारयं णिच्चं । वंदे हं लोहिच्वं सब्भावुब्भावणातच्चं ॥४०|| अत्थ-महत्थक्खाणी सुसमणवक्खाणकहणणेव्वाणी। पयतीए महुरवाणी पयओ पणमामि दूसगणी ॥४१॥ तव-नियम-सच्च-संजम-विणय ऽ ज्जवखंति-मद्दवरयाणं । सीलगुणगद्दियाणं अणुओगजुगप्पहाणाणं ।। सुकुमाल-कोमलतल तेसिं पणमामि लक्खणपसत्थे । पादे पावयणीणं पाडिच्छगसएहि पणिवइए ॥४२॥ जे अण्णे भगवंते कालियसुयआणुओगिए धीरे। ते पणमिऊण सिरसा णाणस्स परूवणं वोच्छं ॥४३॥ ॥थेरावलिआ सम्मत्ता ॥ [सुत्तं ७. परिसा] ७. सेल-घण १ कुडग २ चालणि ३ परिपूणग ४ हंस ५ महिस ६ मेसे ७ य । मसग ८ जलूग ९ बिराली १० जाहग ११ गो १२ भेरि १३ आभीरी १४ ॥४४|| सा समासओ तिविहा * पण्णत्ता, तं जहा-जाणिया १ अजाणिया २ दुव्वियड्डा ३॥ [सुत्ताइं ८-९. णाणविहाणं ] ८. णाणं पंचविहं पण्णत्तं । तं जहा-आभिणिबोहियणाणं १ सुयणाणं २ ओहिणाणं ३ मणपज्जवणाणं ४ केवलणाणं ५ । ९. तं समासओ दुविहं पण्णत्तं, तं जहा पच्चक्खं च परोक्खं च । [सुत्ताई १०-१२. पच्चक्खणाणविहाणं] १०. से किं तं पच्चक्खं ? पच्चक्खं दुविहं पण्णत्तं । तं जहा-इंदियपच्चक्खं च णोइंदियपच्चक्खं च । ११. से किं तं इंदियपच्चक्खं ? इंदियपच्चक्खं पंचविहं पण्णत्तं । तं जहा-सोइंदियपच्चक्खं १ चक्खिदियपच्चक्खं २ घाणिदियपच्चक्खं ३ रसणेदियपच्चक्खं ४ फासिदियपच्चक्खं ५ । सेत्तं इंदियपच्चक्खं । १२. से किं तं णोइंदियपच्चक्खं ? णोइंदियपच्चक्खं तिविहं पण्णत्तं। तं जहा ओहिणाणपच्चक्खं मणपज्जवणाणपच्चक्खं २ केवलणाणपच्चक्खं ३। [सुत्ताई १३-२९. ओहिणाणं १३. से किं तं ओहिणाणपच्चक्खं ? ओहिणाणपच्चक्खं दुविहं पण्णत्तं । तं जहा भवपच्चइयं च खयोवसमियं च । दोन्हं भवपच्चइयं, तं जहा देवाणं च णेरइयाणं च। दोन्हं खयोवसमियं, तं जहा मणुस्साणं च पंचेदियतिरिक्खजोणियाणं च। १४. को हेऊ खायोवसमियं ? खायोवसमियं तयावरणिज्जाणं कम्माणं उदिण्णाणं खएणं अणुदिण्णाणं उवसमेण ओहिणाणं समुप्पज्जति । अहवा गुणपडिवण्णस्स अणगारस्स ओहिणाणं समुप्पज्जति । १५. तं समासओ छव्विहं पण्णत्तं । तं जहाआणुगामियं १ अणाणुगामियं २ वड्डमाणयं ३ हायमाणयं ४ पडिवाति ५ अपडिवाति ६ । १६. से किं तं आणुगामियं ओहिणाणं ? आणुगामियं ओहिणाणं दुविहं पण्णत्तं । तं जहा-अंतगयं च मज्झगयं च । १७. से किं तं अंतगयं ? अंतगयं तिविहं पण्णत्तं । तं जहा-पुरओ अंतगयं १ मग्गओ अंतगयं २ पासओ अंतगयं ३।१८. म से किं तं पुरओ अंतगयं ? पुरओ अंतगयं से जहानामए केइ पुरिसे उक्कं वा चुडलियं वा अलायं वा मणिं वा जोई वा पदीवं वा पुरओ काउं पणोल्लेमाणे पणोल्लेमाणे गच्छेज्जा। सेत्तं पुरओ अंतगयं १।१९.से किं तं मग्गओ अंतगयं? मग्गओ अंतगयं से जहाणामए केइ पुरिसे उक्कं वा चुडलियं वा अलायं वा मणिं वा जोई वा पईवं MOROSFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFF5555555566FFFFFCE சிவா Merrofi55555555555555$$$$$5 श्री आगसगुणमंजूषा :१६८७055555555555555 5 555FOOK Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४४) नंदीसूर्य ओका अकडेमाणे अणुकड्डेमाणे गच्छेज्जा से त्तं मग्गओ अंतगयं २ । २०. से किं तं पासओ अंतगयं ? पासओ अंतगयं से जहाणामए केइ पुरिसे उक्कं वा चुडलियं वा अलायं वा मणि वा जोई वा पईवं वा पासओ काउं परिकडेमाणे परिकडेमाणे गच्छेज्जा। से त्तं पासओ अंतगयं ३ । से त्तं अंतगयं । २१. से किं तं मज्झगयं ? मज्झगयं से जहानामए केइ पुरिसे उक्कं वा चुडलियं वा अलायं वा मणि वा जोइं वा पईवं वा मत्थए काउं गच्छेज्ना से तं मज्झगयं । २२. अंतगयस्स मज्झगयरस य को पइविसेसो ? पुरओ अंतगएणं ओहिनाणेणं पुरओ चेव संखेज्जाणि वा असंखेज्जाणि वा जोयणाणि जाणइ पासइ, मग्गओ अंतगएणं ओहिनाणेणं मग्गओ चेव संखेज्नाणि वा असंखेज्जाणि वा जोयणाणि जाणइ पासइ, पासओ अंतगएणं ओहिणाणेण पासओ चेव संखेज्जाणि वा असंखेज्नाणि वा जोयणाई जाणइ पास, मज्झगएणं ओहिणाणेणं सव्वओ समंता संखेज्जाणि वा असंखेज्जाणि वा जोयणाई जाणइ पासइ । से तं आणुगामियं ओहिणाणं १ । २३. से किं तं अागामि ओहिणाणं ? अणाणुगामियं ओहिणाणं से जहाणामए केइ पुरिसे एवं महंतं जोइट्ठाणं काउं तस्सेव जोइट्टाणस्स परिपेरंतेहिं परिपेरंतेहिं परिघोलेमाणे परिघोलेमाणे तमेव जोइट्ठाणं पासइ, अण्णत्थ गए ण पासइ, एवमेव अणाणुगामियं ओहिणाणं जत्थेव समुप्पज्जइ तत्थेव संखेज्जाणि वा असंखेज्जाणि वा संबद्धाणि वा असंबद्धाणि वा जोयणाइं जाणइ पासइ, अण्णत्थ गए ण पासइ । से तं अणाणुगामियं ओहिणाणं २ । २४. से किं तं वडमाणयं ओहिणाणं ? वहुमाणयं ओहिणाणं पसत्थेसु अज्झवसाणट्ठाणेसु वट्टमाणस्स वट्टमाणचरित्तस्स विसुज्झमाणस्स विसुज्झमाणचरित्तस्स सव्वओ समंता ओही परि वड्ड । जावतिया तिसमयाहारगस्स सुहुमस्स पणगजीवस्स । ओगाहणा जहन्ना ओहीखेत्तं जहन्नं तु || ४५|| सव्वबहुअगणिजीवा णिरंतरं जत्तियं भरेज्नंसु । खेत्तं सव्वदिसागं परमोही खेत्तनिद्दिट्ठो ||४६|| अंगुलमावलियाणं भागमसंखेज्ज, दोसु संखेज्जा। अंगुलमावलियंतो, आवलिया अंगुलपुत्तं ॥ ४७|| हत्थम्मि मुहुत्तंतो, दिवसंतो गाउयम्मि बोद्धव्वो । जय दिवसपुत्तं पक्खतो पण्णवीसाओ ॥४८॥ भरहम्मि अद्धमासो, जंबुद्दीवम्मि साहिओ मासो। वासं च मणुयलोए, वासपुहत्तं च रुयगम्मि ॥४९॥ संखेज्जम्मि उकाले दीव-समुद्दा वि होति संखेज्जा | कालम्मि असंखेज्जे दीव-समुद्दा उ भइयव्वा ||५०॥ काले चउण्ह वुड्डी, कालो भइयव्वु खेत्तवुड्डीए । वुड्डीए दव्व-पज्जव भइयव्वा खेइ-काला उ ॥५१॥ सुहुमो य होइ कालो, तत्तो सुहुमयरयं हवइ खेत्तं । अंगुलसेढीमेत्ते ओसप्पिणिओ असंखेज्जा ॥ ५२॥ से त्तं वमाणयं ओहिणाणं ३ । २५. से किं तं हायमाणयं ओहिणाणं ? हायमाणयं ओहिणाणं अप्पसत्थेहिं अज्झवसायट्ठाणेहिं वट्टमाणस्स वट्टमाणचरित्तस्स संकिलिस्समाणस्स संकिलिस्समाणचरित्तस्स सव्व समंता ओही परिहायति । से त्तं हायमाणयं ओहिणाणं ४ । २६. से किं तं पडिवाति ओहिणाणं ? पडिवाति ओहिणाणं जाणं जहणेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं वा संखेज्जइभागं वा वालग्गं वा वालग्गपुहत्तं वा लिक्खं वा लिक्खपुहत्तं वा जूयं वा जूयपुहत्तं वा जवं वा जवपुहत्तं वा अंगुलं वा अंगुलपुहत्तं वा पायं वा पाय हत्तं वा वियत्थिं वा वियत्थिपुहत्तं वा रयणिं वा रयणिपुहत्तं वा कुच्छिं वा कुच्छिपुहत्तं वधणुयं वा धणुयपुहत्तं वा गाउयपुहत्तं वा जोयणं वा जोयणपुहत्तं वा जोयणसयं वा जोयणसयपुहत्तं वा जोयणसहस्सं वा जोयणसहस्सपुहत्तं वा जोयणसतसहस्स वा जोयणसत्तसहस्सपुहत्तं वा जोयणकोडिं वा जोयणकोडिपुहत्तं वा कोडा कोडिं वा जोयणकोडाकोडिपुहत्तं वा उक्कोसेण लोगं वा पासित्ता णं पडिवएज्जा। से त्तं पडिवाति ओहिणाणं ५ । २७. से किं तं अपडिवाति ओहिणाणं ? अपडिवाति ओहिणाणं जेणं अलोगस्स एगमवि आगासपदेसं पासेज्जा तेणं परं अपडिवाति ओहिणाणं । से त्तं अपडिवाति ओहिणाणं ६ । २८. तं समासओ चव्विहं पण्णत्तं । तं जहा दव्वओ खेत्तओ कालओ भावओ । तत्थ दव्वओ णं ओहिणाणी जहण्णेणं अणंताणि रूविदव्वाइं जाणइ पासइ, उक्कोसेणं सव्वाइं रूविदव्वाइं जाणइ पासइ १ ! खेत्तओ णं ओहिणाणी जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं जाणइ पासइ, उक्कोसेणं असंखेज्जाई अलोए लोयमेत्ताइं खंडाई जाणइ पासइ २ | कालओ णं ओहिणाणी जहणणेणं आवलियाए असंखेज्जाइं भागं जाणइ पासइ, उक्कोसेणं असंखेज्जाओ ओसप्पिणीओ उस्सप्पिणीओ अतीतं च अणागतं कालं जाणइ पासइ ३ । भावओ णं ओहिणाणी जहण्णेणं अणंतभावे पासइ, उक्कोसेण वि अणंते भावे जाणइ पासइ, सव्वभावाणमणंतभागं जाणइ पासइ ४ । २९. ओही भवपच्चइओ गुणपच्चइओ य वण्णिओ एसो । तस्स य बहू वियप्पा दव्वे खेत्ते य काले य । ५३ ॥ णेरइय-देव- तित्थंकरा य ओहिस्सऽ बाहिरा होंति । HO श्री आगमगुणमंजूषा १६८८ SOTOR K (३) फ्र Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ COCO555555555$$$$$明 ___(४४) नंदीसूर्य 555555555555555eroig 明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听乐乐乐听听听听听乐乐乐乐乐明C पासंति सव्वओ खलु, सेसा देसेण पासंति ॥५४॥ सेत्तं ओहिणाणं। [सुत्ताई ३०-३३. मणपज्जवणाणं ] ३०. [१] से किं तं मणपज्जवणाणं ? मणपज्जवणाणे णं भंते ! किं मणुस्साणं उप्पज्जइ अमणुस्साणं ? गोयमा ! मणुस्साणं, णो अमणुस्साणं। [२] जइ मणुस्साणं किं सम्मुच्छिममणुस्साणं गन्भवक्वंतियमणुस्साणं ? गोयमा ! णो सम्मुच्छिममणुस्साणं, गब्भववंतियमणुस्साणं । [३] जइ गब्भवक्कंतियमणुस्साणं किं कम्मभूमिअगम्भवक्वंतियमणुस्साणं अकस्मभूमिअगब्भवक्त्रंतिय मणुस्साणं अंतरदीवगगब्भवक्कंतियमणुस्साणं? गोयमा ! कम्मभूमिअगब्भवक्कंतियमणुस्साणं, णो अकम्मभूमिअगब्भवक्वंतियमणुस्साणं, णो अंतरदीवगगब्भवक्वंतियमणुस्साणं । [४] जइ कम्मभूमिअगब्भवक्वंतियमणुस्साणं किं संखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगम्भवक्कंतियमणुस्साणं असंखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगब्भवक्वंतियमणुस्साणं ? गोयमा ! संखेजवासाउयकम्मभूमि०- अगम्भवक्कं तियमणुस्साणं, णो असंखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगब्भवक्कंतियमणुस्साणं । [५] जइ संखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगब्भवक्कं तियमणुस्साणं किं पज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगब्भवक्कं तियमणुस्साणं अपजत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगब्भवक्कं तियमणुस्साणं ? गोयमा ! पज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगब्भवक्कं तियमणुस्साणं, णो अपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगब्भवक्कंतियमणुस्साणं । [६] जइ पज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगब्भवक्वंतियमणुस्साणंकिं सम्मदिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगब्भवक्कंतियमणुस्साणं मिच्छदिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगब्भवक्कंतियमणुस्साणं सम्ममिच्छदिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगब्भवक्कंतियमणुस्साणं? गोयमा ! सम्मदिट्ठिपज्जत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमिअगब्भवक्कंतियमणुस्साणं, णो मिच्छद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगब्भवक्कंतियमणुस्साणं, णो सम्ममिच्छदिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगम्भवक्वंतियमणुस्साणं। [७] जइ सम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगब्भवक्कंतियमणुस्साणं किं संजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगब्भवक्वंतियमणुस्साणं असंजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमिअगब्भवक्वंतियमणुस्साणं संजयासंजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगब्भवक्कं तियमणुस्साणं ? गोयमा ! संजयसम्मबिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगब्भवक्वंतियमणुस्साणं, णो असंजयासंजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमिअगम्भवक्कंतियमणुस्साणं । [८] णो असंजयासंजयसम्मद्दिट्ठिप.. जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगब्भवक्कंतियमणुस्साणं । [८] जइ संजयसम्मद्दिट्ठि-पज्जत्तगसंखेज्जवा-साउयकम्मभूमिअगब्भवक्कंतियमणुस्साणं किं पमत्तसंजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगब्भवक्कं तियमणुस्साणं अपमत्तसंजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगब्भवक्कंतियमणुस्साणं ? गोयमा ! अपमत्तसंजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासा-उयकम्मभूमिअगब्भवक्वंतियमणुस्साणं, णो पमत्तसंजयसम्महिट्ठिपज्जतगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगब्भवतियमणुस्साणं । [९] जइ अपमत्तसंजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगब्भवक्वंतियमणुस्साणं किं इड्डिपत्तअपमत्तसंजयसम्ममिच्छद्दिट्ठिपज्जत्तग-संखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगम्भवक्कं तियमणुस्साणं अणिढिपत्तअपमत्तसंजयसम्ममिच्छद्दिट्ठिपज्जतगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगभवक्कंतियमणुस्साणं ? गोयमा ! इड्डिपत्तअपमत्तसंजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगब्भवक्कंतियमणुस्साणं, णो अणिढिपत्तअपमत्तसंजयसम्माद्दिट्ठि-पज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमिअगम्भवक्कंतियमणुस्साणं समुप्पज्जइ। ३१.तं च दुविहं उप्पज्जइ। तं जहा- उज्जुमतीय विउलमती य । ३२. तं समासओ चउन्विहं पण्णत्तं । तं जहा दव्वओ खेत्तओ कालओ भावओ । तत्थ दव्वओ णं उज्जुमती अणंते अणंतपदेसिए खंधे जाणइ पासइ, ते चेव विउलमती अब्भहियतराए जाणइ पासइ १ । खेत्तओ णं उज्जुमती अहे जाव इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उवरिमहेछिल्लाइं खुड्डागपयराई, उर्दु जाव जोतिसस्स उवरिमतले, तिरियं जाव अंतोमणुस्सखित्ते अड्डाइजेसु दीव-समुद्देसु पण्णरससु कम्मभूमिसुतीसाए अकम्मभूमीसु छप्पण्णाए अंतरदीवगेसु सण्णीणं पंचेदियाणं पज्जत्तगाणं मणोगते भावे जाणइ पासइ, तं चेव विउलमती अड्डाइज्जेहिं अंगुलेहि अब्भहियतरागं विउलतरागं विसुद्धतरागं वितिमिरतरागं खेत्तं जाणइ C%明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听明明听听统乐。 Me055555555555555555555555 श्री आगमगणमंजूषा- १६८१555555555555555555555555555xox Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ CC%听听听听听听听听贝听听听听听听 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 TO Ch历历万年历历万岁万万岁男明 (४४) नंदीसूर्य [५] 555555555555520 पासइ २ । कालओ णं उज्जुमती जहण्णेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागं उक्कोसेणं पि पलिओवमस्स असंखेज्जइभागं अतीयमणागयं वा कालं जाणइ पासइ, तं चेव विउलमती अब्भहियतरागं विउतरागं विसुद्धतरागं वितिमिरतरागं जाणइ पासइ ३ | भावओ णं उज्जुमती अणते भावे जाणइ पासइ, सव्वभावाणं अणंतभागं जाणइ, तं चेव विउलमती अब्भहियतरागं विउलतरागं विसुद्धतरागं वितिमिरतरागं जाणइ पासइ ४ । ३३. मणपज्जवणाणं पुण जणमणपरिचितियस्थपायडणं । माणुसखेत्तणिबद्धं गुणपच्चइयं चरित्तवओ॥५५।। सेत्तं मणपज्जवणाणं। सुत्ताई ३४-४२. केवलणाणं] ३४. से किं तं केवलणाणं ? केवलणाणं दुविहं पण्णत्तं । तं जहा भवत्थकेवलणाणं च सिद्धकेवलणाणं च । से किं तं भवत्थकेवलणाणं ? भवत्थकेवलणाणं दुविहं पण्णत्तं । तं जहा सजोगिभवत्थकेवलणाणं च अजोगिभवत्थकेवलणाणं च । ३६. से किं तं सजोगिभवत्थकेवलणाणं ? सजोगिभवत्थकेवलणाणं दुविहं पण्णत्तं । तं जहा पढमसमयसजोगिभवत्थकेवलणाणं च अपढमसमयसजोगिभवत्थकेवलणाणं च। अहवा चरिमसमयसजोगिभवत्थकेवलणाणं च अचरिमसमयसजोगिभवत्थकेवलणाणंच। सेत्तं सजोगिभवत्थकेवलणाणं। ३७. से किं तं अजोगिभवत्थकेवलणाणं ? अजोगिभवत्थकेवलणाणं दुविहं पण्णत्तं । तं जहा पढमसमयअजोगिभवत्थकेवलणाणं च अपढमसमयअजोगिभवत्थकेवलणाणं च । अहवा चरिमसमयअसजोगिभवत्थकेवलणाणं च । सेत्तं अचरिमसमयअसजोगिभवत्थकेवलणाणं च । सेतं अजोगिभवत्थकेवलणाणं । ३८. से किं तं सिद्धके वलणाणं ? सिद्धकेवलणाणं दुविहं पण्णत्तं । तं जहा अणंतरसिद्धकेवलणाणं च परंपरसिद्धकेवलणाणं च । ३९. से किं तं अणंतरसिद्धकेवलणाणं ? अणंतरसिद्धकेवलणाणं पण्णरसविहं पण्णत्तं । तं जहा तित्थसिद्धा १ अतित्थसिद्धा २ तित्थगरसिद्धा ३ अतित्थगरसिद्धा ४ सयंबुद्धसिद्धा ५ पत्तेयबुद्धसिद्धाबुद्धबोहियसिद्धा ७ इथिलिंगसिद्धा ८ पुरिसलिंगसिद्धा ९ णपुसगलिंगसिद्धा १० सलिंगसिद्धा ११ अण्णलिंगसिद्धा २२ गिहिलिंगसिद्धा १३ एगसिद्धा १४ अणेगसिद्धा १५ । सेत्तं अणंतरसिद्धकेवलणाणं । ४०. से किं तं परंपरसिद्धकेवलणाणं ? परंपरसिद्धकेवलणाणं ? अणेगविहं पण्णत्तं । तं जहा अपढमसमयसिद्धा दुसमयसिद्धा तिसमयसिद्धा चउसमयसिद्धा जाव दससमयसिद्धा संखेजसमयसिद्धा असंखेज्जसमयसिद्धा अणंतसमयसिद्धा। से तं परंपरसिद्धकेवलणाणं । सेत्तं सिद्धकेवलणाणं । ४१. तं समासओ चउव्विहं पण्णत्तं । तं जहा दव्वओ खेत्तओ कालओ भावओ। तत्थ दव्वओणं केवलणाणी सव्वदव्वाइं जाणइ पासइ १ । खेत्तओ णं केवलणाणी सव्वं खेत्तं जाणइ पासइ २ । कालओ णं केवलणाणी सव्वं कालं जाणइ पासइ ३ । भावओ णं केवलणाणी सव्वे भावे जाणइ पासइ ४।४२. अह सव्वदव्वपरिणामभावविण्णत्तिकारणमणतं । सासयमप्पडिवाती एगविहं केवलण्णाणं ।।५६|| केवलणाणेणऽत्थे णाउंजे तत्थ पण्णवणजोग्गे । ते भासइ तित्थयरो, वइजोग तयं हवइ सेसं ॥५७|| सेत्तं केवलणाणं । सेत्तं पच्चक्खाणाणं। [सुत्ताई ४३-४५. परोक्खणाणविहाणं] ४३. से किं तं णरोक्खं दुविहं पण्णत्तं । तं जहा आभिणिबोहियणाणपराक्खं च सुयणाणपरोक्खं च । ४४. जत्थाऽऽभिणिबोहियणाणं तत्थ सुयणाणं, जत्थ सुयणाणं तत्थाऽऽभिणिबोहियणाणं । दो वि एयाइं अण्णमण्णमणुगयाइं तह वि पुण एत्थाऽऽयरिया णाणत्तं पण्णवेति अभिणिबुज्झइ त्ति आभिणिबोहियं, सुणतीति सुतं । "मतिपुव्वं सुयं, ण मती सुयपुब्विया।" ४५. अविसेसिया मती मतिणाणं च मतिअण्णाणं च। विसेसिया मती सम्मद्दिट्ठिस्स मती मतिणाणं, मिच्छादिट्ठिस्स मती मतिअण्णाणं । अविसेसियं सुयं सुयणाणं च सुयअण्णाणं च । विसेसियं सुयं सम्मद्दिहिस्स सुयं सुयणाणं, मिच्छद्दिट्ठिस्स सुयं सुयअण्णाणं। [सुत्ताई ४६-६०. आभिणिबोहियणाणं] ४६. से किं तं आभिणिबोहियणाणं ? आभिणिबोहियणाणं दुविहं पण्णत्तं । तं जहा सुयणिस्सियं च असुयणिस्सियं च । ४७. से किं तं असुयणिस्सियं ? असुयणिस्सियं चउव्विहं पण्णत्तं । तं जहा उप्पत्तिया १ वेणइया २ कम्मया ३ पारिणामिया ४ । बुद्धी चउव्विहा वुत्ता पंचमा नोवलब्भइ ॥५८|| पुव्वं अदिट्ठमसुयमवेइयतक्खणविसद्धगहियत्था । अव्वाहयफलजोगा बुद्धी उप्पत्तिया णाम ॥५९|| भरहसिल १ पणिय २ रुक्खे ३ खुड्डग ४ पड ५ सरड ६ काय ७ उच्चारे ८ । गय ९ घयण १० गोल ११ खंभे १२ खुड्डग १३ मग्गित्थि १४-१५ पति १६ पुत्ते १७॥६०॥ भरहसिल १ मिंढ २ कुक्कुड ३ वालुय ४ हत्थी C历明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听 प्र 5555555OR HerC55555555555555555555555 श्री आगमगुणभजूषा - १६९० 55555555555555555555555555 FOTORY Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ MOR5555555555555555 (४४) नदीसूय 555555555555555FDog 5555555555 HOTOSF$$$$$$$$$$$$$$$$5FHSS ५य अगड ६ वणसंडे ७। पायस ८ अइया ९ पत्ते १० खाडहिला ११ पंच पियरो १२ य॥६१।। महुसित्थ १८ मुद्दियंके १९-२० यणाणए २१ भिक्खु २२ चेडगणिहाणे ई २३। सिक्खा २४ य अत्थसत्थे २५ इच्छा य महं २६ सतसहस्से २७॥६२।।१। भरणित्थरणसमत्था तिवग्गसुत्तत्थहियपेयला। उभयोलोगफलवती विणयसमुत्था हवइ बुद्धी ॥६३।। णिमित्ते १ अत्थसत्थे २ य लेहे ३ गणिए ४ कूव ५ अस्से ६य। गद्दभ ७ लक्खण ८ गंठी ९ अगए १० रहिए य गणिया य ११॥६४|| सीया साडी दीहं च तणं अवसव्वयं च कुंचस्स १२ । निव्वोदए १३ य गोणे घोडग पडणं च रुक्खाओ १४ ॥६५॥२। उवओगदिट्ठसारा कम्मपसंग परिघोलणविसाला। साहुक्कारफलवती कम्मसमुत्था हवइ बुद्धी ॥६६॥ हेरण्णि१ करिसए २ कोलिय ३ डोए ४ यमुत्ति ५ घय ६ पवये ७। तुण्णाग ८ वड्डई ९ पू- विए १० य घड ११ चित्तकारे १२ य ॥६७।३। अणुमाण-हेउ-दिटुंतसाहिया वयविवागपरिणामा । हिय-णीसेसफलवती बुद्धी परिणामिया णाम ॥६८। अभए १ सेट्ठि २ कुमारे ३ देवी (?वे) ४ उदिओदए हवति राया ५ । साहू य णंदिसेणे ६ धणदत्ते ७ साव(?वि)ग ८ अमच्चे ९ ॥६९।। खमए १० अमच्चपुत्ते ११ चाणक्के १२ चेव थूलभद्दे १३ य । णासिक्कसुंदरी-नंदे १४ वइरे १५ परिणामिया बुद्धी ॥७०|| चलणाहण १६ आमंडे १७ मणी १८ य सप्पे १९ य खग्गि २० थूभिदे २१-२२ । परिणामियबुद्धीए एवमादी उदाहरणा ॥७॥४। सेत्तं असुयणिस्सियं । ४८. से किं तं सुयणिस्सियं मतिणाणं ? सुयणिस्सियं मतिणाणं चउव्विहं पण्णत्तं । तं जहा उग्गहे १ ईहा २ अवाए ३ धारणा ४|४९. से किं तं उग्गहे ? उग्गहे दुविहे पण्णत्ते। तं जहाअत्थोग्गहे य वंजणोग्गहे य। ५०. से किं तं वंजणोग्गहे ? वंजणोग्गहे चउविहे पण्णत्ते। तं जहा सोतिदियवंजणोग्गहे १ घाणेदियवंजणोग्गहे २ जिब्भिदियवंजणोग्गहे ३ फासेदियवंजणोग्गहे ४ । सेत्तं वंजणोग्गहे । ५१. १ से किं तं अत्थोग्गहे? अत्थोग्गहे छव्विहे पण्णत्ते । तं जहा सोइंदियअत्थोग्गहे १ चक्दियअत्थोग्गहे २ घाणिदियअत्थोग्गहे ३ जिब्भिदियअत्थोग्गहे ४ फासिदियअत्थोग्गहे ५ णोइंदियअत्थोग्गहे ६। २ तस्स णं इमे एगट्ठिया णाणाघोसा णाणावंजणा पंच णामधेया भवंति, तं जहा ओगिण्हणया १ उवधारणया २ सवणता ३ अवलंबणता ४ मेहा ५ । सेतंउग्गकेता ५२. १ से किं तं ईहा ? ईहा छव्विहा पण्णत्ता । तं जहा सोदियईहा १ चक्खिदियईहा २ घाणेदियईहा ३ जिभिदियईहा ४ फासेंदियईहा ५णोइंदियईहा ६।२ तीसेणं इमे एगट्ठियाणाणाघोसाणाणावंजणा पंच णामधेया भवंति, तं जहा आभोगणया १ मग्गणया २ गवेसणया ३ चिंता ४ वीमंसा ५ । से तं ईहा २। ५३. १ से किं तं अवाये अवाये छविहे पण्णत्ते । तं जहासोइंदियावाए १ चक्खिदियावाए २ घाणेंदिवाए ३ जिब्भिदियावाए ४ फासेंदियावाए ५ णोइंदियावाए ६।२ तस्सणं इमे एगट्ठिया णाणाघोसा णाणावंजणा पंच णामधेया भवंति, तं जहा आवडणया १ पच्चावट्टणया २ अवाए ३ बुद्धी ४ विण्णाणे ५। सेतं अवाए ३।५४. १ से किं तं धारणा ? धारणा छव्विहा पण्णत्ता । तं जहा सोइंदियधारणा १ चक्खिदियधारणा २ घाणिदियधारणा ३ जिभिदियधारणा ४ फासिदियधारणा ५ णोइंदियधारणा६। २ तीसेणं इमे एगट्ठिया णाणाघोसा णाणावंजणा पंच णामधेया भवंति, तं जहा धरणा १ धारणा २ ठवणा ३ पतिठ्ठा ४ कोढे ५। सेत्तं धारणा ४।५५. उग्गहे एक्कसामइए, अंतोमुहुत्तिया ईहा, अंतोमुहुत्तिए अवाए, धारणा संखेज वा कालं असंखेज वा कालं। ५६. एवं अठ्ठावीसतिविहस्स आभिणिबोहियणाणस्स वंजणोग्गहस्सपरूवणं करिस्सामि पडिबोहगदिट्ठतेणं मल्लगदिद्रुतेणं य। ५७. से किं तं पडिबोहगदिगदिद्रुतेणं? पडिबोहगदिद्रुतेणं से जहाणामए केइ पुरिसे कंचि पुरिसं सुत्तं पडिबोहेज्जा अमुगा ! अमुग !' त्ति । तत्थ य चोयगे पन्नवगं एवं वयासी किं एगसमयपविट्ठा पोग्गला गहणमागच्छंति ? दुसमयपविट्ठा पोग्गला गहणमागच्छंति ? जाव दससमयपविट्ठा पोग्गला गहणमागच्छंति ? संखेजसमयपविठ्ठा पोग्गला गहणमागच्छंति ? असंखेजसमयपविट्ठा पोग्गला गहणमागच्छंति, णो गहणमागच्छंति, णो संखेजसमयपविट्ठा पोग्गला गहणमागच्छंति, असंखेज्जसमयपविट्ठा पोग्गला गहणमागच्छंति । सेतं पडिबोहिगदिटुंतेणं। ५८. [१] से किंतं मल्लगदिटुंतणं ? मल्लगदिद्वैतेणं से जहाणामए केइ पुरिसे आवागसीसाओ मल्लगंगहाय तत्थेगं उदगबिंदं पक्खिवेज्जा से णटे, अण्णे पक्खित्ते से वि णटे, एवं पक्खिप्पमाणेसु पक्खिप्पमाणेसु हाही से उदगबिंदू जं णं तं मल्लगं रावेहिति, होही से उदगबिंदू जण्णं तंसि मल्लगंसि ठाहिति, होही पवाहेहिइ, एवामेव पक्खिप्पमाणेहिं पक्खिप्पमाणेहिं अणंतेहिं पोग्गलेहिं जाहे तं वंजणं पूरितं होइ ताहे 'हुँ ति करेइ Keros555555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १६९१555555555555555555555555555OGY 55 $中 听听乐乐 555555555555555555555OOK Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ roo5555555555555 (४४) नंदीसूर्य 国军五$$ $$2CE Pणो चेव णं जाणइ के वेस सद्दाइ ?, तओ ईहं पविसइ तओ जाणइ अमुगे एस सद्दाइ, तओ अवायं पविसइ तओ से उवगयं हवइ, तओ णं धारणं पविसइ तओ णं धारेइ संखेज्जं वा कालं असंखेज्जं वा कालं । [२] से जहाणामए केइ पुरिसे अव्वत्तं सदं सुणेज्जा तेणं सद्दे त्ति उग्गहिए, णो चेव णं जाणइ के वेस सद्दाइ ?, तओ ईहं पविसइ ततो जाणति अमुगे एस सद्दे, ततो णं अवायं पविसइ ततो से उवगयं हवइ, ततो धारणं पविसइ तओ णं धारेइ संखेज वा कालं असंखेनं वा कालं । एवं अव्वत्तं रूवं, अव्वत्तं गंधं, अव्वत्तं रसं, अव्वत्तं फासं पडिसंवेदेज्जा। [३] से जहाणामए केइ पुरिसे अव्वत्तं सुमिणं पडिसंवेदेज्जा, तेणं सुमिणे त्ति उग्गहिण, ण पुण जाणति के वेस सुमिणे ? त्ति, तओ ईहं पविसइ तओ जाणति अमुगे एस सुमिणे त्ति, ततो अवायं पविसइ ततो से उवगयं हवइ, ततो धारणं पविसइ तओ णं धारेइ संखेज्नं वा कालं असंखेज्नं वा कालं । सेत्तं मल्लगदिट्ठतेणं । ५९. तं समासओ चउव्विहं पण्णत्तं, तं जहा दव्वओ खेत्तओ कालओ भावओ। तत्थ दव्वओ णं आभिणिबोहियणाणी आएसेणं सव्वदव्वाइं जाणइ ण पासइ १ । खेत्तओ णं आभिणिबोहियणाणी आएसेणं सव्वं खेत्तं जाणइ ण पासइ २ । कालओ णं आभिणिबोहियणाणी आएसेणं सव्वं कालं जाणइ ण पासइ ३ । भावओ णं आभिणिबोहियणाणी आएसेणं सव्वे भावे जाणइ ण पासइ ४।६०. उग्गह ईहाऽवाओ य धारणा एव होति चत्तारि। आभिणिबोहियणाणस्स भेयवत्थू समासेणं ॥७२।। अत्थाणं उग्गहणं तु उग्गह, तह वियालणं ईहं। ववसायं तु अवायं, धरणं पुण धारणं बिति ॥७३।। उग्गहो एक्कं समयं, ईहा-ऽवाया मुहुत्तमद्धं तु । कालमसंखं संखं च धारणा होति णायव्वा ॥७४।। पुढे सुणेति सइं, रूवं पुण पासती अपुढे तु । गंधं रसं च फासं च बद्ध-पुढे वियागरे।।७५|| भासासमसेढीओ सई जं सुणइ मीसयं सुणइ । वीसेढी पुण सई सुणेति णियमा पराघाए।७६।। ईहा अपोह वीमंसा मग्गणा यम गवेसणा । सण्णा सती मती पण्णा सव्वं आभिणिबोहियं ।७७|| से तं आभिणिबोहियणाणपरोक्खं । [सुत्ताई ६१-१२०. सुयणाणं ] ६१. से किं तं सुयणाणपरोक्खं ? सुयणाणपरोक्खं चोद्दसविहं पण्णत्तं । तं जहा-अक्खरसुयं १ अणक्खरसुयं २ सण्णिसुयं ३ असण्णिसुयं ४ सम्मसुयं ५ मिच्छसुयं ६ सादीयं ७ अणादीयं ८ सपज्जवसिय ९ अपज्जवसिय १० गमियं ११ अगमियं १२ अंगपविट्ठ १३ अणंगपविट्ठ १४ । ६२. से किं तं अक्खरसुयं ? अक्खरसुयं तिविहं पण्णत्तं । तं जहा-सण्णक्खरं १ वंजणक्खरं २ लद्धिअक्खरं ३ । ६३. से किं तं सण्णक्खरं ? सण्णक्खरं अक्खरस्स संठाणाऽऽगिती। सेत्तं सण्णक्खरं १।६४. से किं तं वंजणक्खरं ? वंजणक्खरं अक्खरस्स वंजणाभिलावो। सेत्तं वंजणक्खरं २। ६५. से किं तं लद्धिअक्खरं ? लद्धिअक्खरं अक्खरलद्धीयस्स लद्धिअक्खरं समुप्पज्जइ, तं जहा-सोइंदियलद्धिअक्खरं १ चक्खिदियलद्धिअक्खरं २ घाणेदियलद्धिअक्खरं ३ रसणिदियलद्धिअक्खरं ४ फासेंदियलद्धिअक्खरं ५ णोइंदियलद्धिअक्खरं ६ । सेत्तं लद्धिअक्खरं ३ । सेत्तं अक्खरसुयं १।६६. से किं तं अणक्खरसुयं ? अणक्खरसुयं अणेगविहं पण्णत्तं । तं जहा- ऊससियं णीससियं णिच्छूढं खासियं च छीयं च । णिस्सिंधियमणुसारं अणक्खरं छेलियादीयं ।।७८॥ से तं अणक्खरसुयं २।६७. से किं तं सण्णिसुयं ? सण्णिसुयं तिविहं पण्णत्तं । तं जहा-कालिओवएसेणं १ हेऊवएसेणं २ दिविवादोवदेसणं ३।६८. से किं तं कालिओवएसेणं ? कालिओवएसेणं जस्स णं अत्थि ईहा अपोहो मग्गया गवसणा चिंता वीमंसा से णं सण्णि त्ति लब्भइ, जस्स णं णत्थि ईहा अपोहो मग्गणा गवेसणा चिंता वीमंसा से णं असण्णीति लब्भइ । सेत्तं कालिओवएसेणं १ । ६९. से किं तं हेऊवएसेणं ? हेऊवएसेणं जस्स णं अत्थि अभिसंधारणपुब्विया करणसत्ती से णं सण्णीति लब्भइ, जस्सणं णत्थि अभिसंधारणपुब्विया करणसत्ती से मणं असण्णि त्ति लब्भइ । सेत्तं हेऊवएसेणं २ । ७०. से किं तं दिट्ठिवाओवएसेणं ? दिट्ठिवाओवएसेणं सण्णिसुयस्स खओवसमेणं सण्णी लब्भति, असण्णिसुयस्स खओवसमेणं असण्णि लब्भति । सेतं दिट्ठिवाओवएसेणं ३ । सेतं संण्णिसुयं ३। से तं असण्णिसुयं ४।७१. [१] से किं तं सम्मसुर्य ? सम्मसुयं जं इमं अरहतेहिं म भगवंतेहिं उप्पण्णणाण-दंसणधरेहिं तेलोक्कणिरिक्खिय-महिय-पूइएहिं तीय-पच्चुप्पण्ण-मणागय-जाणएहिं सव्वण्णूहि सव्वदरिसीहिंपणीयं दुवालसंगं गणिपिडगं, फ तं जहा-आयारो १ सूयगडो २ ठाणं ३ समवाओ ४ विवाहपण्णत्ती ५ णायधम्मकहाओ ६ उवासगदसाओ ७ अंतगडदसाओ ८ अणुत्तरोववाइयदसाओ ९ OSC明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明乐乐乐明明明明明明明明明听听听听听听听听GO GO乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听心思 NeY5555555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा-१६९२5555555555555555555555555996OR Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙岁男 (४४) नंदीसूर्य [८] 男%% %% %% % %C C}$$$$$乐明明明明乐乐听听听听听听听听 明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听 पण्हावागरणाई १० विवागसुयं ११ दिट्ठिवाओ १२ । [२] इच्चेयं दुवालसंगं गणिपिडगं चोद्दसपुव्विस्स सम्मसुयं, अभिण्णदसपुव्विस्स सम्मसुयं, तेण परं। भिण्णेसु भयणा । सेत्तं सम्मसुयं ५। ७२. [१] से किं तं मिच्छसुयं ? मिच्छसुयं जं इमं अण्णाणिएहिं मिच्छद्दिट्ठीहिं सच्छंदबुद्धि-मतिवियप्पियं, तं जहा-भारहं १ रामायणं २ हंभीमासुरक्खं ३ कोडिल्लयं ४ सगभहियाओ ५ खोडमुहं ६ कप्पासियं ७ नामसुहुमं ८ कणगसत्तरी ९ वइसेसियं १० बुद्धवयणं ११ वेसितं १२ कविलं १३ लोगययतं १४ सद्वितंतं १५ माढरं १६ पुराणं १७ वागरणं १८ णाडगादी १९ । अहवा बावत्तरिकलाओ चत्तारि य वेदा संगोवंगा। [२] एयाई मिच्छद्दिहिस्सई मिच्छत्तपरिग्गहियाई मिच्छसुयं, एयाणि चेव सम्मद्दिहिस्स सम्मत्तपरिग्गहियाई सम्मसुयं। [३] अहवा मिच्छद्दिहिस्स वि सम्मसुयं, कम्हा ? सम्मत्तहेउत्तणओ, जम्हा ते मिच्छद्दिट्ठिया तेहिं चेव समएहिं चोइया समाणा केइ सपक्खदिट्ठीओ वमेति । से तं मिच्छसुयं ६ । ७३. से किं तं सादीयं सपज्जवसियं ? अणादीयं अपज्जवसियं च ? इच्चेयं दुवालसंगं गणिपिडगं विउच्छित्तिणयट्ठयाए सादीयं सपज्जवसियं, अविउच्छित्तिणयट्ठयाए अणादीयं अपज्जवसियं । ७४. तं समासओ चउब्विहं पण्णत्तं । तं जहा-दव्वओ खेत्तओ कालओ भावओ। तत्थ दव्वओ णं सम्मसुयं एगं पुरिसं पडुच्च सादीयं सपज्जवसियं, बहवे पुरिसे पडुच्च अणादीयं अपज्जवसियं १ । खेत्तओणं पंच भरहाई पंच एरवयाई पडुच्च सादीयं सपज्जवसियं, पंच महाविदेहाई पडुच्च अणादीयं अपज्जवसिय २। कालओ णं ओसप्पिणिं उस्सप्पिणिं च पडुच्च सादीयं सपज्जवसियं, णोओसप्पिणिणोउस्सप्पिणिं च पडुच्च अणादीयं अपज्जवसियं ३ । भावओणं जे जया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जति पण्णविनंति परूविज्जंति दंसिज्जति णिदंसिज्जति उवदंसिज्जति ते तदा पडुच्च सादीयं सपज्जवसियं, खाओवसमियं पुण भावं पडुच्च अणादीयं अपज्जवसियं ४। ई ७५. अहवा भवसिद्धीयस्स सुयं साईयं सपज्जवसियं, अभवसिद्धियस्स सुयं अणादीयं अपज्जवसियं । ७६. सव्वागासपदेसग्गं सव्वागासपदेसेहिं अणंतगुणियं पज्जवग्गक्खरं णिप्फज्जइ । ७७. सव्वजीवाणं पि य णं अक्खरस्स अणंतभागो णिच्चुग्घाडिओ, जति पुण सो वि आवरिज्जा तेण जीवो अजीवत्तं पावेज्जा । सुट्ट वि मेहसमुदए होति पभा चंद-सूराणं । सेत्तं सादीयं सपज्जवसियं । सेत्तं अणादीयं अपज्जवसितं ७।८।९।१०। ७८. से किं तं गमियं ? गमियं दिट्ठिवाओ। अगमियं कालियं सुयं । सेत्तं गमियं ११ । सेत्तं अगमियं १२ । ७९. अहवा तं समासओ दुविहं पण्णत्तं । तं जहा-अंगपविढं अंगबाहिरं च । ८०. से किं तं अंगबाहिरं ? ' अंगबाहिरं दुविहं पण्णत्तं । तं जहा आवस्सगं च आवस्सगवइरित्तं च । ८१. से किं तं आवस्सगं ? आवस्सगं छव्विहं पण्णत्तं । तं जहा सामाइयं १ चउवीसत्थओ २ वंदणयं ३ पडिक्कमणं ४ काउस्सग्गो ५ पच्चक्खाणं ६ । सेत्तं आवस्सगं। ८२. से किं तं आवस्सगवइरितं ? आवस्सगवइरित्तं दुविहं पण्णत्तं । तं जहा कालियं च उक्कालियं च । ८३. से किं तं उक्कालियं ? उक्कालियं अणेगविहं पण्णत्तं । तं जहा दसवेयालियं १ कप्पियाकप्पियं २ चुल्लकप्पसुयं ३ महाकप्पसुयं ४ ओवाइयं ५ रायपसेणियं ६ जीवाभिगमो ७ पण्णवणा ८ महापण्णवणा ९ पमादप्पमादं १० नंदी ११ अणुओगदाराई १२ देविदत्थओ १३ ॥ तंदुलवेयालियं १४ चंदावेज्झयं १५ सूरपण्णत्ती १६ पोरिसिमंडलं १७ मंडलप्पवेसो १८ विज्जाचरणविणिच्छओ १९ गणिविज्जा २० झाणविभत्ती २१ मरणविभत्ती + २२ आयविसोही २३ वीयरायसुयं २४ संलेहणासुयं २५ विहारकप्पो २६ चरणविही २७ आउरपच्चक्खाणं २८ महापच्चक्खाणं २९ । सेत्तं उक्कालियं । ८४. से किं तं कालियं ? कालियं अणेगविहं पण्णत्तं । तं जहा उत्तरज्झयणाई १ दसाओ २ कप्पो ३ ववहारो ४ णिसीहं ५ महाणिसीहं ६ इसिभासियाइं ७ जंबुद्दीवपण्णत्ती ८ दीवसागरपण्णत्ती ९ चंदपण्णत्ती १० खुड्डिया विमाणपविभत्ती ११ महल्लिया विमाणपविभत्ती १२ अंगचूलिया १३ वग्गचूलिया १४ वियाहचूलिया १५ अरुणोववाए १६ वरुणोववाए १७ गलोववाए १८ धरणोववाए १९. वेसमणोववाए २० देविंदोववाए २१ वेलंधरोववाए २२ उट्ठाणसुयं २३ समुट्ठाणसुयं २४ नागपरियावणियाओ २५ निरयावलियाओ २६ कप्पियाओ २७ कप्पवडिसियाओ २८ पुफियाओ २९ पुप्फचूलियाओ ३० वण्हीदसाओ ३१ । ८५. एवमाइयाई चउरासीती पइण्णगसहस्साई भगवतो अरहतो सिरिउसहसामिस्स आइतित्थयरस्स, तहा संखेज्जाणि पइण्णगसहस्साणि मज्झिमगाणं जिणवराणं, चोद्दस 20$$$$$$$$$$$$$$$听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听中心 HOR9555555 xerc ॥॥5॥॥॥ ॥॥॥ श्री आगमगुणमंजूषा - १६९३ 595955 5 55555OOK Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४) नंदीसूर्य [९] 55555555555FOXODY ted % %%%%%%%%%%%%%%%%%% पइण्णगसहस्साणि भगवओ वद्धमाणसामिस्स । अहवा जस्स जत्तिया सिस्सा उप्पत्तियाए वेणइयाए कम्मयाए पारिणामियाए चउव्विहाए बुद्धीए उववेया तस्स तत्तियाइं पइण्णगसहस्सापत्तेयबुद्धा वि तत्तिया चेव । सेतं कालियं । सेतं आवस्सयवइरित्तं । सेत्तं अणंगपविट्ठ १३ । ८६. से किं तं अंगपविठं ? अंगपविट्ठ दुवालसविहं पण्णत्तं । तं जहा- आयारो १ सूयगडो २ ठाणं ३ समवाओ ४ वियाहपण्णत्ती ५ णायाधम्मकहाओ ६ उवासगदसाओ ७ अंतगडदसाओ ८ अणुत्तरोववाइयदसाओ ९ पण्हावागरणाई १० विवागसुत्तं ११ दिट्ठिवाओ १२। ८७. से किं तं आयारे ? आयारे णं समणाणं णिग्गंथाणं आयार-गोयर-विणयवेणइय-सिक्खा-भासा अभासा-चरण-करण-जाया-माया-वित्तीओ आधविज्जति । से समासओ पंचविहे पण्णत्ते । तं जहा-णाणायारे १ दंसणायारे २ चरित्तायारे ३ तवायारे ४ वीरियायारे ५ । आयारे णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ णिज्जुत्तीओ, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ। से णं अंगठ्याए पढमे अंगे, दो सुयक्खंधा, पणुवीसं अज्झयणा, पंचासीती उद्देसणकाला, पंचासीती समुद्देसणकाला, अट्ठारस पयसहस्साई पदग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा। सासत-कड-णिबद्धा-णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविनंति पण्णविनंति परूविज्जति दंसिज्जंति णिदंसिज्जति उवदंसिज्जति । से एवंआया, एवंनाया, एवंविण्णाया, एवं चरण-करणपरूवणा आघविज्जइ । से तं आयारे १।८८. से किं तं सूयगडे ? सूयगडे णं लोए सूइज्जइ, अलोए सूइज्जइ, लोयालोए सूइज्जइ, जीवा सूइज्जति, अजीवा सूइज्जति, जीवाजीवा सूइज्जति, ससमए सूइज्जइ, परसमए सूइज्जइ, ससमय-परसमए सूइज्जइ । सूयगडे णं आसीतस्स किरियावादिसयस्स, चउरासीईए अकिरियवादीणं, सत्तट्ठीए अण्णाणियवादीणं, बत्तीसाए वेणइयवादीणं, तिण्हं तेसट्ठाणं पावादुयसयाणं वूह किच्चा ससमए ठाविज्जइ । सूयगडे णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ णिज्जुत्तीओ, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ । से णं अंगठ्ठयाए बिइए अंगे, दो सुयक्खंधा, तेवीसं अज्झयणा, तेत्तीसं उद्देसणकाला, तेत्तीसं समुद्देसणकाला, छत्तीसं पदसहस्साणि पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अर्णता पज्जवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासय-कड-णिबद्ध-णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जति पण्णविनंति परूविनंति दंसिज्जति णिदंसिज्जति उवदंसिज्नति । से एवंआया, एवंणाया, एवंविण्णाया, एवं चरण-करणपरूवणा आघविज्जइ । सेत्तं सूयगडे २।८९. से किं तं ठाणे ? ठाणे णं जीवा ठाविज्जतिं, अजीवा ठाविनंति, जीवाजीवा ठाविज्जति, लोए ठाविज्जइ, अलोए ठाविज्जइ, लोयालोए ठाविज्जए, है ससमए ठाविज्जइ, परसमए ठाविज्जइ, ससमय-परसमए ठाविज्जइ । ठाणे णं टंका कूडा सेला सिहरिणो पन्भारा कुंडाई गुहाओ आगारा दहा णदीओ आघविनंति । ठाणे णं एगाइयाए एगुत्तरियाए वुड्डीए दसट्ठाणगविवड्डियाणं भावाणं परूवणया आधविज्जति । ठाणे णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ निज्जुत्तीओ, संखेज्जाओ संगहणीओ, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ। से णं अंगट्ठयाए तइए अंगे, एगे सुयक्खंधे, दस अज्झयणा, एक्कवीसं उद्देसणकाला, एक्कवीसं समुद्देसणकाला, बावत्तरिं पदसहस्साई पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासतकड-णिबद्ध-णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जति पण्णविज्जति परूविज्जतिं दंसिज्जंति णिदंसिज्जंति । से एवंआया, एवंणाया, एवं विण्णाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविज्जइ । से तं ठाणे ३ । ९०. से किं तं समवाए ? समवाए णं जीवा समासिज्जति, अजीवा समासिज्जति, जीवाजीवा समासिज्जंति, लोए, समासिज्जइ, अलोए समासिज्जइ, लोयालोए समासिज्जंति, ससमए समासिज्जइ, परसमए समासिज्जइ, ससमयपरसमए समासिति । समवाए णं एगाइयाणं 5 एगुत्तरियाणं ठाणगसयविवड्डियाणं भावाणं परूवणा आघविज्जइ । दुवालसंगस्स य गणिपिडगस्स पल्लवग्गे समासिज्जइ । समवाए णं परित्ता वायणा, संखेज्जा के अणुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेजा सिलोगा, संखेज्जाओ णिज्जुत्तीओ, संखेज्जाओ पडिवित्तीओ संखेज्जाओ संगहणीओ। से णं अंगठ्ठयाए चउत्थे अंगे, एगे सुयक्खंधे, एगे अज्झयणे, एगे उद्देसणकाले, एगे समुद्देसणकाले, एगे चोयाले पदसयस्से पदग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा, ' अणंता थावरा, सासत-कड-णिबद्ध-णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जति पण्णविज्जति परूविज्जति दंसिज्जत्तिणिदंसिज्जति उवदंसिजति । से एवंआया, GO步明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听明明听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明听惠 %%%% 3.9%%%%%%%%%%%%% Revo श्री आगमगुणमजूषा- १६९४॥ 555555555555555FOROR Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [१०] (४४) नंदीसूर्य एवंणाया, एवंविणाया, एवं चरण-करणपरूणा आघविज्जति । से त्तं समवाए ४ । ९१. से किं तं वियाहे ? वियाहे णं जीवा वियाहिज्जइ, परसमए वियाहिज्जड़, ससमयपरसमए वियाहिज्जति, ससमए वियाहिज्जइ, परसमए वियाहिज्जइ, ससमयपरसमए वियाहिज्जति । वियाहे णं परित्ता वायणा, संखेज्जाओ संगहणीओ, T संखेज्जओ पडिवत्तीओ। से णं अंगट्टयाए पंचमे अंगे सुयक्खंधे, एगे सातिरेगे अज्झयणसते, दस उद्देसगसहस्साई, दस समुद्देसगसहस्साई, छत्तीसं वागरणसहस्साई दो लक्खा अट्ठासीति पयसहस्साइं पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासत-कड- णिबद्ध- णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्वंति पण्णविज्नंति परूविज्जति दंसिज्जति णिदंसिज्जति उवदंसिज्नति । से एवंआया, एवंविण्णायां, एवं चरणकरणपरूवणा आघविज्जइ । से त्तं वियाहे ५ । ९२. से किं तं णायाधम्मकहाओ ? णायाधम्मकहासु णं णायाणं णगराई उज्जाणाई चेइयाई वणसंडाई समोसरणाई रायाणो अम्मा-पियरो धम्मकहाओ धम्मायरिया इहलोगपरत्नोगिया रिद्धिविसेसा भोगपरिच्चागा पव्वज्जाओ परियागा सुयपरिग्गहा तवोवहाणाई संलेहणाओ भत्तपच्चक्खाणाई पाओवगमणाई देवलोगमणाई सुकुलपच्चाईओ पुणबोहिलाभा अंतकिरियाओ य आघविज्जति । दस धम्मकहाणं वग्गा । तत्थ णं एगमेगाए धम्मकहाए पंच पंच अक्खाइयासयाई, एगमेगाए अक्खाइयाए पंच पंच उवक्खाइअक्खाइयासयाई, एगमेगाए उवक्खाइयाए पंच पंच उवक्खाइयासयाई, एगमेगाए उवक्खाइयाए पंच पंच अक्खाइओवक्खाइयासयाई, एवमेव सपुव्वावरेणं अछुट्ठाओ कहाणगकोडीओ भवंति त्ति मक्खायं । णायाधम्मकहाणं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुयोगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ णिज्जुत्तीओ संखेज्जाओ संगहणीओ, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ। से णं अंगट्टयाए छट्ठे अंगे, दो सुयक्खंधा एगूणवीसं णातज्झयणा, एगूणवीसं उद्देसणकाला, एगूणवीसं समुद्देसणकाला, संखेज्जाई पयसहस्साई पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासत-कड- णिबद्ध - णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्ञंति पण्णविज्जंति परूविज्जति दंसिज्जति णिदंसिज्नंति उवदंसिज्जति । से एवंआया, एवंणाया, एवंविण्णाया, एवं चरण-करणपरूवणा आघविज्जइ । से त्तं णायाधम्मकहाओ ६ । ९३. से किं तं उवासगदसाओ ? उवासगदसासु णं समणोवासगाणं गराई उज्जाणारं चेइयाई वणसंडाई समोसरणाई रायाणो अम्मा-पियरो धम्मकहाओ धम्मायरिया इहलोग-परलोइया रिद्धिविसेसा भोगपरिच्चाया परियागा सुयपरिग्गहा तवोवहाणाई सीलव्वय-गुण- वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासपडिवज्जणया पडिमाओ उवसग्गा संलेहणाओ भत्तपच्चक्खाणाई पाओवगमणाई || देवलोगगमणाई सुकुलपच्चायाईओ पुणबोहिलाभा अंतकिरियाओ य आघविज्जति । उवासगदसासु णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुयोगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्नाओ णिज्जुत्तीओ, संखेज्जाओ संगहणीओ, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ। से णं अंगट्टयाए सत्तमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, दस अज्झयणा, दस उद्देसणकाला, दस समुद्देसणकाला, संखेज्जाई पदसहस्साइं पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा, अनंता थावरा, सासय-कडणिबद्ध - णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जति पण्णविज्जंति परूविज्जति दंसिज्जति णिदंसिज्जति उवदंसिज्जति । से एवंआया, एवंणाया, एवंविण्णाया एवं चरण-करणपरूवणा आघविज्जइ । से तं उवासगदसाओ ७ । ९४. से किं तं अंतगडदसाओ ? अंतगडदसासु णं अंतगडाणं णगराई उज्जाणाई चेतियाई वणसंडाई समोसरणाई रायाणो अम्मा-पियरो धम्मकहाओ धम्मायरिया इहलोग-परलोगिया रिद्धिविसेसा भोगपरिच्चागा पव्वज्जाओ परियागा सुतपरिग्गहा तवोवहाणाई संलेहणाओ भत्तपच्चक्खाणाई पाओवगमणाइं अंतकिरियाओ य आघविज्जति । अंतगडदसासु णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुयोगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ णिज्जुत्तीओ संखेज्जाओ संगहणीओ संखेज्जाओ पडिवत्तीओ। से णं अंगट्टयाए अट्ठमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, अट्ठ वग्गा, अट्ठ उद्देसणकाला, अट्ट समुद्देसणकाला, संखेज्जाइ पयसहस्साइं पदग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अनंता पज्जवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासत- कड- णिबद्धणिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जति पण्णविज्जति परूविज्जंति दंसिज्जति णिदंसिज्जति उवदंसिज्जति । से एवंआया, एवंणाया, एवंविण्णाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविज्जइ । से त्तं अंतगडदसाओ ८ । ९५. से किं तं [ अणुत्तरोववाइयदसाओ |] अणुत्तरोववाइयदसासुणं अणुत्तरोववाइयाणं णगराई उज्जाणाई चेइयाई वणसंडाई समोसरणाई रायाणो अम्मा-पियरो धम्मकहाओ धम्मायरिया इहलोग-परलोगिया रिद्धिविसेसा भोगपरिच्चागा पव्वज्जाओ परियागा श्री आगमगुणमंजूषा - १६९५ 02 DOO Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ROER9$$$$$$$$$$$$$$ (४४) नंदीसूर्य [११] 历五步步为$$$$ $ROS CC%听听听听听听听听听听听听听听听$$$$$$$$乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明5CM सुतपरिग्गहा तवोवहाणाइं पडिमाओ उवसग्गा संलेहणाओ भत्तपच्चक्खाणाइं पाओवगमणाई अणुत्तरोववाइंटे उववत्ती सुकुलपच्चायाइओ पुण बोधिलाभा - अंतकिरियाओ य आघविज्जति । अणुत्तरोववायदसासु णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुयोगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ णिज्जुत्तीओ, संखेजाओ संगहणीओ, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ। से णं अंगठ्ठयाए णवमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, तिण्णि वग्गा, तिण्णि उद्देसणकाला, तिण्णि समुद्देसणकाला, संखेज्जाइं पयसहस्साई पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता, पज्जवा परित्ता तसा अणंता थावरा, सासय-कड-णिबद्ध-णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जति पण्णविनंति परूविजंति दंसिज्जति णिदंसिज्जति उवदंसिज्जंति । से एवंआया, एवणाया, एवंविण्णाया एवं चरण-करणपरूवणा आघविज्जइ । सेत्तं अणुत्तरोववाइयदसाओ ९ । ९६. से किं तं पण्हावागरणाइं ? पण्हावागरणेसु णं अट्ठत्तरं पसिणसयं, अद्वत्तरं अपसिणसयं, अद्वत्तरं पसिणापसिणसयं, अण्णे वि विविधा दिव्वा विज्जातिसया नाग-सुवण्णेहि य सद्धिं दिव्वा संवाया आघविनंति । पण्हावागरणाणं परित्ता वायणा, संखेज्ना अणुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ णिज्जुत्तीओ, संखेजाओ संगहणीओ, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ। सेणं अंगठ्ठयाए दसमे अंगे, एगे सुयक्खंधे पणयालीसं अज्झयणा पणयालीसं उद्देसणकाला, पणयालीसं समुद्देसणकाला संखेज्जाई पदसहस्साई पदग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा, परिता तसा, अणंता थावरा, सासत-कड-णिबद्ध-णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविनंति पण्णविनंति परूविज्जति दंसिज्जति णिदंसिर्जति उवदंसिज्जति। से एवंआया, एवंणाया, एवंविण्णाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविज्जइ । से तं पण्हावागरणाई १० । ९७. [१] से किं तं विवागसुतं ? विवागसुते णं सुकड-दुक्कडाणं कम्माणं फल-विवागा आघविज्जति । तत्थ णं दस दुहविवागा, दस सुहविवागा। [२] से किं तं दुहविवागा ? दुहविवागेसु णं दुहविवागाणं णगराइं उज्जाणाई वणसंडाई चेडयाइं समोसरणाइं रायाणो अम्मा-पियरो धम्मकहाओ धम्मायरिया इहलोइय-परलोइया रिद्धिविसेसा निरयगमणाइं दुहपरंपराओ संसारभवपवंचा दुकुलपच्चायाईओ दुलहबोहियत्तं आघविनंति । सेत्तं दुहविवागा। [३] से किं तं सुहविवागा ? सुहविवागेसु णं सुहविवागाणं णगराइं उज्जाणाई वणसंडाई चेझ्याइं समोसरणाइं रायाणो अम्मा-पियरो धम्मकहाओ धम्मायरिया इहलोइअ-परलोइया रिद्धिविसेसेसा भोगपरिच्चागा पव्वज्जाओ परियागा सुतपरिग्गहा तवोवहाणाई संलेहणाओ भत्तपच्चक्खाणाइं पाओवगमणाई देवलोगगमणाई सुहपरंपराओ सुकुलपच्चायाईओ पुणबोहिलाभा अंतकिरियाओ य आघविजंति। सेत्तं सुहविवागा। [४] विवागसुते णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुयोगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ णिज्जुत्तीओ, संखेज्जाओ संगहणीओ, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ। से . णं अंगठ्ठयाए एक्कारसमे अंगे, दो सुयक्खंधा, वीसं अज्झयणा, वीसं उद्देसणकाला, वीसं समुद्देसणकाला, संखेज्जाइं पदसहस्साई पदग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासय-कड-णिबद्ध-णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जति पण्णविजंति परूविज्जति दंसिज्जति णिदंसिज्जति उवदंसिज्जति । से एवंआया, एवंणाया, एवंविण्णाया, एवं चरण-करणपरूवणा आघविज्जइ । से तं विवागसुत्तं ११ । ९८. से किं तं दिट्ठिवाए ? दिट्ठिवाए णं सव्वभावपरूवणा आघविज्जति । से समासओ पंचविहे पण्णत्ते । तं जहा परिकम्मे १ सुत्ताइं २ पुव्वगते ३ अणुओगे ४ चूलिया ५। ९९. से किं तं परिकम्मे ? परिकम्मे सत्तविहे पण्णत्ते । तं जहा सिद्धसेणियापरिकम्मे १ मणुस्सेणियापरिकम्मे २ पुट्ठसेणियापरिकम्मे ३ ओगाढसेणियापरिकम्मे ४ उवसंपज्जणसेणियापरिकम्मे ५ विप्पजहणसेणियापरिकम्मे ६ चुतअचुतसेणियापरिकम्मे ७ । १००. से किं तं सिद्धसेणियापरिकम्मे ? सिद्धसेणियापरिकम्मे चोद्दसविहे पण्णत्ते । तं जहा माउगापयाइं १ एगट्ठियपयाइं २ अट्ठापयाई ३ पाढो ४ आमासपयाइं ५ केउभूयं ६ रासिबद्धं ७ एगगुणं ८ दुगुणं ९ तिगुणं १० केउभूयपडिग्गहो ११ संसारपडिग्गहो १२ नंदावत्तं १३ सिद्धावत्तं १४ । से तं सिद्धसेणियापरिकम्मे १ । १०१. से किं तं मणुस्ससेणियापरिकम्मे ? ॐ मणुस्ससेणियापरिकम्मे चोद्दसविहे पण्णत्ते । तं जहा माउगापयाई १ एगट्ठियपयाइं २ अट्ठापयाइं ३ पाढो ४ आमासपयाइं ५ केउभूयं ६ रासिबद्धं ७ एगगुणं ८ ॥ दुगुणं ९ तिगुणं १० केउभूयपडिग्गहो ११ संसारपडिग्गहो १२ णंदावत्तं १३ मणुस्सावत्तं १४ से तुं मणुस्ससेणिया परिक्रमे । १०२. से किं तं पुट्ठसेणियापरिकम्मे ? पुट्ठसेणियापरिकम्मे एक्कारसविहे पण्णत्ते । तं जहा पाढो १ आमासपयाइं २ केउभूयं ३ रासिबद्धं ४ एगगुणं ५ दुगुणं ६ तिगुणं ७ केउभूयपडिग्गहो ८ संसारपडिग्गहो Mero5 55555 श्री आगमगुणमंजूषा - १६९६ $$$$$$$$$$$$$$$55556OR 听听听听听听听听听听听听听$$$$$$明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听2; Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ rox9555555555555 (४४) नंदीसूर्य [१२] 西五步步步步步步步步步步步QSC MOO听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐与乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐63 ९ णंदावत्तं १० पुट्ठावत्तं ११ । सेत्तं पुट्ठसेणियापरिकम्मे ३ । १०३. से किं तं ओगाढसेणियापरिकम्मे ? ओगाढसेणियापरिकम्मे एक्कारसविहे पण्णत्ते । तं जहा पाढो १ आमासपयाइं २ केउभूयं ३ रासिबद्धं ४ एगगुणं ५ दुगुणं ६ तिगुणं ७ केउभूयपडिग्गहो ८ संसारपडिग्गहो ९ णंदावत्तं १० ओगाढावत्तं ११ । सेत्तं ओगाढसेणियापरिकम्मे ४ । १०४. से किं तं उवसंपज्जणसेणियापरिकम्मे ? उवसंपज्जणसेणिपरिकम्मे एक्कारसविहे पण्णत्ते । तं जहा पाढो १ आमासपयाइं २ केउभूयं ३ रासिबद्धं ४ एगगुणं ५ दुगुणं ६ तिगुणं ७ केउभूयपडिग्गहो ८ संसारपडिग्गहो ९ णंदावत्तं १० उवसपंज्जणावत्तं ११ । सेत्तं उवसंपज्जणसेणियापरिकम्मे ५। १०५. से किं तं विप्पजहणसेणियापरिकम्मे ? विप्पजहणसेणियापरिकम्मे एगारसविहे पण्णत्ते । तं जहा पाढो १ आमासपयाइं २ केउभूयं ३ रासिबद्धं ४ एगगुणं ५ दुगुणं ६ तिगुणं ७ केउभूयपडिग्गहो ८ संसारपडिग्गहो ९ णंदावत्तं १० विप्पजहणावत्तं ११ । सेत्तं विप्पजहणसेणियापरिकम्मे ६ । १०६. से किं तं चुयमचुयसेणियापरिकम्मे ? चुयमचुयसेणियापरिकम्मे एगारसविहे पण्णत्ते । तं जहा पाढो १ आमासपयाई २ केउभूयं ३ रासिबद्धं ४ एगगुणं ५ दुगुणं ६ तिगुणं ७ केउभूयपडिग्गहो ८ संसारपडिग्गहो ९ णंदावत्तं १० चुयमचुयावत्तं ११ । से तं चुयमचुयसेणियापरिकम्मे ७ । १०७. [इच्चेइयाइं सत्त परिकम्माई, छ ससमइयाई सत्त आजीवियाई,] छ चउक्कणइयाई, सत्त तेरासियाइं। सेत्तं परिकम्मे १।१०८. [१] से किं तं सुत्ताइं सुत्ताइं बावीसं पण्णत्ताइं । तं जहा उज्जुसुतं १ परिणयपरिणयं २ बहुभंगियं ३ विजयचरियं ४ अणंतरं ५ परंपरं ६ मासाणं ७ संजूहं ८ संभिण्णं ९ आयच्चायं १० सोवत्थिप्पण्णं ११ णंदावत्तं १२ बहुलं १३ पुट्ठापुढे १४ वेयावच्चं १५ एवंभूयं १६ भूयावत्तं १७ वत्तमाणुप्पयं १८ समभिरूढं १९ सव्वओभई २० पण्णासं २१ दुप्परिग्गहं २२। [२] इच्चेयाइं बावीसं सुत्ताई अच्छिण्णच्छेयणइयाई ससमयसुत्तपरिवाडीए सुत्ताई १ इंच्चेयाई बावीसं सुत्ताई अच्छिण्णच्छेयणइयाई आजीवियसुत्तपरिवाडीए सुत्ताई इच्चेयाइं बावीसं सुत्ताई तिगणइयाइं तेरासियसुत्तपरिवाडीए सुत्ताइं ३ इच्चेयाइं बावीसं सुत्ताई चउक्कणइयाइं ससमयसुत्तपरिवाडीए सुत्ताइं ४ । एवामेव सपुव्वावरेणं अट्ठासीति सुत्ताई भवतीति मक्खायं । सेत्तं सुत्ताई २।१०९. [१] से किं तं पुव्वगते? पुव्वगते चोद्दसविहे पण्णत्ते । तं जहा उप्पादपुव्वं १ अग्गेणीयं २ वीरियं ३ अत्थिणत्थिप्पवाद ४ नाणप्पवाद ५ सच्चप्पवादं ६ आयप्पवादं ७ कम्मप्पवादं ८ पच्चक्खाणप्पवादं ९ विज्जणुप्पवादं १० अवंझं ११ पाणायु १२ किरियाविसालं १३ लोगबिंदुसारं १४। [२] उप्पायस्स णं पुव्वस्स दस वत्थू चत्तारि चुल्लयवत्थू पण्णत्ता १ । अग्गेणीयस्स णं पुव्वस्स चोद्दस वत्थू दुवालस चुल्लवत्थू पण्णत्ता २। वीरियस्स णं पुव्वस्स अट्ठ वत्थू अट्ठ चुल्लवत्थू पण्णत्ता ३ । अत्थिणत्थिप्पवादस्सणं पुव्वस्स अट्ठारस वत्थू दस चुल्लवत्थू पण्णत्ता ४ । णाणप्पवादस्स णं पुव्वस्स बारस वत्थू पण्णत्ता ५। सच्चप्पवादस्स णं पुव्वस्स दोण्णि वत्थू पण्णत्ता ६ । आयप्पवादस्स णं पुव्वस्स सोलस वत्थू पण्णत्ता ७। कम्मप्पवादस्स णं पुव्वस्स तीसं वत्थू पण्णत्ता ८ । पच्चक्खाणस्सणं पुव्वस्स वीसं वत्थू पण्णत्ता ९ । विज्जणुप्पवादस्सणं पुव्वस्स पणरस वत्थू पण्णत्ता १० । अवंझस्सणं पूव्वस्स बारस वत्थू पण्णत्ता ११ । पाणाउस्स णं पुव्वस्स तेरस वत्थू पण्णत्ता १२ । किरियाविसालस्स णं पुव्वस्स तीसं वत्थू पण्णत्ता १३ । लोगबिंदुसारस्सणं पुव्वस्स पणुवीसं वत्थू पण्णत्ता १४। [३] दस १ चोद्दस २ अट्ठ ३ ऽट्ठारसेव ४ बारस ५ दुवे ६ य वत्थूणि । सोलस७ तीसा ८ वीसा ९ पण्णरस अणुप्पवादम्मि १०॥७९॥ बारस एक्कारसमे ११ बारसमे तेरसेव वत्थूणि १२ । तीसा पुण तेरसमे १३ चोद्दसमे पण्णवीसा उ १४ ॥८०|| चत्तारि १ दुवालस २ अट्ठ ३ चेव दस ४ चेव चुल्लवत्थूणि । आइल्लाण चउण्हं, सेसाणं चुल्लया णत्थि॥८१|| सेत्तं पुव्वगते ३॥ ११०.से किं तं अणुओगे? अणुओगे दुविहे पण्णत्ते। तं जहा मूलपढमाणुओगे य गंडियाणुओगेय।१११. से किं तं मूलपढमाणुओगे? मूलपढमाणुओगेणं अरहताणं भगवंताणं पुव्वभवा देवलोगगमणाइं आउंचवणाई जम्मणाणि य अभिसेया रायवरसिरीओ पव्वज्जाओ, तवा य उग्गा, केवलनाणुप्पयाओ तित्थपवत्तणाणि य सीसा गणा गणधरा य अज्जा य पवत्तिणीओ य, संघस्स चउब्विहस्स जं च परिमाणं, जिण-मणपज्जव ओहिणाणि-समत्तसुयणाणिणो य वादी य अणुत्तरगती य उत्तरवेउव्विणो य मुणिणो जत्तिया, जत्तिया सिद्धा, सिद्धिपहो जह य देसिओ, जच्चिरं च कालं पादोवगओ, जो जहिं जत्तियाई भत्ताइं छेयइत्ता अंतगडो मुणिवरुत्तमो तमरओघविप्पमुक्को मुक्खसुहमणुत्तरं च पत्तो, एते अन्ने य एवमादी भावा मूलपढमाणुओगे कहिया । सेत्तं 乐听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听c KOY 5 5555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १६९७55555555555555555555555555OTOR Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४४) नंदीसूर्य मूलपढमाणुओगे । ११२. से किं तं गंडियाणुओगे ? गंडियाणुओगे णं कुलगरगंडियाओ तित्थगरगंडियाओ चक्कवट्टिगंडियाओ दसारगंडियाओ बलदेवगंडियाओ वासुदेवगंडियाओ गणधरगंडियाओ भद्दबाहुगंडियाओ तवोकम्मगंडियाओ हरिवंसगंडियाओ ओसप्पिणिगंडियाओ उस्सप्पिणिगंडियाओ चित्तंतरगंडियाओ अमर- तिरिय - निरयगइगमणविविहपरियदृणेसु एवमाइयाओ गंडियाओ आघविज्जति । से त्तं गंडियाणुओगे । से तं अणुओगे ४ । ११३. से किं तं चूलियाओ ? चूलियाओ आइल्लाणं चउण्हं पुव्वाणं चूलिया, अवसेसा पुव्वा अचूलिया । से त्तं चूलियाओ ५ । ११४. दिट्ठिवायस्स णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ, संखेज्जाओ णिज्जुत्तीओ, संखेज्जाओ संगहणीओ से णं अंगट्टयाए दुवालसमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, चोद्दस पुव्वा, संखेज्जा वत्थू, संखेज्जा चुल्लवत्थू, संखेज्जा पाहुडा, संखेज्जा पाहुडपाहुडा, संखेज्जाओ पाहुडियाओ, संखेज्नाओ पाउड पाहुडियाओ, संखेज्जाई पदसहस्साइं पदग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा, अनंता थावरा, सासत-कड - णिबद्ध - णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जंति पण्णविज्जति परूविज्जंति दंसिज्जति णिदंसिज्नंति उवदंसिज्जति । से एवंआया, एवंणाया, एवंविण्णाया, एवं चरण-करणपरूवणा आघविज्जति । से तं दिट्टिवाए १२ । ११५. इच्चेइयम्मि दुवालसंगे गणिपिडगे अणंता भाव अणंता अभावा अणंता हेऊ अणंता अहेऊ अणंता कारणा अणंता अकारणा अणंता जीवा अणंता अजीवा अनंता भवसिद्धिया अनंता अभवसिद्धिया अणंता सिद्धा अनंता सिद्धा पण्णत्ता । संगहणिगाहा भावमभावा हेउमहेऊ कारणमकारणा चेव । जीवाजीवा भवियमभविया सिद्धा असिद्धा य ॥ ८२ ॥ ११६. इच्चेइयं दुवालसंग अणिपिडगं तीए काले अणंता जीवा आणाए विराहत्ता चाउरंतं संसारकंतारं अणुपरियट्टिसु । इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडगं पडुप्पण्णकाले परित्ता जीवा आणाए विराहेत्ता चाउरंतं संसारकंतारं अणुपरियट्टंति । इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडगं अणागते काले अणंता जीवा आणाए विराहेत्ता चाउरंतं संसारकंतारं अणुपरियट्टिस्संति । ११७. इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडगं अतीतकाले अणंता जीवा आणाए आराहेत्ता चाउरंतं संसारकंतारं वितिवइंसु । इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडगं पडुप्पण्णकाले परित्ता जीवा आणाए आराहेत्ता चाउरंतं संसारकंतारं वितिवयंति । इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडगं अणागए काले अणंता जीवा आणाए आराहेत्ता चाउरंतं संसारकंतारं वितिवतिस्संति । ११८. इच्चेइच्वं दुवालसंगं गणिपिडगं ण कयाइ या भवति ण कयाइ ण भविस्सति, भुविं च भवति य भविस्सति य, धुवे णिअए सासते अक्खए अव्वए अवट्ठिए णिच्चे । से जहाणामए पंचत्थिकाए णं कयाति णाऽऽसी ण कयाति णत्थि ण कयाति ण भविस्सति, भुवि च भवति य भविस्सति य, ध्रुवा णीया सासता अक्खया अव्वया अवट्टिया णिच्चा, एवामेव दुवालसंगे गणिपिडगे ण कयाइ णाऽऽसी ण कयाइ णत्थि ण कयाइ ण भविस्सति, भुविं च भवति च भविस्सति य, धुवे णिअए सासते अक्खए अव्वए अवट्ठिए णिच्चे । ११९. से समासओ चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा दव्वओ खेत्तओ कालओ भावओ । तत्थ दव्वओ णं सुयणाणी उवउत्ते सव्वदव्वाइं जाणइ पासइ । खेत्तओ सुाणी उत् सव्वं खेत्तं जाणइ पासइ । कालओ णं सुयणाणी उवउत्ते सव्वं कालं जाणइ पासइ । भावओ णं सुयणाणी उवउत्ते सव्वे भावे जाणइ पासइ । १२०. अक्खर १ सण्णी २ सम्मं ३ सादीयं ४ खलु सपज्जवसियं ५ च । गमियं ६ अंगपविद्वं ७ सत्त वि एए सपडिवक्खा ॥ ८३॥ आगमसत्थग्गहणं जं बुद्धिगुणेहिं अहिं दिट्ठ | बिति सुयणाणलंभं तं पुव्वविसारया धीरा ॥ ८४॥ सुस्सूसइ १ पडिपुच्छइ २ सुणइ ३ गिण्हइ ४ य ईहए ५ यावि । तत्तो अपोहए ६ वा धारेइ ७ करेइ वा सम्म ८ ॥ ८५ ॥ मूयं १ हुंकारं २ वा बाढक्कार ३ पडिपुच्छ ४ वीमंसा ५ । तत्तो पसंगपारायणं ६ च परिणिट्ठ ७ सत्तमए ॥ ८६ ॥ सुत्तत्थो खलु पढमो १ बीओ णिज्जुत्तिमीसिओ भणिओ २ । तइओ य णिरवसेसो ३ एस विही होइ अणुओगे || ८७ || से त्तं अंगपविट्ठ १४ । से त्तं सुयणाणं । से त्तं परोक्खणाणं । ॥ से त्तं णंदी समत्ता॥ [लहुनंदी - अणुण्णानंदी । ] १. से किं तं अणुण्णा ? अणुण्णा छव्विहा पण्णत्ता, तं जहा - नामाणुण्णा १ ठवणाणुण्णा २ दव्वाणुण्णा ३ खेत्ताणुण्णा ४ कालाणुण्णा ५ भावाणुण्णा ६ । २. से किं तं नामाणुण्णा ? नामाणुण्णा जस्स णं जीवस्स वा अजीवस्स वा जीवाण वा अजीवाण वा तदुभयस्स वा तदुभयाण वा अणुण त्तिणामं करइ । से त्तं णामाणुण्णा १ । ३. से किं तं ठवणाणुण्णा ? ठवणाणुण्णा जं णं कट्टकम्मे वा पोत्थकम्मे वा लेप्पकम्मे वा चित्तकम्मे वा गंधिमे वा Yo श्री आगमगुणमंजूषा १६५८OTYOK [१३] ६६६६६६६ Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [१४] फफफफफफ (४४) नंदीसूर्य वेढिमे वा पूरिमे वर संघातिमे वा अक्खे वा वराडए वा एगे वा अणगे वा सब्भावट्ठवणाए वा असब्भावट्ठवणाए वा अणुण्ण त्ति ठवणा ठविज्जति । से त्तं ठवणाणुण्णा २ । ४. णाम-ठवणाणं को पतिविसेसो ? णामं आवकहियं, ठवणा इत्तिरिया वा होज्जा आवकहिया वा । ५. से किं तं दव्वाणुण्णा ? दव्वाणुण्णा दुविहा पण्णत्ता, तं आगतोय नोआगमतो य । ६. से किं तं आगमतो दव्वाणुण्णा ? आगमतो दव्वाणुण्णा जस्स णं अणुण्ण त्ति पदं सिक्खियं ठितं जितं मितं परिजितं णामसमं घोससमं अह्रीणक्खरं अणच्चक्खरं अव्वाइद्धक्खरं अखलियं अमिलियं अविच्चामेलियं पडिपुण्णं पडिपुण्णघोसं कंठोट्टविप्पमुक्कं गुरुवायणोवगयं । से णं तत्थ वायणाए पुच्छणाए परियट्टणाए धम्मकहाए, नो अणुप्पेहाए । कम्हा ? "अणुवओगो दव्वं" इति कट्टु । णेगमस्स एगे अणुवउत्ते आगमतो एगा दव्वाणुण्णा, दोण्णि अणुवउत्ता आगमतो दोणि दव्वाण्णाओ एवं जावतिया अणुवउत्ता तावतियाओ दव्वाणुण्णाओ । एवमेव ववहारस्स वि। संगहस्स एगो वा अणेगो वा अणुवउत्तो वा अणुवत्ता वा दव्वाणा दव्वाणुण्णाओ वा सा एगा दव्वाणुण्णा । उज्जुसुअस्स एगे अणुवउत्ते आगमतो एगा दव्वाणुण्णा, पुहत्तं नेच्छइ । तिण्हं सद्दणयाणं जाणए कहा ? जति जाणए अणुवउत्ते ण भवति। से त्तं आगमतो दव्वाणुण्णा । ७. से किं तं णोआगमतो दव्वाणुण्णा ? णोआगमतो दव्वाणुण्णा तिविहा पण्णत्ता-जाणगसरीरदव्वाणुण्णा भवियसरीरदव्वाणुण्णा जाणगसरीरभवियसरीरवतिरित्ता दव्वाणुण्णा । ८. से किं तं जाणगसरीरदव्वाणुण्णा ? जाण सरदव्वाणा 'अणुण्ण'- त्तिपदत्थाहिगारजाणगस्स जं सरीरगं ववगयचुतचइयचत्तदेहं जीवविप्पजढं सिज्जागयं वा संघारगयं वा निसीहियागयं वा सिद्धिसिलातलगतं वा, अहो णं इमेणं सरीरसमुस्सएणं 'अणुण्ण' त्ति पयं आघवियं पण्णवियं परूवियं दंसियं णिदंसियं उवदंसियं । जहा को दिट्टंतो ? अयं घयकुंभे आसी, अयं महुकुंभे आसी से तं जाणगसरीरदव्वाणुण्णा । ९. से किं तं भवियसरीरदव्वापुण्णा ? भवियसरीरदव्वाणुण्णा जे जीवे जम्मणजोणीणिक्खंते इमेणं चेव सरीरसमुस्सएणं आदत्तेणं जिणदिद्वेणं भावेणं 'अणुण्ण' त्तिपयं सेयकाले सिक्खिस्सइ, न ताव सिक्खइ । जहा को दिट्टंतो ? अयं घयकुंभे भविस्सति, अयं हु भविस्सति । से त्तं भवियसरीरदव्वाणुण्णा । १०. से किं तं जाणगसरीरभवियसरीरवतिरित्ता दव्वाणुण्णा ? जाणगसरीरभवियसरीरवतिरित्ता दव्वाणुण्णा तिविहा पत्ता, तं जहा लोइया कुप्पावयणिया लोउत्तरिया य । ११. से किं तं लोइया० दव्वाणुण्णा ? लोइया० दव्वाणुण्णा तिविहा पण्णत्ता, तं जहा सचित्ता अचित्ता मीसिया । १२. से किं तं सचित्ता० ? सचित्ता० से जहाणामए राया इ वा जुवराया इ वा ईसरे इ वा तलवरे इ वा कोडुबिए इ वा माडंबिए इ वा इब्भे इ वा सेट्ठी इ वा सत्थवाहे इ वा सेणावई इ वा कस्सइ कम्हि कारणे तुट्ठे समाणे आसं वा हत्थिं वा उट्टं वा गोणं वा खरं वा घोडयं वा एलयं वा अयं वा दासं वा दासिं वा अजाना । सेतं सचित्ता० । १३. से किं तं अचित्ता० ? अचित्ता० से जहाणामए राया इ वा जुवराया इ वा ईसरे इ वा तलवरे इ वा कोडुंबिए इ वा माडंबिए इ वाइ इ वा सत्थवाहे इ वा सेट्ठी इ वा सेणावई इ वा कस्सइ कम्हि कारणे तुट्ठे समाणे आसणं वा सयणं वा छत्तं वा चामरं वा पडगं वा मउडं वा हिरण्णं वा सुवण्णं वा कंसं वा दूसं वा मणि-मोत्तिय संख-सिल-प्पवाल- रत्तरयणमादीयं संत-सार-सावतिज्जं अणुजाणिज्जा से तं अचित्ता० दव्वाणुण्णा । १४. से किं तं मीसिया ० दव्वाण्णा ? मीसिया० दव्वाणुण्णा से जहाणामए राया ति वा जुवराया ति वा ईसरे ति वा तलवरे ति वा कोडुंबिए ति वा माडंबिए ति वा इब्भे ति वा सेट्ठी तिवा सेणावती ति वा सत्थवाहे ति वा कस्सइ कम्हिं कारणे तुट्टे समाणे हत्थिं वा मुहभंडगमंडियं, आसं वा थासग चामरमंडियं, सकडगं दासं वा, दासिं वा सव्वालंकारविभूसियं अणुजाणिज्जा से तं मीसिया० दव्वाणुण्णा । से त्तं लोइया० दव्वाणुण्णा । १५. से किं तं कुप्पावयणिया० दव्वाणुण्णा ? कुप्पावयणिया० दव्वाणुण्णा तिविहा पण्णत्ता, तं जहा सचित्ता अचित्ता मीसिया । १६. से किं तं सचित्ता० ? सचित्ता० से जहाणामए आयरिए इ वा उवज्झाए इ वा कस्सइ कम्हि कारणे तुट्ठे समाणे आसं वा हत्थिं वा उट्टं वा गोणं वा खरं वा घोडं वा अयं वा एलगं वा दासं वा दासिं वा अणुजाणिज्जा। से त्तं सचित्ता कुप्पावयणिया० दव्वाणुण्णा । १७. से किं तं अचित्ता० ? अचित्ता से जहाणामए आयरिए इ वा उवज्झाए इ वा कस्सइ कम्हि कारणे तुट्ठे समाणे आसणं वा सयणं वा छत्तं वा चामरं वा पट्टं वा मउड वा हिरण्णं वा सुवण्णं वा कंसं वा दूसं वा मणि-मोत्तिय संख-सिल-प्पवाल- रत्तरयणमाइयं संत-सारसावएनं अणुजाणिज्जा। से त्तं अचित्ता कुप्पावयणिया दव्वाणुण्णा । १८. से किं तं मीसिया० दव्वाणुण्णा ? मीसिया० दव्वाणुण्णा से जहाणामए आयरिए इ वा उवज्झाए इ वा कस्सइ कम्हि कारणे तुट्ठे समाणे हत्थिं वा NGO ॐ श्री आगमगुणमजूषा १६९९ Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [१५] (४४) नंदीसूर्य मुहभंडगमंडियं, आसं वा थासग चामरमंडियं, सकडगं दासं वा, दासिं वा सव्वालंकारविभूसियं अणुजाणिज्जा। से त्तं मीसिया कुप्पावयणिया० दव्वाणुण्णा । से तं पाणिया दव्वाणा । १९. से किं तं लोउत्तरिया० दव्वाणुण्णा ? लोउत्तरिया० दव्वाणुण्णा तिविहा पण्णत्ता, तं जहा सचित्ता अचित्ता मीसिया । २०. से किं तं सचित्ता० ? सचित्ता० से जहाणामए आयरिए इ वा उवज्झाए इ वा थेरे इ वा पवत्ती इ वा गणी इ वा गणहरे इ वा गणावच्छेयए इ वा सीसस्स वा सिस्सिणीए RTOK श्री आगमगुणमंजूषा - १७०० कहिं कारणे तुट्ठे समाणे सीसं वा सिस्सिणिं वा अणुजाणेज्ना । से त्तं सचित्ता० । २१. से किं अचित्ता० ? अचित्ता० से जहाणामए आयारिए ति वा उवज्झाए ति वा थेरेति वा पवत्ती ति वा गणी ति वा गणधरे ति वा गणावच्छेदिए ति वा सिस्सस्स वा सिस्सिणियाए वा कम्हिय कारणे तुट्ठे समाणे वत्थं वा पातं वा पडिग्गहं वा कंबलं वा पादपुंछणं वा अणुजाणेज्जा से तं अचित्ता० । २२. से किं तं मीसिया० ? मीसिया० से जहाणामए आयरिए इ वा उवज्झाए इ वा थेरे इ वा पवत्ती इ वागणी इ वा गणहरेइ वा गणावच्छेयए इ वा सिस्सस्स वा सिस्सिणीए वा कम्हिय कारणे तुट्ठे समाणे सिस्सं वा सिस्सिणियं वा सभंड- मत्तोवगरणं अणुजाणेज्ना । से तं मीसिया । सेतं लोगुत्तरिया० । से त्तं जाणगसरीरभवियसरीरवइरित्ता० दव्वाणुन्ना । से त्तं णोआगमतो दव्वाणुण्णा । से तं दव्वाणुण्णा ३ । २३. से किं तं खेत्ताणुण्णा ? खेत्ताणुण्णा जो णं जस्स खेत्तं अणुजाणति, जत्तियं वा खेत्तं, जम्मि वा खेत्ते । से त्तं खेत्ताणुण्णा ४ । २४. से किं तं कालाणुण्णा ? कालाणुण्णा जो गं जसका अणुजाति, जत्तियं वा कालं, जम्मि वा काले अणुजाणति, तं० तीतं वा पडुप्पण्णं वा अणागतं वा वसंतं वा हेमंतं वा पाउस वा अवत्थाणहेउं । से तं कालाणुण्णा ५ । २५. से किं तं भावाणुण्णा ? भावाणुण्णा तिविहा पण्णत्ता, तं जहा लोइया कुप्पावयणिया लोगुत्तरिया । २६. से किं तं लोइया भावाणुण्णा ? लोइया भावाणुण्णा से जहानामए राया इ वा जुवराया इ वा जाव तुट्ठे समाणे कस्सइ कोहाइभावंय अणुजाणिज्जा। से त्तं लोइया भावाणुण्णा । २७. से किं तं कुप्पावणिया भावाण्णा ? कुप्पावयणिया भावाणुण्णा से जहानामए केइ आयरिए इ वा जाव कस्सइ कोहाइभावं अणुजाणिज्जा से तं कुप्पावयणिया भावाणुण्णा । २८. से किं तं लोगुत्तरिया भावाणुण्णा ? लोगुत्तरिया भावाणुण्णा से जहानामए आयरिए इ वा जाव कम्हि कारणे तुट्ठे समाणे कालोचियनाणाइगुणजोगिणो विणीयस्स खमाइपहाणस्स सुसीलस्स सिस्सस्स तिविहेणं तिगरणविसुद्वेणं भावेणं आयारं वा सूयगडं वा ठाणं वा समवायं वा विवाहपण्णत्तिं वा नायाधम्मकहं वा उवासगदसाओ वा अंतगडदसाओ वा अणुत्तरोववाइयदसाओ वा पण्हावागरणं वा विवागसुयं वा दिट्ठिवायं वा सव्वदव्व-गुण- पज्जवेहिं सव्वाणुओगं वा जाणा । तं लोगुत्तरिया भावाणुण्णा । से त्तं भावाणुण्णा ६ । २९. किमणुण्ण ? कस्सऽणुण्णा ? केवतिकालं पवत्तियाऽणुण्णा ? । आदिकर पुरिमताले पवत्तिया उसभसेणस्स || १ || ३०. अणुण्णा १ उण्णमणी २ णमणी ३ णामणी ४ ठवणा ५ पभवो ६ पभावण ७ पयारो ८ । तदुभय ९ हिय १० मज्जाया ११ णाओ १२ मग्गो १३ य कप्पो १४ य ॥ २ ॥ संगह १५ संवर १६ णिज्जर १७ ठिइकरणं १८ चेव जीववुडिपयं १९ । पदपवरं २० चेव तहा, वीसमणुण्णाए णामाई ॥३॥ [॥ अण्णानंदी समत्ता ॥] [ जोगणंदी ] १. नाणं पंचविहं पण्णत्तं, तंजहा आभिणिबोहियनाणं १ सुयनाणं २ ओहिनाणं ३ मणपज्जवनाणं ४ केवलनाणं ५ । तत्थ णं चत्तारि नाणाई ठप्पाई ठवणिज्जाई, नो उद्दिसिज्जंति नो समुद्दिसिज्जंति नो अणुण्णविज्जंति, सुयनाणस्स पुण उद्देसो १ समुद्देसो २ अणुण्णा ३ अणुओगो ४ य पवत्तइ । २. जइ सुयनाणस्स उद्देसो १ समुद्देसो २ अणुण्णा ३ अणुओगो ४ पवत्तइ किं अंगपविट्ठस्स उद्देसो समुद्देसो २ णुण्णा ३ अणुओगो ४ पवत्तइ ? किं अंगबाहिरस्स उद्देसो १ समुद्देसो २ अणुण्णा ३ अणुओगो ४ पवत्तइ ? गोयमा ! अंगणविट्ठस्स वि उद्देसो १ समुद्देसो २ अणुण्णा ३ अणुओगो ४ पवत्तइ, अंगपाहिरस्स विउसो १ समुद्देसो २ अणुण्णा ३ अणुओगो ४ पवत्तइ । इमं पुण पट्टवणं पडुच्च अंगबाहिरस्स उद्देसो ४ । ३. जइ पुण अंगबाहिरस्स उद्देसो जाव अणुओगो पवत्तर किं कालियस्स उद्देसो ४ ? किं उक्कलियस्स उद्देसो ४ ? गोयमा ! कालियस्स वि उद्देसो ४ उक्कालियस्स वि उद्देसो ४ । इमं पुण पट्टवणं पडुच्च उक्कालियस्स उद्देसो ४ । ४. जइ उक्कालियस्स उद्देसो ४ कि आवस्सगस्स उद्देसो समुद्देसो अणुण्णा अणुओगो पवत्तइ ? आवस्सवइरित्तस्स ४ ? गोयमा ! आवस्सगस्स वि उद्देसो ४ आवस्सगवइरित्तस्स वि उद्देसो ४ । ५. जइ आवस्सगस्स उद्देसो ४ किं सामाइयस्स १ चउवीसत्ययस्स २ वंदणस्स ३ पडिक्कमणस्स ४ काउस्सग्गस्स ५ YOR Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ROO555555555555555 (44) नंदीसूर्य $为$$$$$$$$$$$250g COLO明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听FSC पच्चक्खाणस्स 6 ? सव्वेसिं एतेसिं उद्देसो 1 समुद्देसो 2 अणुण्णा 3 अणुओगो 4 य पवत्तइ। 6. जइ आवस्सगवइरित्तस्स उद्देसो 4 किं कालियसुयस्स उद्देसो 4 उक्कालियसुयस्स उद्देसो 4 ? कालियस्स वि उद्देसो 4 उक्कालियस्स वि उद्देसो 4 / 7. जइ उक्कालियस्स उद्देसो 4 किं दसकालियस्स 1 कप्पियाकप्पियस्स 2 चुल्लकप्पसुयस्स 3 महाकप्पसुयस्स 4 उववाइयसुयस्स 5 रायपसेणीयसुयस्स 6 जीवाभिगमस्स 7 पण्णवणाए 8 महापण्णवणाए ९पमायप्पमायस्स 10 नंदीए 11 अणुओगदाराणं 12 देविंदथयस्स 13 तंदुलवेयालियस्स 14 चंदाविज्झयस्स 15 सूरपण्णत्तीए 16 पोरिसिमंडल 17 मंडलप्पवेसस्स 18 विज्जाचरणविणिच्छियस्स 19 गणिविज्जाए 20 संलेहणासुयस्स 21 विहारकप्पस्स 22 वीयरागसुयस्स 23 झाणविभत्तीए 24 मरणविभत्तीए 25 मरणविसोहीए 26 आयविभत्तीए 27 आयविसोहीए 28 चरणविसोहीए 29 आउरपच्चक्खाणस्स 30 महापच्चक्खाणस्स 31? सव्वेसिं एएसिं उद्देसो 1 समुद्देसो 2 अणुण्णा 3 अणुओगो 4 पवत्तइ। 8. जइ कालियस्स उद्देसो जाव अणुओगो पवत्तइ किं उत्तरज्झयणाणं 1 दसाणं 2 कप्पस्स 3 ववहारस्स 4 निसीहस्स 5 महानिसीहस्स 6 इसिभासियाणं 7 जंबुद्दीवपण्णत्तीए 8 चंदपण्णत्तीए 9 दीवपण्णत्तीए 10 सागरपण्णत्तीए 11 खुड्डियाविमाणपविभत्तीए 12 महल्लियाविमाणपविभत्तीए 13 अंगचूलियाए 14 वग्गचूलियाए 15 विवाहचूलियाए 16 अरुणोववायस्स 17 वरुणोववायस्स 18 गरुलोववायस्स 19 धरणोववायस्स 20 वेसमणोववायस्स 21 वेलंधराववायस्स 22 देविंदोववायस्स 23 उट्ठाणसुयस्स 24 समुट्ठाणसुयस्स 25 नागपरियावणियाणं 26 निरयावलियाणं 27 कप्पियाणं 28 कप्पवडिसियाणं 29 पुफियाणं 30 पुप्फचूलियाणं 31 वण्हियाणं 32 वण्हिदसाणं 33 आसीविसभावणाणं 34 दिट्ठिविसभावणाणं 35 चारणभा० 36 सुमिणभा० 37 महासुमिणभा० 38 तेयग्गिनिसग्गाणं 39 ? सव्वेसि पि एएसिं उद्देसो जाव अणुओगो 4 पवत्तइ / 9. जइ अंगपविट्ठस्स उद्देसो जाव अणुओगो पवत्तइ किं आयारस्स 1 सूयगडस्स 2 ठाणस्स 3 समवायस्स 4 विवाहपण्णत्तीए 5 नायधम्मकहाणं 6 उवासगदसाणं 7 अंतगडदसाणं 8 अणुत्तरोववाइयदसाणं 9 पण्हावागरणाणं 10 विवागसुयस्स 11 दिट्ठिवायस्स 12? सव्वेसिं पि एएसिं उद्देसो 1 समुद्देसो 2 अणुण्णा 3 अणुओगो 4 पवत्तइ / इमं पुण पट्ठवणं पडुच्च इमस्स साहुस्स इमाए म साहुणीए अमुगस्स सुयस्स उद्देसो 1 समुद्देसो 2 अणुण्णा 3 अणुओगो 4 पवत्तइ खमासमणाणं हत्थेणं सुत्तेणं अत्थेणं तदुभएणं उद्देसामि समुद्देसामि अणुजाणामि / जोगणंदी समत्ता॥ %%%%%%%%%%%%%%%%%A0 %%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%% (सौजन्य:- प. पू. साध्वीश्री ॥३५॥श्री म. सा.नी) / प्रेसी थी 217 - नाम: Mast. % D torro####### ##5555 श्री आगमगुणमंजूषा - 1701 3555555555555555555555555 FOTO