Book Title: Agam 44 Chulika 01 Nandi Sutra
Author(s): Chandrasuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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सूत्रांक
सूत्रमारम्भः से कि तं साइअं सपज्जव. से किं तं सिद्धकेवलनाणं से किं तं सुअनिस्सि से किं तं सुयनाणपरोक्ख
सूत्राङ्क: । सूत्रमारम्भः
४३ | से किं तं सूअगडे २० / से किं तं हीयमाणयं ओहि. २७ / से तं अंगपविटं ३८ से तं केवलनाणं
गाथाङ्क
३५
गाथापारम्भः अक्खरसन्नीसम्म अड्ढभरहप्पहाणे अणुमाणहेउदिळंत० अस्थमहत्थक्खाणि अत्थाणं उग्गहणम्मि अभए सिद्विकुमारे अयलपुरा णिक्खते अह सव्वदव्वपरिणाम अंगुलमावलिआणं आगमसत्थग्गहणं इयरेयरसंजोगो ईहा अपोह वीमसा उग्गह इक्कं समयं उग्गह ईहाऽवाओ उवओगदिट्ठसारा उसमें अजियं संभव० उस्ससिमं नीससि एलावच्चसगोतं ओही भवपच्चइओ
श्री नंदीसूत्रगतसूत्रगाथानाम्
अकारादिक्रमः गाथाङ्कः | गाथामारम्भः
कालियसुय अणुओगस्स ३८ | काले चउण्ह वुड्ढी ७१ / केवलनाणेणत्थे
खमए अमच्चपुत्ते खीरमिव जहा हंसा गुणभवणगहण चत्तारि दुआलस अट्ठ चलणाहण आभंडे जयइ जगजीवजोणी जयइ सुआणं पभवो जसभदं तुंगियं जावइमा तिसमयाहार जा होइ पगइमहुरा जीवदयासुंदरकंदर
जे अन्ने भगवंते १८! जेसि इमो अणुओगो ८१ / तत्तो हिमवंतमहंत २५ | तवसंजममयलंछण ५६ / तिसमुदखायकित्ति
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