Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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भवेत् तु पुनय न्तराणां जघनान दशवर्ष सहस्रिकाभवेत् २२२ (पलियोवमन्तुएर्ग वासलक्क्षण साहियं पलिपीवमभागी जोइमेसु जहबिया २२३) प्र.३६
8 ज्योतिकाणां चन्द्रार्काणां देवानां एकंपल्योपमं वर्षलणसाधिकं उत्तष्टा आयुः स्थितिाख्याता पुनर्जघन्धिका आयुः स्थितिः पत्योपमस्याष्टमीभागी १०८८४ भवति २२२ (दोचेव सागराई उक्कोमेण ठिई भवे सोहम्ममि जहवेणं एगच्च पलित्रीवमं २२४) सौधमें देवलोके हसागरीपमै उत्कृष्टा भायुः
स्थितिर्जघन्येन एकं पत्यापमं आयुः स्थिति जया २२४ [सागरा साहियादुनि उक्कोसेण ठिई भवे ईसाणं मिजहबेणं साहियं पलिपीवमं २२५] ईशाने ईशान देवलोके उत्कृष्टेन हेसागरोपमेसाधिक आयुः स्थि तिर्भवेत् जघन्यतस्तु तत्र पायुः स्थितिः साधिकं पल्यापमं अस्ति २२५ (सागराणिय सत्तेव उक्कोमेण ठिई भवे सणं कुमारजहबेणं दुनियोसागरोवमा २२६) सनत्कुमार उत्कृष्टेन सप्त वसागरोपमानि प्रायुः स्थितिर्भवेत् जघन्ये न
जहन्नेणं दस वास सहस्मिया २२२ ॥ पलिओवमंतु एग वासलक्खेण साहियं । पलिओबमट्ठ भागो जोइसम जह निया २२३ ॥ दीचे व सागराई उक्कोसेण विहाहिया । सोहम्म मि जहन्नणं एगच पलिअोवम २२४ ॥ सागरा सा .
हिया दुन्नि उक्कोसण बियाहिया। ईसाणमि जहन्नेणं साहियं पलिओवम २२५ ॥ सागराणिय सत्तेव उक्कोसेण ठिई 8 एके करौ अधिक उत्कृष्टो थितियोतिखो चंद्रमानौ पल्योपमनी आठमो भाग ज्योतिषीने बिखे तारादेवीनी जघना २२३ वे सागरीपम उत्कृष्टी स्थिति पाउखु होई सोधम्म देवलोकने विखे जघना एक पल्योपम आजखो २२४ सागरोपम बै झाझरे उत्कृष्टी थिति हुई इसाण देवलीके जधना जाझेरी एक पल्यापम २२५ सागरोपम सातनी स्थीत जाणवी उतष्ठीनीय सनतकमार देवलोक जघनापणे वे सागरोपम २२८ झाझरा
राय धनपतसिंह वाहादुर का पा.सं २०४१ मा भाग
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