Book Title: Agam 42 Dasavevaliyam Mulsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
*
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(५११) जया य माणिमो होइ, पच्छा होइ अमाणियो । सेठ्ठिव्य कम्बडे छूढो, स पच्छा परितप्पड़ (५१२) जया अ थेरओ होइ, समइक्कंतजीव्वणो । मच्छोव्व गलं गिलिता, स पच्छा परितप्पड़ (५१३) जया अ कुकुडंबस्स, कुतत्तीहिं विहम्मइ । हत्थी व बंधणे बद्धो, स पच्छा परितप्पइ ( ५१४) पुतदारपरिकिनी, मोहसंताणसंतओ । कोसनी जहा नागी, स पच्छा परितप्पइ (५१५) अज आहं गणी हुतो, भाविअप्पा बहुस्सुओ। जइ हं रमतो परियाए, सामने जिनदेसिए ( ५१६) देवलोगसमाणो य, परियाओ महेसिणं । रयाणं अरयाणं च महानरयसारिसो
पढ़ना भूलिया समता
बिइया चूलिया - विवित्तचरिया
(५२५) धूलियं तु पवक्खामि, सुयं केवलिभासियं ।
जं सुणित्तु सुपुन्नाणं, धप्पे उप्पञ्जए पई (५२६) अणुसोयपठ्ठिए बहुजणम्मि, परिसोयलद्धलक्खेणं । पडिसोयमेव अप्पा, दायव्वो होउकामेणं
इसवेजयं १/५०६
For Private And Personal Use Only
||४८६||-5
१४८७|-8
[ረረ?
[[४८९|| -8
॥४९० ॥ -१
(५१७) अमरोवमं जाणिय सुक्खमुत्तमं रयाण परियाए तहारयाणं ।
निरओवमं जाणिय दुक्खमुत्तमं रमेज तम्हा परियायपंडिए ॥ ४९२ ॥ -12 (४१८) धम्माउ भट्टं सिरिओ ववेयं, जन्नग्गि विज्झायभिवप्पते यं ।
हीलंति णं दुव्विहिअं कुसीला, दादुद्धि यं घोरविसं व नागं ॥ ४९३३ - 12 (५१९) इहेव धम्मो अयसो अकित्ती, दुशामधेयं च पिहुज़णम्मि ।
चुयस्स धम्माउ अहम्मसेविणो, संभिशवित्तस्स य ट्ठओ गई ।।४९४॥ - 13 (५२० ) भुंजित्तु भोगाई पसज्झ चेयसा, तहाविहं कट्टु असंजमं बहुं ।
गई च गच्छे अणिहिज्झिअं दुहं, बोही अ से नो सुलहा पुणोपुणो ।। ४९५ ॥ -14 (४२१ ) इमस्सता नेरइयस्स जंतुणो, दुहोवणीयस्स किलेसवत्तिणो ।
पत्तिओवमं झिज्जइ सागरौवमं, किसंग पुण मज्झ इम मणोदुहं ।। ४९६।१ - 16 (४२२ ) न मे चिरं दुक्खमिणं भविस्सह, असासया भोगपिवास जंतुणो ।
न चे सरीरेण इमेणऽ विस्सइ, अविस्सई जीवियपञ्जवेण मे ॥४९७ ॥ - 16 (४२३) जस्सेवमप्पा उ हविज्र मिच्छिओ, चएज देहं न हु धम्मसासणं ।
तं तारिसंनो पयलेति इंदिया, उविति वाया व सुदंसणं गिरि ॥ ४९८ ॥ - 17 (५२४) इच्छेव संपस्सिअ बुद्धिमं नरो, आयं उवायं विविहं वियाणिया ।
करण वाया अदु माणसेणं, तिगुत्तिगुत्तो जिणवयणमहिडिजासि ।। ४९९ ॥ - 18 त्ति बेमि
॥ ४९१ ॥ - 10
1140011-1
Shadhban
140911-2

Page Navigation
1 ... 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46