Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Part 01
Author(s): Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 13
________________ श्री आवश्यक शानानि ॥११॥ %A5ECE अत्यो तं चैव अण्णमि काले पुणोऽपि ममरति, तत्थ जो सो उग्गहो त अत्थालोयणं भण्णनि. अत्यालोयणं णाम जं अस्थस्स अवग्रहाद्या सामण्णेण गहणं, मो य उग्गहो दविहो-अत्थोग्गहो वंजणांग्गहो य, तत्य अन्योग्गहो छविहो, तंजहा-सोइंदियप्रयोगगहो मतिमेदाः पाखुरदियअयोगगहो पाणिदियअत्यो जिम्मिदियअन्योल फासेंदियअस्थो० णोइंदियअत्थो,पंजणोग्गहो पुण चउबिहो, तंजहासोइंदिवरजणोग्गहो पाणिदिय जिम्भिदिय० फासिदियाईहाअवायधारणाओऽवि एवं चेव छबिहाओ, चउविहाओ ण माणिय| व्याओ ॥ ३ ॥ इयाणि एतोमि उग्गहाईणं चउण्हं दाराणं वित्थरतरएण कालस्स परूषणत्यं इमं गाहासुतं मण्णा, जहा उग्गह एक्कं समयं ॥ ४॥ एत्थ पुथ्वं ता उग्गहस्स परूवण करिस्सामि दोहिं दिखतेहिं, जहा- पडिचोहगदिईतण मल्लगदिहुतेण य । से किं नं पडिवोहगदिट्ठनेण!, २ से जहा नामए केइ पुरिसे सुत्तं पुरिसं पडिचोहिज्जा 'अमुया अमुय'ति, तत्पर चोदए पण्णवयं एवं वयामी-कि एगसमयपविष्टा पोग्गला गहणमागच्छति दुसमय तिसमय जाव दससमय० संखेज्जसमय०४ असंखेज्जसमयपविट्ठा पोग्गला गइणमागच्छति ?, एवं वदनं चोदय पग्णवए एवं बयासी णो एगसमयपविट्ठा पोग्गला गणमागच्छति जाय गो संखेज्जसमयपविट्ठा०, असंखेज्जसमयपविठ्ठा पांग्गला गहणमागच्छंति, जहा को दिढतो, से जहा णाम एका पुरिसे आवागसीसाओ मल्लगं गहाय तस्थ एर्ग उदयरिंदु परिखबिज्जा, से गढे, द्वित्ति वा विगएत्ति वा अतधाभएति वा एगडा, अणं पक्खिवेज्जा, मेत्रि गडे. अण्णपि, सेवि णड्डे, एवं पक्खिप्पमाणेहिं २ होहिति से उदगार्मद् जेणं तं मल्लगे राबहिति, ॥११॥ घोहिति से उदगबिंदू जे मल्लग पवाहहित्ति, एवामेव कलंच्यापुप्फर्मठियं सोइदियं तं जाहे अणनेहिं पोग्गलेहिं पूरित भवति ताहे हुति करेइ, म पुण जाणति केवि एस सदाति, एस एगसमइयो सोइदियोग्गहो भण्णइ, ततो अंतोमुहनियं इहे पविसह, जहा

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