Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashyam Part 02
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 450
________________ ७७८ बृहत्कल्पभाष्यम् गाथासं. ४९८६ ४३९६ ६०९९ ४८९८ ३८८६ २७९४ ३८८१ १६२९ ५८० ३५३२ ५३६ २३६६ ३१३५ ३१४४ १२९१ ४१३४ ५८१९ ४८८ ३१३९ 999 गाथा दिद्वं अन्नत्थ मए दिटुं च परामुटुं दिद्रुत पडिहणेत्ता दिद्रुतो गुहासीहे दिÉतो घडगारो दिद्रुतो दुवक्खरए दिटुंतो पुरिसपुरे दि8 वत्थग्गहणं दिटुं वत्थग्गहणं दिट्ठमदिटुं च तहा दिट्ठमदिट्ठ विदेसत्थ दिट्ठमदिढे दि8 दिट्ठमुवस्सयगहणं दिट्ठ सलोमे दोसा दिट्ठा अवाउडा हं दिविनिवायाऽऽलावे दिट्ठीसंबंधो वा दिद्वे संका भोइयदिद्वे संका भोइय दिद्वे संका भोइय दिट्ठोभास पडिस्सुय दिणे दिणे दाहिसि थोव थोवं दित्तमदित्ता तिरिया दिन्नो भवविहेणेव दियदिन्ने वि सचित्ते दिय राओ पच्चवाए दिय-राओ लहु-गुरुगा दियरातो अण्ण गिण्हति दिय रातो लहुगुरुगा दिवसओ सपक्खे लहुगा दिवसं पिता ण कप्पा दिवसट्ठिया वि रत्तिं दिवसेण पोरिसीए दिवसे दिवसे गहणं दिवसे दिवसे व दुल्लभे दिव्वेसु उत्तमो लाभो दिव्वेहिं छंदिओहं दिस अवरदक्खिणा दक्खिणा दिस अवरदक्खिणा दक्खिदिसि-पवण-गाम-सूरियदिसिमूढो पुव्वाऽवर गाथासं.] गाथा २४३२ दीणकलुणेहि जायति ३७९८ दीवा अन्नो दीवो ४६४० दीसति य पाडिरूवं २११३ दीहाइमाईसु उ विज्जबंधं ३०६ दीहाइयणे गमणं ४४३० दीहे ओसहभावित २२९१ दुओणयं अहाजायं ४२३५ दुक्खं च भुंजंति सति द्वितेसु ४३०८ दुक्खं ठिओ व निज्जइ ४४७४ दुक्खं विसुयावेउं ४७२९ दुक्खेहि भत्थिताणं ६६१ दुगमादीसामण्णे २२९६ दुगसत्तगकिइकम्मस्स ३८३४ दुगुणो चतुग्गुणो वा २२५६ दुग्गट्ठिए वीरअहिट्ठिए वा १३४६ दुग्गूढाणं छन्नंग• २२५३ दुग्घासे खीरवती ८६६ दुचरिमसुत्ते वुत्तं २१७५ दुज्जणवज्जा साला ६१७१ दुढे मूढे वुग्गाहिए २१९२ दुण्हं अणाणुपुव्वी ३१९७ दुण्ह जओ एगस्सा ४२४ दुण्हट्ठाए दुण्ह वि ४६२३ दुण्ह वि तेसिं गहणं ३०४६ दुन्नि तिहत्थायामा १४७६ दुन्नि वि विसीयमाणे दुपुडादि अद्धखल्ला ५८६० दुप्पडिलेहियदूसे ५८५६ दुप्पडिलेहियमादिसु ५९८० दुप्पभिइ पिया-पुत्ता ५९७८ दुप्पभिई उ अगम्मा २९३१ दुब्बलपुच्छेगयरे ६२५१ दुब्भूइमाईसु उ कारणेसुं ६०२१ दुरतिक्कम खु विधियं ३८१९ दुरहियविज्जो पच्चंत२८३४ दुरुहंत ओरुभंते ६०६२ दुल्लभदव्वं व सिया दुल्लभदव्वे देसे ५५०५ दुल्लभवत्थे व सिया ४५६ दुविकप्पं पज्जाए ५२१६ दुविधो उ परिच्चाओ गाथासं. | गाथा ६१४३ दुविधो य होइ दुट्ठो २११२ दुवियड्डबुद्धिमलणं ६१५४ दुविहं च फरुसवयणं ५६८१ दुविहं च भावकम्म ५९९० दुविहं च भावकसिणं ५९८७ दुविहं च होइ वत्थं ४४७० दुविहं तु दव्वकसिणं ३४९२ दुविहं पि वेयणं ते ४३९२ | दुविहकरणोवघाया २०७४ दुविह चउब्विह छविह ६४०६ दुविह निमित्ते लोभे ४३११ दुविहपमाणतिरेगे ४४६९ दुविहम्मि भेरवम्मि ३९८१ दुविहाए वि चउगुरू ४८६४ दुविहाओ भावणाओ २५९६ । दुावहाणाम दुविहाणायमणाया ४३४६ दुविहा य होइ वुड्डी ६०६१ दुविहा य होति पाता २६७५ दुविहाऽवाता उ विहे ५२१३ | दुविहा सामायारी २६६ दुविहा हवंति सेज्जा ४२४९ दुविहे किइकम्मम्मि ५४९३ दुविहे गेलण्णम्मि ३९६० दुविहे गेलण्णम्मी ४०९० दुविहे गेलन्नम्मी ५४५६ दुविहे गेलन्नम्मी ३८४९ दुविहो अ होइ छेदो ३८४३ दुविहो उ पंडओ खलु ५७६३ दुविहो जाणमजाणी ३५५८ दुविहो यमासकप्पो ३२११ दुविहो य होइ अग्गी २२३८ दुविहो य होइ जोई ४१८३ दुविहो य होइ दीवो ४१३६ दुविहो य होइ पंथो ३७२ दुविहो लिंग विहारे २६४४ दुविहो वसहीदोसो ३५५३ दुविहो होति अचेलो ६२५३ दुब्बियड-दुण्णिसण्णा ४१६९ दुस्संचर बहुपाणादि ४८८५ दुस्सन्नप्पो तिविहो ५२०८ | दुहतो थोवं एक्वेक्कएण ४५४१ ६३७९ ८७८ ३५५० ३६३८ ७१० ५१४९ ५१७६ ६४३१ २१४५ ३४३३ ३४६१ ३०५१ ७५७ ४९१३ ६३६५ ४१३९ २७४८ ५२१२ ५९१० १५०६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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