Book Title: Agam 30B Chandavezzayam Painnagsutt 07B Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नमो नमो निप्पल सणस्स पंचप गणधर श्री सुधर्मा स्वामिने नमः ३० चंदावेज्झयं पइण्णयं 119॥ २॥ ॥३॥ ||४|| ॥५॥ ॥६॥ ॥७॥ | सत्तमं पदण्ण जगमत्ययत्ययाणं विगसियवरनाण-दंसणधराणं । नाणुज्जोयगराणं लोगम्मि नमो जिनवराणं इणमो सुणहमहत्यं निस्संदं मोक्खमग्गसुत्तस्स। विगहनियत्तियचित्ता सोऊण यमापमाइत्था विनयं आयरियगुणे सीसगुणे विणयनिग्गहगुणेय! नाणगुणे चरणगुणे मरणगुणे एत्य चोच्छामि जो परिभवइमणूसो आयरियं जत्थ सिक्खए विजं ! तस्स गहिया विदिशा दुःखेण वि अप्फला होइ थद्धो विणयविहूणो न लभइ कित्तिं जसंच लोगम्मि । जो परिभवं करेई गुरूण गरुयाए कम्माणं सय्वस्थ लभेज नरो विस्संभं सच्चयं चकित्तिं च । जो गुरुजणोवइहूं विजं विणएण गेण्हेज अविणीयस्स पणस्सइ जइ विन नस्सइ न नजई गुणेहिं । विज्ञा सुसिक्खिया विहु गुरुपरिभवबुद्धिदोसेणं विजा मणुसरियव्वा न दुविणीयस्स होइ दायव्वा । परिभवइ दुब्विणीओतं विजं तं च आयरियं विजं परिभवमाणो आयरियाणं गुणेऽपयासितो! रिसिधायगाण लोयं वनइ मिच्छतसंजुत्तो (१०) विजा वि होइ विलिया गहिया पुरिसेणऽभागधेजेण । सुकुलकुलबालिया विव असरिसपरिसंपई पत्ता । सिक्खाहि ताव विनयं किं ते विजाइ दुविणीयस्स। दुस्सिखिओ हु विनओ सुलभाविजा विणीयस्स (१२) विजेंसिक्खह विनं गुणेह गहियं च मा पमाएह। गहिय-गुणिया हु विना परलोयसुहावहा होइ विनएण सिक्खियाणं विजाणं परिसमत्तसुत्ताणं | सक्का फलमणुभुत्तुंगुरुजणतुट्टोबइहाणं (१४) दुल्लहया आयरिया विजाणं दायगासमत्ताणं। वक्गयचउकसाया दुलहया सिक्खगा सीसा (१५) पम्वइयस्स गिहिस्स व विनयं चेव कुसला पसंसति । नहु पावइ अविणीओ कित्तिं च जसं च लोगम्मि ||८ ॥९॥ ॥१०॥ (११) 1991 ॥१२॥ 11१४|| |॥१५॥ For Private And Personal Use Only

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