Book Title: Agam 30B Chandavezzayam Painnagsutt 07B Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गR ॥१४२॥ ॥१४३॥ ॥१४॥ ॥१४५॥ ॥१४६॥ ||१४७|| ॥१४८॥ ॥१४॥ १५०॥ (Im२) सामण्णमनुचरंतस्स कसायाजस्स उक्कडा होति। मत्रामि उछुपुष्पंय निष्फलं तस्स सामणं (१४३) जंअज्जियं चरितं देसूणाए विपुवकोडीए। तंपिकसाइयमेत्तो नासेइ नरो मुहुत्तेण (sm) जंअञ्जियंच कामं अनंतकालंपमायदोसेणं। तंनिहयराग-दोसो खवेइ पुव्याण कोडीए (674) जइ उवसंतकसाओ लहइ अनंतं पुणो विपडिवायं। किह सका वीससिउं योवे वि कसायसेसम्मि (१६) खीणेसुजाण खेमं जियं जिएसु अमयं अभिहएसु। नद्वेसु याविणटुं सोक्खंचजओकसायाणं (१४७) धनानिच्चमरागा जिनवयणरया नियत्तिकसाया। निस्संगनिष्ममत्ता विहरतिजहिच्छिया साहू (१४८) धन्ना अविरहियगुणा विहरंती मोक्खमग्गमल्लीणा। इह य परत्व य लोए जीविय-मरणे अपडिबद्धा (१४१) पिछत्तं वमिऊणं सम्मत्तम्मिणियं अहीगारो। कायव्यो बुद्धिमया मरणसमुग्धायकालम्मि (१५०) हंदि धणियं पिधीरा पच्छा मरणे उहिए संते। परणसपुग्धाएणं अवसा निमंति मिच्छत्तं (१५१) तो पुव्वं तु मइमया आलोयण निंदणा गुरुतगासे। कायव्या अनुपुब्बि पव्वजाईओजं सरइ (१५३) ताहे जं देश गुरूपायच्छित्तं जहारिहंजस्स। इच्छामि त्ति मणिशा अहमवि नित्यारिओ तुझे (१५३) परमत्यओ मुणीणं अवराओ नेव होइ कायव्यो। छलियस्स पमाएणं पडिच्छत्तमवस्स कायव्यं (१५४) पच्छित्तेणं विसोही पमायबहुलस्स होइ जीवस्स। तेण तयंकुसमयं चरियब्वं चरणक्खट्ठा (१५५) नविसुन्झति ससल्ला जहमणियं सव्वभायदंसीहिं। मरण-पुणब्मवरहिया आलोयण-निंदणा साहू (१५६) एक्कं ससल्लमरणं मरिऊण महब्मयम्मि संसारे। पुणरवि ममति जीवा जम्मण-मरणाइंबहुयाई (१५७) पंचसमिओ तिगुत्तो सुचिरं कालं मुणी विहरिऊणं । मरणे विराहयंतो धम्ममणाराहओ मणिओ (१५८) बहुमोहो विहरित्ता पच्छिमकालम्मि संवुडो सोउ। आराहणोवउत्तो जिणेहि आराहओ मणिओ (१५९) तोसव्वाभावसुद्धो आराहणमइमुहोविसंमंतो। संथारं पडिवत्री इमं च हियणए चिंतेजा ||१५५॥ ।।१५२॥ ॥१५३॥ १५४॥ ॥१५५॥ ||१५६॥ ॥१५७॥ ||१५८॥ 11१५९|| . For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22