Book Title: Agam 30B Chandavezzayam Painnagsutt 07B Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १८ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १२४) असमत्तसुओ वि मुणी पुबि सुकयपरिकम्मपरिहत्थो । संजम-मरणपत्रं सुहंमव्वहिओ समाणेइ ( १२५ ) इंदियसुहसाउलओ घोरपरीसहपरव्यसविउत्तो । अकपपरिकम्म कीवो मुज्झइ आराहणाकाले (१२६) न चएइ किंचि काउं पुव्वि सुकयपरिकम्मबलियस्स । खोहं परीसहचमू धीबलविणिवारिया मरणे (१२७) पूवि कारियजोगो अणियाणो ईहिऊणमइकुसलो। सव्वत्य अपडिबद्धो सकज्जजोगं समाणेइ (१२८) उपपीलिया सरासण गहियाउहचावनिच्छियमईओ । विधइ चंदगवेज्झं झायंतो अप्पणो सिक्ख (१२९) जइ वि करेइ पमायं येवं पिय अन्त्रचितदोसेणं । तह विय क्रयसंघाणो चंदगवेज्झं न विधेइ ( १३० ) तम्हा चंदगवेज्झस्स कारणा अभ्यामाइणा निच्चं । अविरहियगुणो अप्पा कायव्यो मोक्खमम्मि ( १३१ ) सम्पत्तलद्धबुद्धिस्स चरिमसमयम्मि वट्टमाणस्स । आलोइय-निंदिय-गरहियस्स मरणं रुवइ सुद्धं (१३२ ) जे मे जाणंति जिना अवराहे नाण- दंसण-चरिते । ते सच्चे आलोए उवडिओ सव्वभावेणं (१३३) जो दोत्रि जीवसहिया रुंभइ संसारबंधणा पावा । रागं दीसं च तहा सो मरणे होइ कयजोगो (१३४) जो तिण्णि जीवसहिया दंडा मण-वयण कायगुत्तीओ। नाणकुण गिण्हइ सो मरणे होइ कय जोगो (१३५) जो चत्तारि कसाए घोरे ससरीसंभवे नियं । जिनगरहिए निरुंभइ जो मरणे होइ कमजोगी ( १३६) जो पंच इंदियाई सन्नाणी विसयसंपलित्ताई नाणंकुसेण गिण्हइ सो मरणे होइ कयजोगी (१३७ ) छजीवकायहियओ सत्तमयठ्ठाण नविरहओ साहू । एगतमद्दवमओ सो मरणे होइ कयजोगो (१३८) जेण जिया अट्ठ मया गुत्तो चिय नवहिं बंभगुत्तीहिं । आउतो दसको सो मरणे होइ कयजोगो (१३९) आसायणाविरहिओ आराहिंतो सुदुल्लहं मोक्खं । सुक्कझाणाभिमुो सो मरणे होइ कयजोगो (१४०) जो विसहइ बावीस परीसहा दुस्सहा उवस्सग्गा । सुत्रे व आउले वा सो मरणे होइ कयजोगो (१४१ ) धन्नाणं तुं कसाया जगडिता वि परकसाएहिं । निच्छंति समुद्वे सुनिविट्ठो पंगुलो चेद For Private And Personal Use Only चंदावेजस्यं ( १२४ ) - ॥ १२४॥ ।।१२५ ।। 1192411 ॥१२७॥ ॥१२८|| ।। १२९ ।। 1193011 1193911 1193311 ॥१३३॥ ||१३४ || 1193411 1193511 ॥१३७॥ ||१३८ ।। ।। १३९ ।। 1198011 ॥१४९॥

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