________________ समर्पण प्रातःस्मरणीय परमपज्य श्री जयमलजी महाराज के तृतीय पट्ट पर विराजमान होकर जिन्होंने धर्म शासन के उन्नयन में महत्त्वपूर्ण योगदान किया, जिन्होंने धार्मिक तथा आध्यात्मिक पद्यरचनाओं द्वारा साहित्य-समृद्धि में वृद्धि को, जो संयम और तप की साधना के क्षेत्र में नुतन मान स्थापित करने में प्रमुख रहे, उन्न आचार्यश्री आसकरणजी महाराज को पवित्र स्मति में सादर सविनय समति समर्पित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org