Book Title: Agam 24 Prakirnaka 01 Chatusharan Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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जणिअबहुमाणो(प्र० अणुराओ)मेइणिमिलंतसुपसत्थमत्थओ तत्थिमं भणइ ॥३०॥जिअलोअबंधुणो कुगइसिंधुणो पारगा महाभागा नाणाइएहिं सिवसुक्खसाहगा साहुणो सरणं ॥१॥ केवलिणो परमोही विउलमई सुअहरा जिणमयंमिाआयरिअ उवज्झाया ते सव्वे साहुणो सरणं ॥ २॥ चउदसदसनवपुवी दुवालसिक्कारसंगणिो जे ओ जिणकप्याहालंदिअपरिहारविसुद्धिसाहू अ॥३॥ खीरासवमहुआसवसंभिन्नस्सोअकुट्ठबुद्धी आचारणवेउविपयाणुसारिणो साहुणो सरणं॥ ४॥ उझियवइरविरोहा निच्चमदोहा पसंतमुहासोहा अभिभयगुणसंदोहा हयमोहा साहुणो सरणं ॥५॥खंडिअसिणेहदामा अकामयामा निकामसुहकामा।सुपुरिसमणाभिरामा आयारामा मुणी सरणं॥६॥ मिल्हिअविसयकसाया उझियघरघरणिसंगसुहसाया।अकलिअहरिसविसाया साहू सरणंगयपमाया ॥ ७॥ हिंसाइदोससुन्ना कयकारून्ना सयंभुरुपन्ना (प्र० प्पुण्णा) अजरामरपहखुन्ना साहूसरणं सुक्यपुन्ना ॥८॥कामविडंबणचुक्का कलिमलमुक्का विवि(मु)कचोरिको पावरयसुरयरिक्का साहू गुणरयणचच्चिका॥९॥साहुत्तसुट्ठिया जं आयरिआई तओ य ते साहू। साहुभणिएण गहिया तम्हा ते साहुणोसरणं ४० पडिवन्नसाहुसरणोसरणं काउंपुणोविजिणधम्मोपहरिसरोमंचपवंचकंचुअंचिअतणू भणइ ॥१॥पवरसुकएहि पत्तं पत्तेहिवि नवरि केहिदिन पत्तीतं केवलिपन्नत्तं धम्म सरणं पवनोऽहं ॥२॥पत्तेण अपत्तेण य पत्ताणि अजेण नरसुरसुहाई। मुक्खसुहं पुण पत्तेण नवरि धम्मो स मे सरणं॥३॥ निद्दलिअक्लुसकम्मो क्यसुहजम्मो खलीक्यअहम्मो। पमुहपरिणामरम्मो सरणं मे होउ जिणधम्मो ॥ ४॥ कालत्तएवि न मयं जम्मणजरमरणवाहिसयसमयो अमयंव बहुमयं जिणमयं च ॥श्रीचतुःशरणं सूत्र
| पू. सागरजी म. संशोधित
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