Book Title: Agam 24 Prakirnaka 01 Chatusharan Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जणिअबहुमाणो(प्र० अणुराओ)मेइणिमिलंतसुपसत्थमत्थओ तत्थिमं भणइ ॥३०॥जिअलोअबंधुणो कुगइसिंधुणो पारगा महाभागा नाणाइएहिं सिवसुक्खसाहगा साहुणो सरणं ॥१॥ केवलिणो परमोही विउलमई सुअहरा जिणमयंमिाआयरिअ उवज्झाया ते सव्वे साहुणो सरणं ॥ २॥ चउदसदसनवपुवी दुवालसिक्कारसंगणिो जे ओ जिणकप्याहालंदिअपरिहारविसुद्धिसाहू अ॥३॥ खीरासवमहुआसवसंभिन्नस्सोअकुट्ठबुद्धी आचारणवेउविपयाणुसारिणो साहुणो सरणं॥ ४॥ उझियवइरविरोहा निच्चमदोहा पसंतमुहासोहा अभिभयगुणसंदोहा हयमोहा साहुणो सरणं ॥५॥खंडिअसिणेहदामा अकामयामा निकामसुहकामा।सुपुरिसमणाभिरामा आयारामा मुणी सरणं॥६॥ मिल्हिअविसयकसाया उझियघरघरणिसंगसुहसाया।अकलिअहरिसविसाया साहू सरणंगयपमाया ॥ ७॥ हिंसाइदोससुन्ना कयकारून्ना सयंभुरुपन्ना (प्र० प्पुण्णा) अजरामरपहखुन्ना साहूसरणं सुक्यपुन्ना ॥८॥कामविडंबणचुक्का कलिमलमुक्का विवि(मु)कचोरिको पावरयसुरयरिक्का साहू गुणरयणचच्चिका॥९॥साहुत्तसुट्ठिया जं आयरिआई तओ य ते साहू। साहुभणिएण गहिया तम्हा ते साहुणोसरणं ४० पडिवन्नसाहुसरणोसरणं काउंपुणोविजिणधम्मोपहरिसरोमंचपवंचकंचुअंचिअतणू भणइ ॥१॥पवरसुकएहि पत्तं पत्तेहिवि नवरि केहिदिन पत्तीतं केवलिपन्नत्तं धम्म सरणं पवनोऽहं ॥२॥पत्तेण अपत्तेण य पत्ताणि अजेण नरसुरसुहाई। मुक्खसुहं पुण पत्तेण नवरि धम्मो स मे सरणं॥३॥ निद्दलिअक्लुसकम्मो क्यसुहजम्मो खलीक्यअहम्मो। पमुहपरिणामरम्मो सरणं मे होउ जिणधम्मो ॥ ४॥ कालत्तएवि न मयं जम्मणजरमरणवाहिसयसमयो अमयंव बहुमयं जिणमयं च ॥श्रीचतुःशरणं सूत्र | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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