Book Title: Agam 24 Prakirnaka 01 Chatusharan Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सीसमिकयंजली भणइ ॥२॥रागद्दोसारीणं हंता कम्मलुगाइअरिहंता विसयकसायारीणं अरिहंता हुंतु मे सरणं ॥३॥ रायसिरिमुवकसित्ता तवचरणं दुच्चरं अणुचरित्ता। केवलसिरिमरिहंता० ॥४॥ थुइवंदणमरिहंता ० अमरिंदनरिंदपूअमरिहंता। सासयसुहमरहंता० ॥५॥ परमणगयं मुणंता जोइंदमहिंदझाणमरहता धमकई अरहंता०॥६॥सव्वजिआणमहिंसअरहंता सच्चवयणभरहता।बंभव्वयमरहिंता० ॥ ७॥ ओसरणमवसरित्ता चउतीसं अइसए निसेविता॥ धम्मकहं च कहता० ॥ ८॥ एगाइ गिराऽणेगे संदेहे देहिणं समं छित्ता। तिहयणमणुसासंता० ॥ ९॥ वयणामएण भुवणं निव्वाविंता गुणेसु ठावंता। जिअलोअमुद्धरंता ॥ २०॥ अच्चब्भुयगुणवंते नियजसससहरपसाहियदिअंते। निअंयमणाइअणते पडिवन्नो सरणमरिहंते॥१॥ उज्झिअजरमरणाणं समत्तदुक्खत्तसत्तसरणाणी तिहअणजणसुहयाणं अरिहंताणं नमो ताणं ॥ २॥ अरिहंतसरणमलसुद्धिलद्धसुविसुद्धसिद्धबहुमाणोपणयसिररइयकरकमलसेहरो| सहरिसंभणइ ॥३॥कम्मटुक्खयसिद्धासाहाविअनाणदसणसमिद्धासिव्वट्ठलद्धिसिद्धा ते सिद्धा हुंतु मेसरणं ॥४॥तिअलोअमत्थयत्था परमपयत्था अचिंतसामत्था मंगलसिद्धपयत्था सिद्धा सरणं सुहपसत्था ॥५॥मूलुक्खयपडिवक्खा अमूढलक्खा सजोगिपच्चक्खा। साहाविअत्तसुक्खा सिद्धा सरणं परममुक्खा॥६॥ पडिपिल्लिअपडिणीया समग्गझाणम्गिदड्डभवबीआ।जोईसरसरणीया सिद्धा सरणं सुमरणीया॥७॥पावियपरमाणंदा गुणनीसंदा विभिन्न (५० विदिण्ण) भवकंदालहुईकयरविचंदा सिद्धा सरणं खविअदंदा ॥८॥ उवलद्धपरमबंभा दुलहलंभा विमकसरंभा। भुवणधरधरणखंभा सिद्धा सरणं निरारंभा॥ ९॥ सिद्धसरणेण नवबंभहेउसाहुगुण॥ श्रीचतुःशरणं सूत्र | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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