Book Title: Agam 19 Nirayavaliyanam Atthamam Uvvangsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 4
________________ अज्झयणं-१ [६] तीसे णं कालीए देवीए पुत्ते काले नामं कुमारे होत्था- सूमालपाणिपाए जाव सुरूवे तए णं से काले कुमारे अन्नया कयाइ तिहिं दंतिसहस्सेहिं तिहिं आससहस्सेहिं तिहिं रहसहस्सेहिं तिहिं मणुयकोडीहिं गरुलव्वूहे एक्कारसमेणं खंडेणं कूणिएणं सद्धिं रहमुसलं संगामं ओयाए | [७] तए णं तीसे कालीए देवीए अन्नया कयाइ कुडुंबजागरिय जागरमाणीए अयमेयारूवे अज्झत्थिए [चिंतिए पत्थिए मनोगए संकप्पे ] समुप्पज्जित्था- एवं खलु ममं पुत्ते काले कुमारे तिहिं दंतिसहस्सेहिं जाव ओयाए, से मन्ने किं जइस्सइ नो जइस्सइ ? जीविस्सइ नो जीविस्सइ ? पराजिणिस्सइ नो पराजिणिस्सइ ? कालं णं कुमारं अहं जीवमाणं पासिज्जा ? ओहयमण [संकप्पा करयलपल्हत्थमुही अट्टज्झाणोवगया ओमंथियवयणनयनकमला दीनविवण्णवयणा] झियाइ ।। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसरिए, परिसा निग्गया तए णं तीसे कालीए देवीए इमीसे कहाए लखवाए समाणीए अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था- एवं खलु समणे भगवं महावीरे पुव्वाणुपुट्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे इहमागते जाव विहरइ तं महाफलं खलु तहारूवाणं [अरहंताणं भगवंताणं नामगोयस्स वि सवणयाए किमंग पुण अभिगमन-वंदन-नमंसणपडिपच्छण-पज्जुवासणयाए एगस्स वि आरयिस्स धम्मियस्स सुवणयस्स सवणयाए किमंग पुण] विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए तं गच्छामि णं समणं भगवं जाव पज्जुवासामि इमं च णं एयारूवं वागरणं पुच्छिस्सामित्तिकट्ट एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो! देवाणुप्पिया धम्मियं जाणप्पवरं जुत्तमेव उवट्ठवेह उवद्ववेत्ता जाव पच्चप्पिणंति | तए णं सा काली देवी पहाया जाव अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा बहूहिं खुज्जाहिं जाव महत्तरगवंदपरिक्खित्ता अंतेउराओ निग्गच्छइ निग्गच्छित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव धम्मिए जाणप्पवर तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता धम्मियं जाणप्पवरं दुरुहइ दुहित्ता नियगपरियालसंपरिवडा चंपं नयरिं मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ निग्गच्छित्ता जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता छत्तादीए [तित्थयरातिसए पासइ पासित्ता] धम्मियं जाणप्पवरं ठवेइ ठवेत्ता धम्मियाओ जाणप्पवराओ पच्चोरुहइ पच्चोरुहित्ता बहूहिं खुज्जाहिं जाव महत्तरगवंद-परिक्खित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ करेत्ता वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता ठिया चेव सपरिवारा सुस्सूसमाणी नमसमाणी अभिमुहा विनएणं पंजलिउडा पज्जुवासइ तए णं समणे भगवं महावीरे कालीए देवीए तीसे य महइमहालियाए इसिपरिसाए धम्म परिकहेइ जाव [एयस्स धम्मस्स सिक्खाए उवट्ठिए] समणोवासए वा समणोवासिया वा विहरमाणे आणाए आराहए भवइ, तए णं सा काली देवा समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्म सोच्चा नि हद्वतुट्ठ-जाव एवं वयासी-एवं खलु भंते! मम पुत्ते काले कुमारे तिहिं दंतिसहस्सेहिं जाव रहमुसलं संगामं ओयाए से णं भंते! किं जइस्सइ नो जइस्सइ ? जाव कालं णं कुमारं अहं जीवमाणं पासेज्जा ? कालीइ समणे भगवं महावीरे कालिं देवि एवं वयासी- एवं खलु काली! तव पुत्ते काले कुमारे तिहिं दंतिसहस्सेहिं जाव कूणिएणं रण्णा सद्धिं रहमुसलं संगाम संगामेमाणे हयमहिय-पवरवीरघाइय-निवडिय चिंधज्झय पड़ागे निरालोयाओ दिसाओ करेमाणे चेडगस्स रण्णो सपक्खं सपडिदिसिं रहेणं पडिरहं हव्वमागए, तए णं से दीपरत्नसागर संशोधितः] [3] [१९-निरयावलियाण


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