Book Title: Agam 19 Nirayavalika Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
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आगम सूत्र १९, उपांगसूत्र-८, 'निरयावलिका'
अध्ययन/सूत्र
अध्ययन-२-सुकाल सूत्र - २०
भदन्त ! यदि श्रमण यावत् मुक्ति संप्राप्त भगवान महावीर ने निरयावलिका के प्रथम अध्ययन का यह अर्थ प्रतिपादन किया है तो द्वितीय अध्ययन का क्या भाव प्रतिपादन किया है ?
आयुष्मन् जम्बू ! उस काल और उस समय में चंपा नाम की नगरी थी । वहाँ पूर्णभद्र चैत्य था । कूणिक वहाँ का राजा था । पद्मावती उसकी पटरानी थी। उस चंपानगरी में श्रेणिक राजा की भार्या, कूणिक राजा की सौतेली माता सुकाली नाम की रानी थी जो सुकुमाल शरीर आदि से सम्पन्न थी । उस सुकाली देवी का पुत्र सुकाल राजकुमार था । वह सुकोमल अंग-प्रत्यंग वाला आदि विशेषणों से युक्त था।
शेष सर्व कथन कालकुमार अनुसार जानना । यावत् वह महाविदेह क्षेत्र में उत्पन्न होकर कर्मों का अन्त करेगा । सम्पूर्ण कथन कालकुमार के समान ही कहना चाहिए।
अध्ययन-२-का मुनि दीपरत्नसागरकृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
अध्ययन-३-से-१०
सूत्र-२१
प्रथम अध्ययन के समान शेष आठ अध्ययन भी जानना । किन्तु इतना विशेष है कि उनकी माताओं के नाम के समान उन कमारों के नाम हैं।
अध्ययन-३ से १०-का मुनि दीपरत्नसागरकृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
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१९-निरयावलिका-उपांगसूत्र-८-का मुनि दीपरत्नसागरकृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (निरयावलिका) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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