Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Raipaseniyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 19
________________ १४ 'हलधर' "हलहर' भुयगीसर अकरंड्य' *च्छर गुप्फे 'वीणं जया 44 आयावाया परवाया ओमोयरिया बारसभत्ते चउद्दस' (ग) सोलस चउमासिए 'भोइत्ति दव्वाभि एतस्स 'पउत्ते उसण्ण' भूयईसर (क, ख, ग) अकरंदु (क, ख) 'थर 'गोफे 'पीडेणं (क, ख) जदा (क) आदावाया परवादा अवमोयरिया बारसमभत्ते बारसमेभत्ते चोहसम (क, ख) घोद्दसमे सोलसम सोलसमे' घउम्मासिए 'भोईत्ति दवमि इंतस्स 'पजुत्ते घोसण्ण (क, ग) (ग) दसणावरणीय "बीती "तोयवट्ठ (क) 'पण्णिय वहस्सती (ग) 'किरीडधारी (ख) महाफलं (क, ख, ग) गतगता (क) पच्चोरुभंति (ग) पाडिएक्कपाडिएक्काई(ख) पतोद-लट्टि पयोत्त-सद्धि ETEEEEEEEEEEEEEEEEEntrates दरिसणावरणिज्ज "वीची तोयपट्ठ 'वण्णिय विहस्सती "तिरीडधारी महप्फलं गयगया पच्चोरुहति पाडियक्कपाडियक्काई पोय-लदि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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